बारिश आते ही किसान खरीफ़ फ़सलों की खेती की तैयारी शुरु कर देते हैं, ऐसे में उनके लिए जानना ज़रूरी है कि इस समय किन बातों का ध्यान रखकर बढ़िया उत्पादन पा सकते हैं।
मानसून के शुरूआती चरण में प्रदेश में बिजली गिरने की संभावना अधिक है इसलिए सभी किसान भाई इसकी समय से पहले चेतावनी पाने के लिये अपने मोबाइल में दामिनी और सचेत ऐप डाउनलोड करें। इसके जरिए प्राप्त होने वाले दिशा निर्देशों के अनुसार ज़रूरी सावधानी बरतें, जिससे जान माल के नुकसान से बचा जा सकें।
युद्धस्तर पर करें धान की रोपाई
किसान भाई धान की कम अवधि की प्रजातियों की सीधी बुवाई ड्रम सीडर (खेत तैयार कर) या सीड ड्रिल (सूखी बुवाई) से कर सकते हैं। रोपाई वाले खेत में एक फीट ऊॅंची मेढ़ बनाएँ ताकि वर्षा जल संचित कर लाभ लिया जा सके।
खरीफ फसलों की बुवाई के लिए शोधित बीज का ही प्रयोग करें। अरहर का अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए रिज और मेड़ बनाकर मेड़ों पर बुआई करें।
गन्ना में चोटी बेधक कीट के प्रकोप से बचने के लिए अब तक कोई सुरक्षित उपचार नहीं किया है तो कर दें।
गन्ने में लाल सड़न रोग के लक्षण
गन्ने की पत्तियों की मध्य शिरा पर दिखने पर पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। उखाड़े गये स्थान पर ब्लीचिंग पाऊडर का बुरकाव अथवा थायोफिनेटमेथिल 0.2 प्रतिशत की ड्रेचिंग करें। लालसड़न रोग से प्रभावित खेत में स्वस्थ पौधों पर थायोफिनेट मेथिल 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें।
जिन किसानों ने हरी खाद के लिए सनई और ढैंचे की बुआई की है वह 40 से 42 दिन की पौध की पलटाई कर दें। आंशिक ऊसर खेतों में किसान भाई ढ़ैचा की बुवाई कर दें ताकि उसकी पलटाई के बाद अगली फसल ली जा सकें।
ऊसर सुधार के लिए जो कृषक पानी के अभाव में अभी तक खेतों में जिप्सम नहीं डाल पाये हैं वह जल्द से जल्द जिप्सम आवश्यकता के अनुरूप डाल दें।
सरकार की प्राथमिकताओं के दृष्टिगत ‘‘श्री अन्न’’ जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदों आदि की खेती को महत्ता दी जाए। इन फसलों की खेती से मौसम के प्रभाव से भी बचाव किया जा सकता है।
धान की ‘‘डबल रोपाई या सण्डा प्लाटिंग’’ के लिए तीन सप्ताह की अवधि के पौधे की प्रथम रोपाई 20 गुणा 10 सेमी. की दूरी पर करना सुनिश्चित करें।
खरीफ की इन किस्मों की करें बुवाई
श्री अन्न सावां की संस्तुत प्रजातियों यथा आई.पी.-149, यू.पी.टी.-8, आई.पी.एम.-97, आई.पी.एम.-100, आई.पी.एम.-148 व आई.पी.एम.-151 की बुआई करें। कोदों की संस्तुत प्रजातियों जे.के.-6, जे.के.-62, जे.के.-2, ए.पी.के.-1, जी.पी.वी.के.-3 की बुआई करें।
ज्वार की संस्तुत संकुल प्रजातियों यथा वर्षा, सी.एस.वी.-13, सी.एस.वी.-15, एस.पी.बी.-1388 (बुन्देला), विजेता तथा संकर प्रजातियों सी.एस.एच.-16, सी.एस.एच.-9, सी.एस.एच.-14, सी.एस.एच.-18, सी.एस.एच.-13 व सी.एस.एच.-23 की बुवाई करें।
अरहर की देर से पकने वाली उन्नतशील किस्मों में नरेन्द्र अरहर 2, मालवीय चमत्कार, राजेन्द्र अरहर-2, मालवीय विकास, पूसा 9, आजाद, नरेन्द्र अरहर 1, अमर, बहार, आई.पी.ए.-206, पूसा अरहर 151 तथा आई.पी.ए.-15-2 की बुवाई मेढ़ों पर करें।
तिल की उन्नत किस्मों में गुजरात तिल-6, आर.टी.-346, आर.टी.-351, तरुण, प्रगति, शेखर, टा-78, टा-13, टा-12 तथा टा-4 बेहतर है।
सोयाबीन की सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए उन्नत किस्मों में पी.के. 472, पी.एस. 564, पी.के. 416, पी.एस. 1024, पूसा-16, पी.एस.1042, जे.एस. 20-34, जे. एस. 20-98, पंत सोयाबीन-26, जवाहर सोयाबीन 20-116, बुंदेलखण्ड हेतु संस्तुत जी.एस.-2, जे.एस.-93-5, जे.एस.-72-44, जे.एस.-75-46, पूसा-20, जे.एस.-335, एम.ए.यू.एस.-47, एन.आर.सी.-37 तथा तराई क्षेत्र तथा भांभर क्षेत्र हेतु संस्तुत पी.के.-262 की बुवाई करें।
मूंगफली की उन्नत किस्मों में जी.जे.जी.-9, जी.जे.जी.-31, दिव्या (सीएसएमजी-2003-19), अम्बर (सीएसएमजी-84-1), चित्रा (एम.ए.-10), कौशल, टी.जी.-37 ए, टा-64, टा-28 तथा प्रकाश की बुवाई से अच्छा उत्पादन मिल सकता है।
फूलगोभी की अगेती किस्मों में अर्ली कुवारी, पूसा अर्ली सिंथेटिक, पंत गोभी-3, पूसा दीपाली आदि किस्मों का 500 से 600 ग्राम बीज प्रति . की दर से नर्सरी तैयार करें।
बागवानी फसलों के लिए ज़रूरी सलाह
आम में फल मक्खी से बचाव के लिए मिथाइल युजिनाल एवं क्यू ल्योर ट्रैप 8-10 ट्रैप प्रति हे. में 6 से 8 फुट की ऊंचाई पर टहनियों में बांध कर लटकाये और नीम एक्सट्रैक्ट 5 प्रतिशत प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें । साथ ही 20-25 दिन के अंतराल पर ल्योर को बदलते रहना चाहिये।
केले के नवीन बाग लगाने हेतु ऊतक संवर्धन रोगरोधी जी-9 प्रजाति लगाएँ।
पशुपालक निपटा लें ये ज़रूरी काम
वर्तमान में गलघोटू बीमारी का 15 जुलाई तक निःशुल्क टीकाकरण चल रहा है। यह सुविधा पशु चिकित्सालयों पर उपलब्ध है।
खुरपका और मुंहपका (एफ.एम.डी.) बीमारी का 15 जुलाई से 30 अगस्त तक 60 जनपदों में और लम्पी त्वचा रोग का टीकाकरण 15 सितम्बर से प्रदेश के सभी जनपदों में निःशुल्क चलाया जायेगा।
कृषकों/पशुपालकों को पशु चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए विभाग के द्वारा मोबाइल वेटनरी यूनिट योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना का लाभ लेने के लिए सभी कृषक/पशुपालक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1962 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
मछली पालक ध्यान दें
कतला, रोहू, नैन प्रजातियों का प्रजनन का समय आ गया है। कतला, रोहू, नैन मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन करायें। सिल्वर कार्प और ग्रास कार्प मत्स्य प्रजातियों का मत्स्य बीज वर्तमान में उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम में उपलब्ध है, इसलिए मत्स्य पालक जनपदीय कार्यालय से सम्पर्क कर मत्स्य बीज संचय करायें।