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हल्दी किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार बनेगा हल्दी बोर्ड

हल्दी की खेती से लेकर उसे बाज़ार तक पहुँचाने के लिए किसानों की मदद के लिए देश में हल्दी बोर्ड की शुरुआत की गई है। पद्मश्री डॉक्टर सुभाष पालेकर का मानना है कि इससे छोटे किसानों को सबसे ज़्यादा फायदा होगा।
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हल्दी की खेती करने वाले किसानों की राह अब और आसान होने वाली है।

भारत सरकार ने आज 4 अक्टूबर को राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित कर दिया। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर ध्यान देगा।

“ये किसानों के हित की ख़बर है, इससे उन्हें हल्दी निर्यात में भी बड़ी मदद मिलेगी। हल्दी को खाने में इस्तेमाल करने की पुरानी भारतीय परम्परा है अगर इसका ज़्यादा से ज़्यादा उत्पादन हो तो अच्छा है। ” डॉ सुभाष पालेकर ने गाँव कनेक्शन से कहा।

देश के कई राज्यों में किसान हल्दी की खेती करते हैं, लेकिन कई बार उन्हें उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पाता है, ऐसे में उन किसानों के लिए हल्दी बोर्ड मददगार साबित होगा।

गुणकारी हल्दी के औषधीय गुणों के चलते दुनिया भर में इसकी माँग बनी रहती है। ऐसे में हल्दी बोर्ड जागरूकता और खपत बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाज़ार विकसित करने के अलावा नए उत्पादों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और मूल्य वर्धित हल्दी उत्पादों के लिए हमारे पारंपरिक ज्ञान के विकास का काम करेगा।

डॉक्टर पालेकर कहते हैं, “इसके कई फायदे हैं, अगर इसकी खेती में रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाए तो सेहत के लिए रामबाण है। कैंसर के इलाज तक में कारगर है।” वे आगे कहते हैं, “अगर किसान भाई इसकी खेती करते हैं तो कपास या गन्ने के साथ कर सकते हैं क्योंकि इसे छाया चाहिए। और सबसे बड़ी बात अगर मंडी में दाम ठीक न हो तो कुछ समय ज़मीन में ही उसे छोड़ सकते हैं।”

“यह एक एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है। ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद के साथ कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता है इसमे ।” डॉक्टर पालेकर इसके गुण गिनाते हुए गाँव कनेक्शन से कहते हैं।

हल्दी बोर्ड विशेष रूप से मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ पाने के लिए हल्दी उत्पादकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर फोकस करेगा।

ख़ास बात ये है कि बोर्ड गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों और ऐसे मानकों के पालन को भी प्रोत्साहित करेगा।

बोर्ड की गतिविधियां हल्दी उत्पादकों के क्षेत्र पर केंद्रित और समर्पित तथा खेतों के निकट बड़े मूल्यवर्धन के माध्यम से हल्दी उत्पादकों की बेहतर भलाई और समृद्धि में योगदान देंगी, जिससे उत्पादकों को उनकी उपज की बेहतर कीमत मिलेगी।

अनुसंधान, बाज़ार विकास, बढ़ती खपत और मूल्य संवर्धन में बोर्ड की गतिविधियाँ यह भी सुनिश्चित करेंगी कि हमारे उत्पादक और प्रोसेसर उच्च गुणवत्ता वाले हल्दी और हल्दी उत्पादों के निर्यातकों के रूप में वैश्विक बाजारों में अपनी प्रमुख स्थिति बनाए रखना जारी रखेंगे।

बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और किसान कल्याण, वाणिज्य और उद्योग विभाग, तीन राज्यों के वरिष्ठ राज्य सरकार के प्रतिनिधि (रोटेशन के आधार पर), अनुसंधान में शामिल राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, चुनिंदा हल्दी किसानों और निर्यातकों के प्रतिनिधि होंगे। बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी।

भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। साल 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक) के उत्पादन के साथ भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं और यह देश के 20 से अधिक राज्यों में होती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।

हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 के दौरान, 380 से अधिक निर्यात द्वारा 207.45 मिलियन डॉलर मूल्य के 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया गया था।

भारतीय हल्दी के लिए प्रमुख निर्यात बाज़ार बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं। बोर्ड की केंद्रित गतिविधियों से यह उम्मीद की जाती है कि 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।

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