देश में प्राकृतिक खेती पर पास ध्यान दिया जा रहा है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा कि देश में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस दौरान गंगा के किनारे रहने वाले किसानों पर खास फोकस रहेगा, इसके लिए गंगा के किनारे 5 किलोमीटर चौड़ा कॉरिडोर बनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले साल 16 दिसंबर को गुजरात के आणंद में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती के महत्व पर संबोधित किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है।
Chemical-free #Natural farming to be promoted throughout the country, with focus on farmers’ lands in 5-km-wide corridors along the river #Ganga in the first stage #Budget2022 #AatmaNirbharBharatKaBudget @AgriGoI
— PIB India (@PIB_India) February 1, 2022
प्राकृतिक खेती यानी Natural Farming के फायदे बताते हुए प्रधानमंत्री ने आगे कहा था कि नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान हैं। वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी।
प्राकृतिक खेती पूरी तरह से रसायन मुक्त प्रक्रिया होती है, इसमें प्राकृतिक रुप से तैयार उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में मिट्टी की सेहत में सुधार होता है।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2020 तक लगभग 2.78 मिलियन हेक्टेयर में जैविक खेती होती है। यह देश में 140.1 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध बुवाई क्षेत्र का दो प्रतिशत है।
सिक्किम एकमात्र भारतीय राज्य है जो अब तक पूरी तरह से जैविक हो गया है। शीर्ष तीन राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र – में जैविक खेती के तहत लगभग आधा क्षेत्र है।
इस बीच, गुजरात सरकार ने डांग के आदिवासी जिले को 100% प्राकृतिक खेती वाला जिला बनाने की घोषणा की है। अगले पांच वर्षों में, डांग जिले के लगभग 53,000 हेक्टेयर को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित किया जाएगा।