टमाटर भारतीय पकवान में सबसे अधिक मांग वाली सब्जियों में से एक है। हालांकि, लाखों भारतीयों को अपने नियमित भोजन की सब्जी का खर्च वहन करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि गर्मी की वजह से टमाटर का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
कम उत्पादन के कारण खुदरा टमाटर की कीमतें, जो पिछले महीने 30 रुपये प्रति किलोग्राम थी अब उससे बढ़कर 80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जो एक महीने के अंदर लगभग तीन गुना तक बढ़ गई है।
पिछले 20 वर्षों से टमाटर की खेती कर रहे उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के 52 वर्षीय किसान लाखन लोधी ने गाँव कनेक्शन को बताया,”गर्म हवाएं टमाटर के फूल को पौधे पर रुकने और फल बनने नहीं दे रही हैं। फूल सूख कर खेत में गिर रहे हैं और फल नहीं बन पा रहे हैं।”
सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के बालाऊ खेड़ा गाँव के किसान ने बताया,”अप्रैल के महीने में, मैंने एक बीघा (1 हेक्टेयर का चौथाई) जमीन से लगभग 150 कैरेट (प्रत्येक कैरेट का वजन 25 किलोग्राम) हार्वेस्ट कर रहा था। इन दिनों, मैं मुश्किल से 10 से 12 टोकरे ही हार्वेस्ट कर रहा हूं।” टमाटर की खेती के लिए किराए पर जमीन लेने वाले लोधी ने बताया, “इसमें कोई शक नहीं है कि कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन इतने कम उत्पादन के साथ, इन ऊंची कीमतों का भी कोई मतलब नहीं है। मैं बस अपनी लागत वसूल कर पा रहा हूं।”
गर्म हवाओं से सिर्फ टमाटर की फसल ही प्रभावित नहीं हुई है। इस साल मार्च में हीटवेव के जल्दी आ जाने की वजह से गेहूं, आम, नींबू, लीची और पिपरमेंट समेत कई फसलों के उत्पादन गिरावट आई है।
फसल के नुकसान के लिए कृषि वैज्ञानिक मान रहे हैं कि बेमौसम गर्मी और तापमान को जिम्मेदार है, क्योंकि मार्च से लेकर मई तक का महीना फूल और फलों के विकास के काफी अहम होता है। और तापमान में कोई भी अचानक बदलाव विकास प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
उन्नाव के धौरा में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक धीरज तिवारी ने गांव कनेक्शन को बताया, “हीटवेव और 40 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर का तापमान टमाटर के पौधे के लिए खतरे की घंटी है। फलों की अच्छी पैदावार के लिए इसे 20 से 25 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन हाल के वर्षों में हीटवेव की तीव्रता और आवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है, जिससे किसानों को टमाटर की खेती करना मुश्किल हो गया है।”
भारत में टमाटर की पैदावार
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत दुनिया में टमाटर उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
अक्टूबर, 2019 के मासिक रिपोर्ट में मंत्रालय ने बताया। “देश में टमाटर के प्रमुख उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश हैं। देश के कुल उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत इन राज्यों में होता है।”
लेकिन इस साल बढ़ती गर्मी ने टमाटर की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है और उत्तर प्रदेश के किसान इसे बेमिसाल कम उत्पादन बता रहे हैं।
छब्बीस वर्षीय धीरज पटेल का टमाटर का खेत उन्नाव के बिछिया ब्लॉक के दावतपुर गांव में रहते हैं, उन्होंने गाँव कनेक्शन से शिकायत की, “टमाटर के उत्पादन में नुकसान हकीकत में बेमिसाल है।”
पटेल ने बताया, “मैंने पिछले साल मई जून के समान महीनों में अपने खेत से दोगुने से अधिक उपज काटा। पिछले साल यह उपज 20 से 22 कैरेट से कम नहीं थी, लेकिन इस साल मैंने मुश्किल से 10 कैरेट हार्वेस्ट कर पाया हूँ।”
उन्नाव जनपद के जिला उद्यान अधिकारी राम निवास यादव ने गांव कनेक्शन को बताया कि उन्नाव जिले में 590 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की जाती है। 2020 में छपे एक शोध पत्र के अनुसार, उत्तर प्रदेश में टमाटर का औसत रकबा 10.6 हजार हेक्टेयर है, जिसका औसत वार्षिक उत्पादन 540.67 हजार मीट्रिक टन है।
बढ़ती मांग, घटती आपूर्ति
उन्नाव के अचलगंज कस्बे के 25 वर्षीय सब्जी कारोबारी इरफान कुरैशी ने गांव कनेक्शन को बताया कि स्थानीय स्तर पर उगाए गए टमाटर का स्टॉक खत्म हो गया है और जिले की सब्जी मंडी अब महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आपूर्ति पर निर्भर है।
कुरैशी ने बताया,”ऐसा देखा गया है कि जून के महीने में टमाटर की कीमतें बढ़ जाती हैं लेकिन कीमत इतनी ज्यादा कभी नहीं हुई हैं। उन्होंने आगे बताया,” उन्नाव में सबसे सस्ता टमाटर 80 रुपये किलो बिक रहा है। यहां टमाटर की कीमत दोगुने से भी ज्यादा है। हर गुजरते दिन के साथ मांग बढ़ती जा रही है और दूसरे राज्यों से टमाटर की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।”
यहां तक कि इसी जगह के एक होटल के मालिक धर्मेंद्र चौहान ने गांव कनेक्शन को बताया कि अगर टमाटर की कीमत कम नहीं हुई तो ग्रामीण इलाकों की छोटे फूड आउटलेट्स को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
चौहान ने बताया,”हम टमाटर के बगैर कारोबार नहीं कर सकते हैं। हम पिछले साल की गर्मियों के मुकाबले में तीन गुना महंगी कीमतों पर टमाटर खरीदने के लिए मजबूर हैं। कोई बात नहीं, यह हमारे रसोई में उपलब्ध होना चाहिए ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हमारे पास मेनू में क्या है।” उन्होंने आगे बताया, “कोविड महामारी में लगातार दो साल बर्बाद होने की वजह से पूरा होटल उद्योग धीरे-धीरे उस नुकसान से उबर रहा है।”
रेस्तरां के मालिक ने कहा,”इसके अलावा, बढ़ती गर्मी की स्थितियों ने टमाटर को ले जाना या संग्रहित करना मुश्किल बना दिया है। उन्हें रेफ्रिजरेशन के बिना स्टोर करना मुश्किल हो गया है क्योंकि वे इतनी गर्मी में एक दिन के भीतर खराब हो जाते हैं। मुझे लगता है कि यह टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी का एक अहम कारक है।”
टमाटर की कीमतों में वृद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बलाऊ खेड़ा गांव के टमाटर की खेती करने वाले लखन लोधी ने बताया कि उन्हें टमाटर के एक टोकरे के लिए 1,300 रुपये मिल रहे हैं – जो कि पिछले कुछ वर्षों में मिली सामान्य दर 250-300 रुपये से कई गुना ज्यादा है। हालांकि, कम उत्पादन का मतलब कोई लाभ नहीं है।
मुख्य वैज्ञानिक धीरज तिवारी ने बताया, “अगर किसान अपने पौधों को भीषण गर्मी से बचाने के लिए अपने खेतों में पॉलीहाउस स्थापित कर सकते हैं, तो मुमकिन है कि टमाटर का उत्पादन बढ़ जाए।” उन्होंने आगे बताया, “इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि पौधे में पर्याप्त नमी है और पौधे हीटवेव का शिकार न हों, पानी के लगातार छिड़काव की जरूरत है।”