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यूपी: तीन दिन की बारिश में खेतों में हर तरफ तबाही का मंजर, धान, आलू और सब्जियों की फसलें बर्बाद

तीन दिन की बेमौसम भारी बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। न सिर्फ खेतों में लगी फसलें बर्बाद हुई हैं बल्कि इस बारिश से खेती का पूरा चक्र गड़बड़ा गया है। गांव कनेक्शन टीम की रिपोर्ट
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बाराबंकी/कन्नौज/शाहजहांपुर/सीतापुर/उन्नाव। तीन दिन की बेमौसम मूसलाधार बारिश से उत्तर प्रदेश में धान, आलू, हरी सब्जियों, केला और गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों की मानें तो धान की फसल में कम से कम 30-40 फीसदी का नुकसान हो जाएगा। वहीं सब्जियों की नर्सरी लगभग पूरी तरह खराब हो गई, जिसका असर सर्दियों में सब्जियों की कीमतों में दिख सकता है। अगैती आलू सड़ने से आलू की कीमतें भी बढ़ सकती हैं और बुवाई पिछड़ सकती है।

कन्नौज के किसान वीरभान ने करीब 7 दिन पहले एक लाख रुपए से ज्यादा की लागत लगाकर दो एकड़ से ज्यादा खेत में आलू बोए थे, अब उनके खेत में घुटने तक पानी भरा है। बरके राजा गांव के वीरभान कहते हैं, ” कल रात में 7 बजे से 2 बजे तक इतना पानी गिरा की खेत तालाब हो गए। 11 बीघा आलू था हर बीघे में 10-11हजार की लागत आती है। अब फिर से बोना पड़ेगा।”

कन्नौज से करीब 150 किलोमीटर दूर शाहजहांपुर-बरेली बॉर्डर के गांव फीलनगर में इतना पानी है कि 19 अक्टूबर को सड़क के ऊपर से पानी बह रहा था। नदियों और तालाबों से जलुकंभी बहकर आसपास किसानों के खेतों में जमा गई गई थी। शाहजहांपुर में फीलनगर के किसान बालकराम (40 वर्ष) ने 20 हजार की लागत से गोभी लगी थी तो जलमन्न हो गई। अपना जलमग्न खेत दिखाते हुए वो कहते हैं, “मेरा खेत पूरी तरीके से पानी में डूब चुका है। मैंने तीन बीघा (आधे एकड़ से ज्यादा) गोभी भी लगाई थी, जिसमें 20 हजार तो लागत लग गई होगी लेकिन सब बर्बाद हो गया।” इसी गांव के किसान सोनू सिंह (30 वर्ष) के मुताबिक उन्होंने 15 साल बाद इस मौसम में इतनी बारिश देखी है। उनकी धान और गन्ने की कई एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है।

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यूपी के बाराबंकी में भारी बारिश में केले की फसल को नुकसान।

बाराबंकी जिले में गौरा सैलक गांव के वकील अहमद के मुताबिक उनके इलाके में 50-60 फीसदी धान का नुकसान हो गया है। वो कहते हैं, इस बारिश से किसान का सिर्फ नुकसान ही नुकसान है। धान जो खेत में कटा था वो बर्बाद है। आलू की तैयारी चल रही थी तो खेत जोतने के तैयार नहीं हो पाएंगे। आलू अब पिछड जाएगा, जिन्होंने बोला है वो सड़ जाएगा।”

कन्नौज के वीरभान, शाहजांपुर के बालकराम, बाराबंकी के वकील अहमद का दर्द किसानों को बारिश से मिले जख्मों की बानगी भर है। यूपी में 17 अक्टूबर से शुरु हुई भारी बारिश और तेज हवा के चलते लाखों किसानों की फसलें देखते-देखते बर्बाद हो गई हैं। किसानों के मुताबिक धान, आलू, गन्ना, गोभी, केला, करेला, धनिया,मूली बैंगन समेत लगभग हरेक फसल को नुकसान हुआ है क्योंकि तीन दिन की लगातार बारिश के बाद हर तरफ पानी हो गया और जलनिकासी नहीं हो पाई।

24  घंटे में यूपी में 1600 फीसदी से ज्यादा बारिश

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 18 अक्टूबर को सुबह 8.30 बजे से लेकर 19 अक्टूबर को सुबह 8.30 बजे तक 24 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश में सामान्य की 1.6 मिलीमीटर बारिश के मुकाबले 28.5 फीसदी बारिश हुई जो औसत से 1681 फीसदी ज्यादा है। इतन ही नहीं 17 अक्टूबर की सुबह से 18 अक्टूबर की सुबह तक अकेले लखनऊ में 24 घंटे में 10000 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी।

एक साथ इतनी बारिश ने किसानों के हाथ आ रही तैयार फसलों को लगभग छीन लिया है। बाराबंकी जिले में तहसील फतेहतपुर में कुद्दतापुर के बुजुर्ग किसान सत्रोहन राजपूत (60 वर्ष) कहते हैं, “धान काटा पड़ा है वो बह गया है, कुछ जम गया है। जो खेत में लगा है वो हवा बयार से उसी खेत में मिल जाएगा। किसान की दिक्कत बढ़ गई है। पहले पिपरमिंट (मेंथा) चली गई थी। अब धान गया। खाने का ठिकाना नहीं। आगे की फसल का सहारा नहीं है।”

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से मांगी नुकसान की रिपोर्ट

प्रदेश में अतिवृष्टि की बाद हालात की समीक्षा करते लखनऊ में सीएम आदित्यनाथ ने जिलाधिकारियों से फसलों के नुकसान का आंकलन का तुरंत रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने 18 अक्टूबर को बैठक में कहा कि अतिवृष्टि और खराब मौसम के चलते जनहानि, पशुहानि के साथ-साथ क्षतिग्रस्त मकानों का आंकलन करते हुए पीड़ितों को अनुमन्य राहत राशि जल्द से जल्द दिलाई जाए। हालांकि कितना नुकसान हुआ इसकी अनुमान आंकलन के बाद ही मिलेगा।

जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीम योजना के तहत बीम कराया था उन्हें 72 घंटे में अपनी शिकायत दर्ज कराने की निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए है। नुकसान की शिकायत किसान यूपी में मुख्यमंत्री हेल्प लाइऩ नंबर 1076 पर भी करा सकते हैं।

प्रदेश में 59-60 लाख हेक्टेयर में होती है धान की खेती, ज्यादातर कटने को है बाकी

कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में इस वर्ष करीब 59-60 लाख हेक्टेयर में धान की फसल थी, जिसमें ज्यादातर जिलों में फसल तैयार है, जिसकी कटाई जारी थी। जबकि पूर्वांचल में दिवाली तक बड़े पैमाने पर फसल की कटाई शुरु हो जाती। अभी तक ज्यादातर उन किसानों की फसलें कटी जो कंबाइन से कटाई कराते हैं बाकि किसानों की फसलें हसिया से कटने के बाद खेत में सूखने के लिए पड़ी थी, इसी दौरान बारिश का सिलसिला शुरु हो गया। किसानों के मुताबिक धान की फसल में उनका अब चौतरफा नुकसान है। पहला तो कटाई में मजदूरी ज्यादा लगेगी, दूसरा उपज कम हो जाएगी और दूसरा जो दाना पैदा होगा उसका मार्केट में अच्छा रेट नहीं मिलेगा।

उन्नाव में बिछिया ब्लॉक में बेहटा नथई सिंह गांव के निवासी महेंद्र सिंह कहते हैं, “अब तो लगता है कि पता नहीं धान घर जाएंगे या खेत में ही सड़ जाएंगे। दो बीघे (एक एकड़ से थोड़ा ज्यादा) में बारह हजार रुपए की लागत आयी थी, धान गिर गया है, पैदावार कम हो जाएगी और जो तैयार होगा वह काला पड़ सकता है ऐसे में बेचना भी मुश्किल होगा।” उन्नाव में ही अजरायल खेड़ा के निवासी गुरु प्रसाद भारतीय (54 वर्ष) ने डेढ़ बीघा (करीब एक एकड़) खेत बटाई पर लेकर धान लगाया था, धान लगभग तैयार था। लेकिन सोमवार रात हुई तेज हवा के साथ बारिश ने पूरा धान गिरा दिया। गुरु प्रसाद गांव कनेक्शन को बताते हैं, “बटाई की खेती करके चार सदस्यों का परिवार पाल रहा हूं। कर्ज लेकर धान की फसल तैयार की थी,आवारा पशुओं से दिन रात रखवाली करके किसी तरह बचाया तो आज बारिश ने सब बर्बाद कर दिया, अब तो जो पैदा हो जाए हमारा भाग्य है।”

आलू और हरी सब्जियों की खेती को भारी नुकसान

नुकसान सिर्फ धान की फसल को नहीं हुआ। आलू किसानों को भी ये बारिश भारी झटका देकर जाएगी। कन्नौज में बरकागांव की किसान राम लक्ष्मी (60वर्ष) ने एक हफ्ता पहले पौने दो एकड़ आलू बोए थे, लेकिन जमने से पहले बारिश हो गई। अपने गांव को जाती सड़क पर परिवार के साथ मूंगफली साफ करती मिलीं राम लक्ष्मी बताती हैं, “7 दिन पहले पहले आलू गाड़े थे। कर्जा लेकर आए थे, कुछ आढ़त (व्यापारी) से, कुछ महाजनी (साहूकार) से पैसा लेकर आए थे। 90 हजार रुपए कुल लागत आई थी। हमारे 8 बच्चे हैं। सरकार से कुछ मदद नहीं मिली तो गरीब आदमी हम कहां जाएंगे।”

यूपी में कन्नौज, फर्रुखाबाद, आगरा, मैनपुर, ऐटा,इटावा, कानपुर देहात के बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है। ज्यादातर किसान यहां आलू की अगैती खेती करते हैं जो कच्चा आलू बोते हैं। कुछ किसानों ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही आलू की बो दिए थे जो 5-7 अक्टूबर को हुई बारिश में सड़ गए थे। कन्नौज बेल्ट के अलावा यूपी के बाराबंकी और सीतापुर में भी बड़े पैमाने पर आलू होता है।

बाराबंकी के ज्यादातर कोल्ड स्टोर से आलू निकलकर किसानों के घर तक पहुंच गया था, किसानों के खेत तैयार थे या किए जा रहे थे, जिनमें इसी हफ्ते बुवाई होनी थी लेकिन अब घर पहुंच चुका ज्यादातर आलू सड़ जाएगा। बाराबंकी में टांड़पुर तुरकौली गांव के किसान राम सागर शुक्ला ने 5 एकड़ आलू बोने की तैयारी की थी, उनका बीज खरीदकर स्टोर भी पहुंच गया था, एक खेत तैयार था इसी हफ्ते आलू की बुवाई होनी थी।

वो कहते हैं, “कन्नौज से आलू का बीज मंगाया है। इसी हफ्ते बुवाई की तैयारी थी, फिर पता चला की मौसम विभाग ने बारिश की चेतावनी जारी की है तो आलू कमरों में रखवा दिया। स्टोर से निकलने के बाद आलू पहले ही 10-20 फीसदी सड़ जाता है। अब इतनी बारिश हो गई तो खेत तैयार नहीं हो पाएंगे, अब देखना कितना आलू बचता है।’

बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार गांव कनेक्शन को बताते हैं, “आलू की लगभग 60 परसेंट तक की निकासी (कोल्ड स्टोरेज) हो गई थी। अनुमान है कि जिले में 10 फीसदी से ज्यादा बुवाई भी हो गई थी। लगातार गिरने से नुकसान होने की संभावना है।”

सर्दियों में महंगी न खरीदनी पड़ जाएं सब्जियां

धान और आलू के बाद सबसे ज्यादा नुकसान हरी सब्जियों को हो रहा है। किसानों के मुताबिक ज्यादातर इलाकों में खरीफ सीजन की गोभी तैयार नहीं हो पाई और सर्दियों के लिए जो नर्सरी लगाई गई थी या जिस गोभी की रोपाई हो गई थी, इतने पानी में उसका सड़ना तय है। गोभी के अलावा टमाटर और बैंगन को भी नुकसान है।

सीतापुर जिले में गोंदलामऊ ब्लॉक में बड़े पैमाने पर टमाटर और गोभी की खेती होती है। किसान अशोक मौर्या पिछले 6 वर्षों से 4-5 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे थे लेकिन ये लगातार दूसरा साल है जब उन्हें मौसम के चलते भारी नुकसान हुआ है।

अशोक मौर्य कहते हैं, “मैंने करीब 4 एकड़ (20 बीघा) जमीन ठेके पर लेकर खेती करता हूं। प्रति बीघा 5-6 हजार रुपए जमीन मालिक को देता है। टमाटर की नर्सरी को बारिश से भारी नुकसान पहुंचा है। इससे पहले भी बारिश हुई, जिसके चलते नर्सरी तैयार नहीं हो पाई। हजारों रुपए का उधार लेकर पेस्टीसाइड डाल चुका हूं लेकिन लगता नहीं इस बार नर्सरी बच पाएगी।”

उत्तराखंड की बारिश का यूपी में भी दिखेगा असर

उत्तराखंड में भारी बारिश से पश्चिमी यूपी के जिलों के साथ बैराज से नदियों में छोड़े गए चलते लखीमपुर, सीतापुर और बाराबंकी जिलों की तराई बेल्ट शारदा, घाघरा नदियों का जलस्तर दो से ढाई फीट बढ़ सकता है, जिससे कई जिलों में फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। लखीमपुर के जिलाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने कहा, ” दो दिन की बारिश से जनपद की नदियां उफान पर हैं। बनबसा बैराज (उत्तराखंड) से 5 लाख 33 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इतना पानी 2013 में जब छोड़ा गया था तो 181 गांवों में पानी घुसा था”

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक 20 अक्टूबर से यूपी का मौसम साफ होने लगेगा। लेकिन आसपास के राज्यों, उत्तराखंड और बिहार में बारिश का दौर जारी रह सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक लगभग एक दशक बाद ऐसा हुआ है जब अक्टूबर के इन दिनों में लगभग पूरे देश में इतनी भीषण Paddy, potato and green vegetables crops damaged in Uttar Pradesh due to heavy rainsबारिश का दौर चल रहा है।

मौसम की जानकारी देने वाली निजी संस्था स्काईमेट में मौसम विभान और जलवायु परिवर्तन विभाग के वाइस प्रेसिंडेट महेश पालावत के मुताबिक पिछले 10 साल में इस मौसम में सबसे ज्यादा बारिश है। इससे पहले 2011, 2004, 1954 और बीच में 2-3 बार ऐसा मौका आया जब अक्टूबर के दौरान इतनी बारिश हुई थी

मौसम में ये परिस्थितियां कैसे बनीं इन्हें महेश पालावत सरल शब्दों में ऐसे बताते हैं, “लो प्रेसर एरिया था जो बंगाल की खाड़ी से मध्य प्रदेश होते हुए उत्तर प्रदेश तक आया। और पूर्वी हवाएं बंगाल की खाड़ी से आईं, दक्षिण पश्चिमी हवाएं अरब सागर से आईं तो दोनों तरफ से नमी बहुत ज्यादा बढ़ी, उधर पहाड़ों पर कम कमजोर वेस्टर्न डिस्टर्वेंस (पश्चिमी विक्षोभ) इन सबके मिले जुले प्रभाव से रहता है।”

अमूमन जब कोई मौसम का सिस्टम बनता है तो उसका प्रभाव मध्य भारत तक ही रहता है, लेकिन इस बार इसका प्रभाव उत्तर भारत में भी है क्योंकि दोनों तरफ से हवाएं आईं हैं।

रिपोर्टिंग टीम- बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह, शाहजहांपुर से रामजी मिश्र,कन्नौज से अजय मिश्रा, सीतापुर से मोहित शुक्ला, उन्नाव से सुमित यादव

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