कई किसानों के लिए तो पहली बार था जब वो किसी ऐसे मेले में शामिल हुए थे, जहाँ पर थीं खेती-किसानी के काम की ढेर सारे यंत्र और साथ ही कृषि वैज्ञानिकों की सलाह भी।
ये सभी किसान शामिल हुए थे भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में आयोजित एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मेले में, जिसमें लगभग 400 किसानों ने भाग लिया।
यही नहीं इस कार्यक्रम में अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के तहत 300 अनुसूचित जाति के किसानों को बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर वितरित किए गए।

भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक, डॉ. रसप्पा विश्वनाथन ने इस मेले के बारे में बताया, “इस प्रकार की कृषि मशीनरी से साझा ज्ञान का प्रसार और स्प्रेयर के वितरण से किसानों की खेती की लागत कम करने में मदद मिलेगी।”
इस मेले में कृषि अभियांत्रिकी प्रभाग द्वारा विकसित विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकियों और मशीनरी का भी प्रदर्शन किया गया। इसका आयोजन ‘फार्म मशीनरी में उत्कृष्टता केंद्र’ परियोजना, एआईसीआरपी (फार्म इम्प्लीमेंट्स एंड मशीनरी) और एआईसीआरपी (पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) के सहयोग से किया गया था।
प्रदर्शित प्रौद्योगिकियों में उन्नत गन्ना मशीनरी जैसे डीप फरो गन्ना कटर प्लांटर, रेज्ड बेड गन्ना कटर प्लांटर-कम-सीडर, और गन्ना रटून प्रबंधन उपकरण (डिस्क आरएमडी) जैसे कई छोटे उपकरण शामिल थे। साथ ही गुड़ और इसके मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए विकसित प्रक्रिया इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों का भी प्रदर्शन किया गया।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डॉ. ए. के. सिंह (प्रमुख, कृषि अभियांत्रिकी प्रभाग) ने किसानों का स्वागत करते हुए कहा, “बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर से कृषि कार्यों में रसायनों के इस्तेमाल की दक्षता में सुधार होगा।”
किसानों ने इस मेले में प्रदर्शित तकनीकों की सराहना करते हुए कहा कि ये प्रौद्योगिकियां उनकी खेती के तरीकों में सुधार लाने में मददगार होंगी और उनकी आय में वृद्धि का माध्यम बनेंगी। कुल मिलाकर, यह मेला किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और यंत्रों से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे उनकी खेती अधिक लाभप्रद और टिकाऊ बन सकेगी।
डॉ. संगीता श्रीवास्तव (प्रभारी पीएमई सेल) ने इस योजना के महत्व पर जोर देते हुए विशेष रूप से महिला किसानों से स्प्रेयर का अधिकतम उपयोग करने की अपील की। उनका मानना है कि महिलाएं खेती के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इस प्रकार की मशीनरी का उपयोग करके वे अपनी कृषि उत्पादकता और दक्षता को और अधिक बढ़ा सकती हैं।