एक छोटी से तरकीब से आप धान की अच्छी फसल पा सकते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ वाईवी सिंह के मुताबिक अगर किसान ये जान लें, कि कैसे जीवाणु खाद से बीज उपचार करना हैं तो उनका काफी काम आसान हो सकता है।
सबसे पहले बीज को फफूंदनाशी से उपचार करना होता है, फिर जीवाणु खाद से उपचार करते हैं। इन दोनों के बीच में कम से कम एक घंटे का गैप रखना होता है।
जीवाणु खाद से उपचार करने के लिए पूसा द्वारा विकसित पूसा संपूर्ण का इस्तेमाल करते हैं।
इस ‘पूसा संपूर्ण’ में तीन जीवाणु हैं जिसमें एक नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है, दूसरा फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ता है और तीसरा पोटाश बढ़ता है। इसके अलावा जिंक सल्फेट की उपलब्धता भी बढ़ाता है।
ऐसे करें बीज उपचार
पहले आप बीज का उपचार कैसे करेंगे यह जान लीजिए। पूसा संस्थान में ‘पूसा संपूर्ण’ उपलब्ध है जो सौ मिलीलीटर के तरल घोल के रूप में उपलब्ध है। वह आपको लेना है और जिंक वाला जो घोल है वह तरल है वह पचास मिली के लिक्विड में उपलब्ध है।
दोनों को आपको बीज की मात्रा के हिसाब से उसको डायल्यूट करना है।
पूसा सम्पूर्ण की एक शीशी एक एकड़ के लिए पर्याप्त होती है। अब जो घोल मिक्स है उसे धान के बीज में धीरे-धीरे डाल कर उसके बाद हाथ से (ध्यान रखें हाथों मे दस्तानों का इस्तेमाल करें) और धीरे-धीरे मिला देंगे। कोशिश यही रहनी चाहिए कि सारे बीजों पर जीवाणु का घोल लगे और सारे बीज गीले हो जाएँ। अब इसे आधे-एक घंटे के सूखने के लिए रख देते हैं।
अब यह उपचारित बीज नर्सरी या सीधी बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। पूसा संपूर्ण की एक शीशी 175 रुपए में मिलती है और जिंक का घोल 75 रुपए शीशी मिलती है। इन दोनों का घोल एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
इसे किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या सरकारी बीज की दुकान से खरीद सकते हैं।