अगर आप बिहार के हैं और ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छी ख़बर है। बागवानी विभाग, बिहार ड्रैगन फ्रूट की खेती में मदद के लिए नई योजना लेकर आया है।
ड्रैगन फ्रूट जिसे भारत में कमलम भी कहा जाता है, इसका पौधा एक तरीके का क्लाइम्बिंग कैक्टस होता है। दुनिया भर में ये पिताया के नाम से मशहूर है। इसका मूल निवास दक्षिण मेक्सिको, सेंट्रल अमेरिका और दक्षिण अमेरिका है। ये पूरी दुनिया में न सिर्फ अपने रंग और बनावट की वजह से मशहूर है, बल्कि इसके अनेकों स्वास्थ्य लाभ भी हैं।
मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत ड्रैगन फ्रूट विकास योजना (2024-25) की शुरुआत की गई है। बिहार में ड्रैगन फ्रूट का क्षेत्र विस्तार राज्य के 21 जिलों जैसे- भोजपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, सारण, सीवान, सुपौल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, गया, कटिहार, किशनगंज, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पश्चिम चम्पारण, पटना, पूर्वी चम्पारण, पूर्णियाँ, समस्तीपुर और वैशाली में किया जायेगा।
भारत में, ड्रैगन फ्रूट का आयात 2017 में 327 टन के साथ शुरू हुआ था, जो 2019 में 9,162 टन तक तेजी से बढ़ गया और 2020 और 2021 के लिए अनुमानित आयात लगभग 11,916 और 15,491 टन है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के पहले साल में आर्थिक उत्पादन के साथ बहुत तेज़ प्रॉफिट देता है और पूरी तरह से बढ़िया उत्पादन तीन-चार साल में होता है। पौधों की उम्र लगभग 20 वर्ष होती है।
ड्रैगन फ्रूट विकास योजना से संबंधित मुख्य बातें
योजना का लाभ न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 10 एकड़ (4 हेक्टेयर) के लिए दिया जाएगा। क्षेत्र विस्तार के लिए पौध रोपण सामग्री की व्यवस्था किसान को खुद करनी होगी।
इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुदान की राशि पहले साल में 1,80,000 रुपए, दूसरे साल 60,000 और तीसरे साल 60,000 रुपए दिया जाएगा।
इच्छुक किसान आवेदन करने से पहले DBT में पंजीकृत बैंक खाता सम्बंधित विवरण की जाँच खुद से कर लें। नियमानुसार सहायता अनुदान DBT कार्यक्रम के तहत् CFMS द्वारा भुगतान किया जाएगा।
लाभार्थियों का चयन सामान्य श्रेणी में 78.56 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 1.44 प्रतिशत किया जाएगा। हर एक श्रेणी में 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी।
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को डीबीटी पोर्टल http://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किसानों का चयन किया जाएगा।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में इन बातों का भी रखें ध्यान
- इसकी खेती के लिए मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए; ताकि मिट्टी में वायु रिक्तियाँ या कहें हवा पास होती रहे।
- खेत में जलभराव नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसका पौधा कैक्टस की तरह ही होता है।
- इसे ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती, बस नमी चाहिए होती है।
- प्लांटेशन के लिए सही समय का चुनाव करें, बहुत ज़्यादा सर्दी या बहुत ज़्यादा गर्मी नहीं होनी चाहिए।
- सही समय पर कटाई की जानी चाहिए।
- बीमारी के नाम पर ड्रैगन फ्रूट में फंगस का ख़तरा रहता है।
- तापमान ज़्यादा कम या बहुत अधिक गर्म नहीं होना चाहिए।
- नमी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए वरदान का काम करती है।