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गुलाबी सुंडी से कपास को बचाएगी ये प्लास्टिक की रस्सी

गुलाबी सुंडी से अपनी फसल बचाने के लिए किसान कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, फिर भी उनसे छुटकारा नहीं मिलता है। ऐसे में किसान पीबी नॉट तकनीक के इस्तेमाल से अपनी फसल बचा सकते हैं।
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पिछले साल हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में गुलाबी सुंडी यानी पिंक बॉल वर्म की वजह से कपास किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार किसानों को यही डर है कि कहीं फिर से न नुकसान हो जाए।

राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के मोहनपुरा गाँव के रहने वाले संतवीर सिंह को भी काफी नुकसान हुआ था। वो कहते हैं, “पहले गुलाबी सुंडी की वजह से नरमे का बहुत ज़्यादा नुकसान हो गया, कुछ किसानों ने दवाई के स्प्रे से सुंडी से बचने की कोशिश की तो बारिश और आंधी ने नुकसान कर दिया था।”

संतवीर ने अभी फिर कपास की बुवाई की है, ऐसे में उनके जैसे किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें?

महाराष्ट्र के कपास उत्पादक जिले वर्धा के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ जीवन कटोरे गुलाबी सुंडी से फसल बचाने का उपाय बता रहे हैं। डॉ जीवन गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “कपास को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए पीबी नॉट तकनीक विकसित की गई है; इससे कपास की फसल को बचाया जा सकता है।”

कपास की फसल बचाने के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में प्रोजेक्ट बंधन शुरू किया गया है, जिसमें एक छोटी सी प्लास्टिक की रस्सी से कपास को सुरक्षित रखा जा सकता है।

डॉ जीवन आगे कहते हैं, “पीबी नॉट 30 सेमी की विनाइल की रोप होती है, जिससे मादा कीट के फेरोमोन छोड़ती है; एक एकड़ में 20-25 नॉट लगते हैं। इन्हें 60-65 दिनों में बदलना होता है।”

आम तौर पर मादा पिंक बॉलवर्म सेक्स फेरोमोन छोड़ती है, ऐसे में जब पीबी नॉट से फेरोमोन की गंध आती है तो पर कीट उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, लेकिन जब उन्हें कुछ नहीं मिलता तो वयस्क पर कीट की मौत हो जाती है।

प्रोजेक्ट बंधन के तहत साल 2022-23 और 2023-24 में महाराष्ट्र के 720 एकड़, गुजरात के 300 एकड़, पंजाब के 180 एकड़, हरियाणा के 250 एकड़, आंध्र प्रदेश के 240 एकड़, राजस्थान के 125 एकड़ और तेलंगाना के 120 एकड़ में पीबी नॉट लगाया गया, जिससे अच्छे परिणाम भी मिले हैं।

डॉ जीवन आगे कहते हैं, “पीबी नीट के अलावा किसान फेरोमोन ट्रैप भी लगा सकते हैं, इससे भी पिंक बॉलवर्म से छुटकारा पाया जा सकता है।”

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