उत्तर प्रदेश के गोंडा में रायपुर गाँव के शिव कुमार अब जीवन में जीत पर यकीन रखते हैं।
कभी आत्महत्या की सोच रखने वाले इस शख़्स की ज़ुबान पर अब हर वक़्त एक ही शब्द रखता है दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है। ऐसा संभव हुआ है गाँव कनेक्शन के एक वीडियो से जो उन्होंने बुरे दौर में अपने फोन पर देखा था।
नौकरी चली जाने के बाद शिव कुमार इतना टूट गए थे कि आगे का जीवन पहाड़ लगने लगा और मौत आसान रास्ता, लेकिन तभी गाँव कनेक्शन के वीडियो ने उनकी ऐसी सोच बदली कि अपने दम पर खेती करनी शुरू कर दी और आज एक सफल उद्यमी किसान बन गए हैं।
शिव कुमार का खेत किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है, आए दिन यहाँ पर किसानों के साथ कृषि वैज्ञानिक तक नई जानकारियाँ लेने आते रहते हैं। आज अपने ज़िले ही नहीं पूरे प्रदेश में इनकी पहचान प्रगतिशील किसान के रूप में है।
39 वर्षीय शिवकुमार मौर्या गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “सरकारी विभाग में संविदा पर था जब साल 2011 में मेरी नौकरी छूटी तब मैं कुछ समय के लिए कभी दिल्ली, कभी कलकत्ता, मुम्बई जैसे बहुत सारे शहर में नौकरी की तलाश में भटकता रहा। कभी-कभी तो ऐसा लगता था की सुसाइड कर लूँ, लेकिन फिर मुझे लगता था ये सही नहीं हैं।”
वो आगे कहते हैं, “एक दिन मैं अपने बगीचे में बैठकर फोन देख रहा था, तभी गाँव कनेक्शन का किसान से जुड़ा एक वीडियो दिखा , मुझे लगा मैं भी ऐसा ही कुछ कर सकता हूँ; मुझे बहुत मोटिवेशन मिला और मुझे लगा की किसान भी कुछ कर सकते हैं।”
इसके बाद शिवकुमार कृषि विज्ञान केंद्र, गोंडा गए जहाँ पर उन्हें खेती की उन्नत तकनीकों और प्रयोगों के बारे में जानकारी मिली।
अभी शिवकुमार ने खेती शुरू ही की थी कि कोविड महामारी आ गई, लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा; शुरुआत की सहजन से, बीज लेकर आए और उसकी खेती शुरू कर दी।
शिवकुमार कहते हैं, “धीरे-धीरे मैंने खेती का विस्तार करना शुरू किया और एलोवेरा की खेती शुरू की और फिर एलोवेरा जूस और जेल बनाने के लिए प्रोसेसिंग मशीन खरीद ली; अब तो हम एलोवेरा से जूस बनाते हैं और उनकी पत्तियों से जेल तैयार करते हैं।”
शिवकुमार मौर्या अब एलोवेरा जूस, जेल के साथ ही सहजन पाउडर और गन्ने का सिरका भी बनाकर बेचते हैं। उनकी पत्नी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष हैं, जिनसे कई महिलाओं को भी फायदा हो रहा है।
शिवकुमार की पत्नी कुसुम मौर्या ने एमए के साथ एएनएम की भी पढ़ाई की है। उनके घर में ऐसे हालात नहीं थे कि कहीं बाहर जाकर नौकरी कर पातीं, इसलिए खेती में अपने पति का साथ देती हैं। 38 साल की कुसुम गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “खेती तो बचपन से ही देखती आ रही थी, अब पूरी तरह से इसमें लग गईं हूँ; अब प्रोसेसिंग के बाद मार्केट तक जाने में और बेचने तक मैं सारी चीजे देखती हूँ।”
“एक समय ऐसा भी आया था जो हमारे लिए बहुत मुश्किल रहा, लेकिन अब हम सही से काम कर पा रहे हैं, “कुसुम ने आगे कहा।
शिवकुमार ने अपने एक बाग में 500 पेड़ लगा रखे हैं, साथ ही तीन एकड़ में कई तरह की खेती करते हैं। उन्होंने अपनी दुकान भी शुरू की है, जिसमें गन्ने का सिरका, मोरिंगा पाउडर, एलोवेरा जूस, एलोवेरा जेल बेचते हैं। अपने खेत में कई तरह की मौसमी सब्जियों की भी खेती करते हैं।
समय समय पर यहाँ किसानों को ऐलोवेरा की खेती के लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है। शिवकुमार को सरकार की फ़ार्म मशीनरी बैंक योजना के बारे में पता चला। जिसमें किसान 10 लाख के अंदर कोई भी कृषि यंत्र खरीद सकता हैं, जिसमें 8 लाख सरकारी अनुदान मिलता है। शिवकुमार ने इसकी मदद से कई कृषि यंत्र भी खरीद लिए हैं।
अशोकपुर टिकिया गाँव के 45 वर्षीय ज्ञान प्रसाद वैसे तो एक कवि हैं, लेकिन खेती-किसानी भी करते रहते हैं और शिवकुमार से जुड़कर खेती करते रहते हैं।
ज्ञान प्रसाद गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “शिवकुमार के पिता औषधि खेती करते थे हम उनसे जुड़े थे; उनके साथ ही शिवकुमार से भी जुड़ना हुआ, उनसे जुड़ने के बाद हमने परवल की खेती शुरू की, साथ ही बागवानी भी शुरू करने वाले हैं।”
शिवकुमार ने पौधों की नर्सरी भी बना रखी है। इस नर्सरी में वो आम, नींबू, परवल और पपीते के पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाते हैं। इन्हें नेपाल के लुंबनी में अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण योद्धा पुरस्कार से सम्मानित किया गया और अभी बीएचयू में भी सम्मानित किया गया है।
आज की तारीख में शिव कुमार की मेहनत इतनी रंग लाई है कि दूर-दूर से किसान उनका खेत देखने आते हैं। उन्हें कई कार्यक्रमों में उनके अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।