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शाही प्रजाति की लीची के बागों में इन दिनों भूल कर भी ना करें ये गलती

फलों की तुड़ाई से 15 दिन पहले कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए;; बिना वजह कृषि रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए इससे फल की गुणवत्ता यानी क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
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पिछले कुछ दिनों से बिहार के अधिकांश इलाके में जहाँ पर लीची की खेती होती है वातावरण लीची के अनुकूल हो गया है। यहाँ पर बारिश होने की संभावना है। जिसके बाद तापमान में भारी कमी आएगी और वातावरण नम हो जाएगा, जिसकी वजह से बिहार की मशहूर शाही प्रजाति की लीची भी पकने लगेगी।

इस समय फल छेदक कीट के आक्रमण की संभावना बढ़ जाएगी। अगर बाग का ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया तो नुकसान होने की संभावना बढ़ जाएगी।

लीची में फूल आने से लेकर फल की तुड़ाई के पहले सिर्फ 40 से 45 दिन का समय मिलता है। इसलिए लीची उत्पादक किसान को बहुत सोचने का समय नहीं मिलता है। ऐसे में तैयारी पहले से करके रखने की ज़रूरत है।

समय पर करें कीटनाशक का छिड़काव

लीची की सफल खेती के लिए ज़रूरी है कि लीची में लगने वाले फल छेदक कीट को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया जाए। लीची की सफल खेती में इसकी दो अवस्थाएँ काफी महत्वपूर्ण होती हैं; पहली अवस्था जब फल लौंग के बराबर के होते हैं, जो की निकल चुकी है और दूसरी अवस्था जब लीची के फल लाल रंग के होने प्रारंभ होते हैं।

इन दोनों अवस्थाओं पर फल बेधक कीट के नियंत्रण के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव ज़रूरी है। लीची में फल छेदक कीट का प्रकोप कम हो इसके लिए ज़रूरी है कि साफ-सुथरी खेती को बढ़ावा दिया जाए।

लीची में फल बेधक कीट से बचने के लिए थायो क्लोप्रीड (Thiacloprid) और लमडा सिहलोथ्रिन (Lambda cyhalothrin) की आधा आधा मिलीलीटर दवा को प्रति लीटर पानी या नोवल्युरान 1.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

अगर बारिश होने के ठीक पहले आपने छिड़काव किया था; तो आपको सलाह दी जाती है की फिर छिड़काव कर दें। इसके बाद किसी कीटनाशक का छिड़काव नही करना चाहिए। फल की तुड़ाई से 15 दिन पहले कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करना चाहिए, अन्यथा फलों में कीटनाशकों के मौजूदगी की संभावना रहती है।

फल का छिलका जलने पर क्या करें

अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कहीं कहीं पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आस पास पहुँच गया था, जिसकी वजह से फल के छिलकों पर जलने जैसा लक्षण दिखाई देने लगा था, धूप से जले छिलकों की कोशिकाएं मर गई थी, अब जब की फल के गूदे का विकास अंदर से होगा तो छिलके जले वाले हिस्से से फट जाएंगे।

इस तरह से लीची के जो भी फल फटेंगे उसका समाधान ओवर हेड स्प्रिंकलर ही है। मशहूर शाही लीची के फलों की तुड़ाई 20-25 के आस पास करते हैं। फलों में गहरा लाल रंग विकसित हो जाने मात्र से यह नहीं समझना चाहिए कि फल तुड़ाई योग्य हो गया है। फलों की तुड़ाई फलों में मिठास आने के बाद ही करनी चाहिए। फलों की तुड़ाई से 15 दिन पहले कीटनाशकों का प्रयोग अवश्य बंद कर देना चाहिए। बिना वजह कृषि रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए इससे फल की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

देश में लीची का कारोबार

दुनिया में लीची उत्पादन के मामले में भारत दूसरे नंबर पर हैं। पहले नंबर पर चीन की लीची है; इसका फल लाल छिलकेदार होता है जिसमें सफेद रंग का गूदा होता है। भारत की अगर बात करें तो लीची उत्पादन के मामले में बिहार सबसे आगे है। यहाँ के मुजफ्फरपुर की शाही लीची पूरे देश में मशहूर है। देश की कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 42.55 फीसदी है। 

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