संतवीर सिंह ने आठ बीघा में नरमा कपास की फ़सल बोई थी, उन्हें लगा था कि अच्छी कमाई हो जाएगी, लेकिन गुलाबी सुंडी ने पूरी फसल बर्बाद कर दी, अब तो कमाई तो दूर की बात है, ख़राब फ़सल को खेत से निकालने के लिए दो हज़ार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से मज़दूरी देनी पड़ रही है।
संतवीर सिंह राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के मोहनपुरा गाँव के रहने वाले हैं, संतवीर सिंह गाँव कनेक्शन से अपनी परेशानी बताते हुए कहते हैं, “पहले गुलाबी सुंडी की वजह से नरमे का बहुत ज़्यादा नुकसान हो गया, कुछ किसानों ने दवाई के स्प्रे से सुंडी से बचने की कोशिश की तो बारिश और आंधी ने नुकसान कर दिया।”
“तेज तूफान में नरमे का पौधा गिर गया तो जो फूल खिला था वो भी गिर गया, अब किसान को इस बर्बाद हुई फ़सल को उखाड़कर नई फसल बोनी है तो उसके लिए भी पैसे देने पड़ रहे हैं। एक तो उस खेत में कुछ हुआ नहीं और अब उसे समेटने के लिए खर्च करना पड़ रहा है, “संतवीर सिंह ने आगे कहा।
राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़ जैसे ज़िलों में ज़्यादातर किसान नरमा की खेती करते हैं, लेकिन गुलाबी सुंडी से उनकी पूरी फसलें बर्बाद हो गईं हैं। राजस्थान के साथ ही हरियाणा और पंजाब में भी गुलाबी सुंडी ने कपास की फसल बर्बाद कर दी है। किसान के पास जो फसल आनी थी वो तो बर्बाद हो गई, अब तो किसान को न कोई उधार में खाद देगा और न ही बीज, अब किसान करें भी तो क्या करें ।
“राजस्थान में पिछले दो साल गुलाबी सुंडी का कोई प्रकोप नहीं था, तभी तो हमने ये फसल लगाई है नहीं तो कोई और विकल्प ढूंढते। हमारे यहाँ इसी साल गुलाबी सुंडी का प्रकोप आया और बहुत बड़ी मात्रा में आया है। अगर हम सर्वे कराएं तो देखेंगे कि किसी भी किसान की फसल गुलाबी सुंडी से नहीं बच पायी है, “संतवीर सिंह ने आगे बताया।
ग्रामीण किसान मज़दूर समिति (जीकेएस) के साथ मिलकर किसान जिला मुख्यालय पर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार से चक्रवाती तूफानी बारिश, नकली बीज, सुंडी से हुए नुकसान को प्राकृतिक आपदा घोषित कर मुआवज़ा देने की वे मांग कर रहे हैं।
किसानों ने बताया कि ग्वार, मूंग और नरमे में हुए नुकसान के लिए प्रति बीघा 20000 रुपए व मज़दूरों को 10 प्रतिशत मुआवज़ा, गन्ने और बाग के लिए 35000 रुपए प्रति बीघा और मज़दूरों के लिए 10 प्रतिशत मुआवज़ा देने की मांग की है।
हनुमानगढ़ जिले के संगरिया तहसील के हरिपुरा गाँव के किसान नेता बलकौर सिंह ढिल्लों नरमा-कपास की खेती करते हैं। इस बार उन्होंने 16 बीघा में फसल लगा रखी है, लेकिन गुलाबी सुंडी ने पूरी फसल बर्बाद कर दी है। बलकौर सिंह ढिल्लों गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन आखिर में फसल ने धोखा दे दिया। जब नरमा में कीट लगने शुरू हुए तो कृषि विभाग के अधिकारियों के कहने पर दवाओं का भी छिड़काव किया, लेकिन फसल में कोई सुधार नहीं हुआ।”
राम रूठ गया और राज भी। राम यानी कुदरत ने कहर बरपाया। बेमौसम बारिश से नरमा, मूंग आदि की फसलें चौपट हो गईं। राज यानी सरकार भी पीड़ा महसूस करने के लिए तैयार नहीं। ऐसे में कलक्टर कार्यालय के सामने धरना लगाकर बैठने के अलावा कोई चारा नहीं। यह कहना है किसानों का। pic.twitter.com/SOnHqxK3HR
— Balkaur Singh Dhillon (@BalkaurDhillon) September 26, 2023
वो आगे कहते हैं, “जब टिंडे को तोड़कर देखा तो अंदर से गला हुआ है और उसमें गुलाबी सुंडी लगी हुई है। एक बीघा में किसान ने 25 हज़ार रुपए खर्च किए हैं, ऐसे में अब मुनाफ़ा तो दूर लागत भी निकलना मुश्किल लग रहा है।”
किसानों की सरकार से माँग है कि बीज की जाँच की जाए, उनका कहना है बीज कंपनियों ने सही बीज ही नहीं दिया है। पिछले दो साल से नॉन बीटी और बीटी को मिलाकर दिया है ।
“अगली हमारी माँग है कि सुंडी क्यों आयी इसकी भी जाँच की जाए। तूफान पर हमारी माँग है कि सरकार गिरदावरी (सर्वे) करें और उसमें कितना नुकसान हुआ है, उसे आपदा घोषित करें।” बलकौर सिंह ढिल्लों ने कहा।
ग्रामीण किसान मज़दूर समिति से जुड़े संतवीर सिंह कहते हैं, “हमें पता चला है कि 29 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गंगानगर किसी कार्यक्रम में आ रहे हैं, हमने जिलाधिकारी और एसपी को ज्ञापन दे दिया कि मुख्यमंत्री आपदा घोषित करके, मुआवजा घोषित करें और किसानों के साथ मीटिंग करें। इसके साथ ही हमारी माँगों को सुने और उन्हें पूरा करें, नहीं तो हम उनके कार्यक्रम को नहीं होने देंगे।