जिस सूबे को मखाना का खज़ाना कहा जाता है वहाँ एक ख़ास महोत्सव होने जा रहा है; महोत्सव भी ऐसा वैसा नहीं, राष्ट्रीय स्तर का, जिसमें देश भर से किसान, कारोबारी, कृषि वैज्ञानिक और पत्रकार तो जुटेंगे ही विदेशी मेहमानों के भी आने की संभावना है।
राज्य की राजधानी पटना में एक-दो दिसंबर को राष्ट्रीय मखाना उत्सव होने जा रहा है।
मिथिलांचल का मखाना अब इंटरनेशनल ब्रांड है, यही वजह है कि पान की दुकान में लटके चिप्स की तरह अब मखाना स्नैक्स के पैकेट, मखाना खीर और मखाना फ्लेक्स की बिक्री हो रही है।
इसकी एक वजह इसको जीआई टैग का मिलना है। ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग’ खास उत्पाद के क्षेत्र, उसके इतिहास और गुण के आधार पर मिलता है, जिसके लिए किसी व्यक्ति, संस्था या सरकार की तरफ से आवेदन किया जा सकता है। अगस्त 2022 में बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के मखाना को ये टैग भी मिला था।
बिहार के उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग की ओर से होने वाले राष्ट्रीय मखाना महोत्सव में अलग-अलग प्रदेशों के प्रतिनिधि भी जुटेंगे ।
बिहार सरकार ने मखाना विकास योजना की शुरुआत भी की है, जिसके तहत किसान भाइयों को 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इस योजना से न केवल मखाना की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि ज़्यादा किसानों का रुझान मखाना की तरफ बढ़ेगा।
मखाना महोत्सव 2023 का आयोजन दिनांक 01-02 दिसंबर को ज्ञान भवन, गांधी मैदान, पटना में किया जा रहा हैं। @KumarSarvjeet6 @SAgarwal_IAS @dralokghosh @abhitwittt @HorticultureBih @Bau_sabour @BametiBihar @AgriGoI @IPRD_Bihar pic.twitter.com/sPp3Rx4IKY
— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) November 27, 2023
बिहार सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी राशि सीधे लाभार्थी किसानों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजी जाती है। मखाना विकास योजना का लाभ बिहार राज्य के 11 जिलों के किसानों को मिल रहा है।
इस महोत्सव का आयोजन पटना के गाँधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में किया जा रहा है, जो शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है।
दुनियाभर में मखाने का लगभग 90 फीसदी हिस्सा बिहार में पैदा होता है।
इस मखाना महोत्सव का मकसद राष्ट्रीय स्तर पर मखाना के उत्पादन में वृद्धि और बाज़ार के नए आयाम की तलाश करना है। इस महोत्सव में प्रगतिशील किसानों और उत्पादक कंपनी, निर्यातकों, ट्रेडर्स, वैज्ञानिक सहित कई लोगों को बुलाया गया है।
एक जिला एक उत्पाद के तहत छह जिलों दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, कटिहार और अररिया में मखाना उत्पादन किया जा रहा है। इस महोत्सव में पौष्टिक पदार्थ मखाना की डिजिटल मार्केटिंग पर भी चर्चा होगी।
कैसे होती है मखाना की खेती
मखाना की खेती मुख्य रूप से पानी की घास के रूप में होती है। इसको कुरूपा अखरोट भी कहा जाता है।
मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है, जिसके अंदर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में होता है जो इंसान के लिए लाभदायक हैं। इसका इस्तेमाल खाने में लोग मिठाई, नमकीन और खीर बनाने में करते हैं। इसके अलावा दूध में भिगोकर इसे छोटे बच्चों को खिलाया जाता है।
देश में इसकी खेती गर्म और शुष्क जलवायु वाले प्रदेशों में की जा सकती है। इसके पौधे पर कांटेदार पत्ते आते हैं जिन पर बीज बनते है। इसके पत्तों से बीज निकलने के बाद वो तालाब की सतह में चले जाते हैं, जिन्हें पानी से निकालकर इकठ्ठा किया जाता है।