किसानों के लिए फायदेमंद तरल जैविक खाद

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किसानों के लिए फायदेमंद तरल जैविक खादgaoconnection

निंदूरा (बाराबंकी)। इन दिनों निंदूरा के किसान रासायनिक खाद नहीं घास-फूस और पत्तियों से तैयार खाद से खेती कर रहे हैं। इससे खेती की लागत तो घटी ही है, साथ ही उत्पादन भी बढ़ गया है।

निंदूरा ब्लॉक के बाबागंज गाँव के किसान राणा प्रताप सिंह (55 वर्ष) की 26 दिन की मेंथा की फसल के बगल के रामसजीवन की ढाई महीने की फसल में ज्यादा वृद्धि हुई है, जबकि राणा प्रताप सिंह ने अपने खेत में उनसे कम रसायनिक खाद का उपयोग किया है। इनकी फसल में एक पौधे में जहां 20-25 कल्ले निकले हैं, वहीं बगल के खेत में सिर्फ आठ-दस कल्ले ही निकले हैं।

“पिछली बार मेंथा में तरल खाद डालने से एक बीघा में पांच किलो ज्यादा तेल हुआ है। इस बार और ज्यादा होने की संभावना है। 26 दिन की फसल की एक बार भी निराई-गुड़ाई नहीं की है, पहले इसी खेत में अब तक चार निराई तो हो ही गई होती।” राणा प्रताप सिंह बताते हैं। 

बाराबंकी जिले के निंदूरा ब्लॉक के लगभग 80 गाँवों के लगभग 550 किसान मुस्कान ज्योति संस्था से जुड़े हुए हैं। मुस्कान ज्योति संस्था किसानों को तरल कल्चर उपलब्ध कराती है, जिसके प्रयोग से किसान घास-फूंस और पत्तियों से खाद तैयार करते हैं। 400 लीटर तरल खाद और एक टन जैविक खाद तैयार करने में लगभग 200 रुपए की लागत आती है।

वहीं कामीपुर गाँव के किसान संतलाल ने अपनी मिर्च की फसल में तरल खाद का प्रयोग कर रहे हैं। संतलाल बताते हैं, “अभी तक एक बीघा खेत में 30 कट्टा आलू पैदा होता था इस बार उसी खाद से 40 कट्टा आलू पैदा हुआ था। इस बार मिर्च की खेत में जैविक खाद ही डाल रहा हूं, इसके छिड़काव से कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना पड़ता है। मुस्कान ज्योति संस्था के संयोजक मेवालाल बताते हैं, “साल 2015 में निंदूरा ब्लॉक के 30 गाँवों के किसानों को पहले जोड़ा गया था, अब 80 गाँव हम से जुड़ गए हैं। हम किसानों पहले प्रशिक्षण देते हैं, उसके बाद उन्हें तरल खाद देते हैं।

रासायनिक खाद के प्रयोग से मिट्टी में पोषक तत्व कम हो रहे हैं। तरल खाद के प्रयोग से खेत में केंचुए भी बढ़ते हैं जो खेत को उपजाऊ बनाते हैं।”मुस्कान ज्योति संस्था ने सहारनपुर में बड़ा प्लांट लगाया गया है जहां रोजाना हजारों कुंतल कचरे का निस्तारण हो रहा है। घर-घर से कचरा उठाने के बाद संस्था तीन विधियों से कचरे की छंटाई और रिसाइक्लिंग के बाद खाद बनाती है फिर उसे किसानों को बेचा भी जाता है। गोरखपुर जेल में भी तरल खाद का प्रयोग किया जा रहा है।

खेत में ऐसे होता है इस्तेमाल

एक लीटर तरल खाद को 20 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाता है। सिंचाई के दौरान जहां से पूरे खेत में पानी जाता है, वहां पर एक प्लास्टिक की बाल्टी से बूंद-बूंद टपकाकर यह पूरे खेत में फैलाई जाती है। इसके अलावा किसान इसका छिड़काव भी कर सकते हैं, जो बढ़िया कीटनाशक का काम करता है।

रिपोर्टर - दिवेन्द्र सिंह 

 

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