सोसो खुर्द (रामगढ़), झारखंड। रेणु देवी रांची-बोकारो रोड के पास स्थित झोपड़ी से सब्जी बेचती हैं। वे झारखंड के जिला रामगढ़ के सोसो खुर्द गाँव की रहने वाली हैं और वहीं अपनी जमीन के हिस्से पर सब्जियां उगाती हैं। इसके अलावा कुछ पशु और मुर्गियां भी पाल रखी हैं और पास में ही एक अन्य कृषि आधारित उत्पाद की दुकान पर काम करती हैं।
28 वर्षीय इस महिला के पास आजीविका के कई रास्ते हैं और इसी वजह से वह अपने दो बच्चों को आराम से पाल पा रही हैं और एक बरसात के दिनों के लिए बचत भी कर पा रही हैं।
लेकिन रेणु देवी के लिए जीवन हमेशा इतना आसान नहीं था। वर्ष 2009 में जब वह महज 15 साल की थी, तब उसकी शादी एक ड्राइवर अजीत कुमार महतो से हो गई। उसने अपनी शादी के बाद मैट्रिक और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। अपनी पढ़ाई के लिए कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए वह 2017 में डेटा एंट्री पर्सन के रूप में शारदा महिला मंडल नामक एक स्वयं सहायता समूह (SHG) में शामिल हुईं, जहां उन्हें प्रति माह लगभग 5,000 रुपए मिलते थे। लेकिन यह दो लोगों के खर्च के लिए पर्याप्त नहीं था।
अगस्त 2021 में कोविड महामारी के दौरान उन्होंने एक ऑनलाइन प्रशिक्षण में भाग लिया जिसने उनका जीवन बदल दिया। कृषि संबंधी मामलों में 36 दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन गैर-लाभकारी ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRIF) ने किया था। प्रशिक्षण के आधार पर उन्हें जून 2022 में एक कृषि उत्पाद आधारित दुकान में सेल्सवूमेन के रूप में नियुक्त किया गया। रेणु देवी ने कहा कि प्रशिक्षण ने उनका जीवन बदल दिया। इसमें उनके गांव की 25 अन्य महिलाओं ने भी भाग लिया था।
“हमें खेती के वैज्ञानिक तरीकों से परिचित कराया गया जिसमें जानकारी शामिल थी कि किस मौसम में सबसे अच्छी खेती हो सकती है, सबसे उपयुक्त बीजों की पहचान करना, ऐसे कीटनाशकों का उपयोग करना जो मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, “उन्होंने समझाते हुए कहा।
आर्थिक स्थिति में सुधार
रेणु देवी उन्नत कृषि पद्धतियों का लाभ उठा रही हैं। “मुझे अपनी 80 डिसमल जमीन से एक फसल में करीब 100 क्विंटल धान मिल जाता था। अब मुझे एक सीजन में 150 क्विंटल मिलता है,” उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया। उन्होंने बताया कि वे हर महीने 2,000 से 4,000 रुपए के बीच बचत कर लेती हैं। (1 डिसमिल = 0.01 एकड़)
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कमाई से रेणु देवी ने अपनी सब्जी की दुकान पर सब्जियों के लिए डीप फ्रीजर खरीदा।
हाल ही में उन्होंने जनवरी 2023 में सिस्टम ऑफ राइस इंटेन्सिफिकेशन (SRI) की खेती के तरीकों पर एक प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद का दौरा किया। उन्होंने धान की खेती के नए पहलुओं को सीखा और अगले फसल सीजन में उन्हें लागू करने के लिए उत्सुक हैं।
“TRIF ने युवा उद्यमियों को कृषि आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया है। रेणु देवी उन 89 में से एक थीं जिन्हें हमने प्रशिक्षित किया था। खेती में सर्वोत्तम प्रथाओं के अलावा प्रशिक्षुओं को व्यवसायिक योजनाएं बनाने के बारे में भी सिखाया गया। 2020 में COVID-19 महामारी के पहले चरण के बाद कृषि उद्यमी परियोजना शुरू की गई थी, “रामगढ़ के TRIF प्रबंधक रतन कुमार सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया।
एफपीओ का गठन
इन महिलाओं की खेती के तौर-तरीकों में काफी सुधार हुआ है। गाँव में एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) के गठन से और भी अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सोसो खुर्द गाँव के लगभग 500 लोगों ने कुछ सौ रुपए का योगदान दिया और एफपीओ का गठन किया। रेणु देवी अपने गाँव में एफपीओ निदेशक मंडल के 10 सदस्यों में से एक हैं।
जून 2022 में उन्होंने अपने सदस्यों को गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और अन्य उत्पाद बेचने के लिए गांव में एक आउटलेट खोला। वार्षिक बिक्री लाभ का दो प्रतिशत प्रत्येक एफपीओ शेयरधारकों के बीच बांटा जाता है जिनमें से रेणु देवी एक हैं। उन्हें दुकान पर काम करने के लिए अतिरिक्त एक प्रतिशत कमीशन मिलता है जो उचित मूल्य पर किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सुनिश्चित करता है।
“मैं दुकान पर आने वाले किसानों को बेहतर कृषि पद्धतियों के बारे में वह सब बताती हूं जो मुझे पता है और इस दुकान पर एक ही छत के नीचे उनकी सभी जरूरतें पूरी करना किसानों के लिए बहुत समय बचाने वाला है, ”रेणु देवी ने कहा।
दुकान पर रेणु देवी किसानों को खुले बाजारों या सरकारी इकाइयों (अनाज क्रय केंद्रों) में उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में भी मदद करती हैं। यह शोषक बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करता है। वह किसानों को किसानों के लिए कई सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताती हैं जो उनकी मदद कर सकती हैं।
रेणु देवी ने कहा कि टीआरआईएफ के प्रशिक्षण ने उन्हें भौतिक सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक दिया है। इसने उन्हें स्वतंत्र बनाया और इसकी ही वजह से मैं अपने बेटे को एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला दिला पाई जो पहले एक सपना था। इसके अलावा इसने बेटी को गोला के एक आवासीय हाई स्कूल में उचित शिक्षा दिलाने में मदद की। उन्होंने अपनी जमीन के एक कोने में दुकानें भी बना ली हैं जिस वे किराए पर दे देती हैं, उन्होंने बताया।
यह स्टोरी ट्रांसफॉर्म रूरल इंडियन फाउंडेशन के सहयोग से की गई है।