किसानों को आलू की सही कीमत पाने की चिंता

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किसानों को आलू की सही कीमत पाने की चिंताgaoconnection

लखनऊ। प्रदेश में आलू की बम्पर पैदावार होने से जहां एक तरफ किसानों को खुशी है तो वहीं दूसरी ओर आलू की उचित कीमत पाने की चिंता भी उन्हें सताने लगी है। इस वक्त थोक मंडियों में आलू की कीमत सात से 700-900 रुपए प्रति कुंतल मिल रही है। शीतगृह फुल हैं और कुल उत्पादन का करीब 20 फीसद आलू किसानों के घरों में रखा है। होली का पर्व बीत चुका है और मंडी में आवक बढ़ने पर भाव गिरने का अनुमान लगाया जा रहा है। शीतगृहों में रखा किसानों का आलू अगर 1,200 रुपए कुंतल से कम पर बिकता है तो लागत भर ही निकल पाएगी।

 वजह बम्पर पैदावार होने से वर्ष 2014 की तरह ही उन्हें इस बार भी आलू की सही कीमत नहीं मिल पायेगी। वर्ष 2014 में किसानों को आलू की कीमत 2,800 रुपए प्रति कुंतल तक मिली थी। इस बार भी प्रदेश के सभी शीतगृह आलू से भर चुके हैं। उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज संघ के अध्यक्ष महेंद्र स्वरूप ने बताया, “प्रदेश में 16,500 शीतगृह हैं। इन शीतगृहों में आलू भंडारण की क्षमता करीब 130 लाख टन है। इनमें फरवरी से 31 अक्टूबर तक आलू रखा जाता है, सभी शीतगृह पिछले वर्ष की भांति भर चुके हैं।” 

900 तक बिकने पर सिर्फ निकलेगी लागत

आलू उत्पादकों को आलू की लागत निकालना मुश्किल दिखाई दे रहा है। एक एकड़ सोना चिप्स आलू की पैदावारी की लागत करीब 53,000 रुपए बन रही है। कन्नौज जिले के कानपुर रोड के महादेवा पोस्ट गजना के आलू उत्पादक ब्रजमोहन ने बताया, ‘’एक एकड़ सोना चिप्स आलू की बुआई में 53,000 रुपए लागत आई है। उत्पादन 80 कुंतल आलू हुआ है। अब बाजार में उचित कीमत मिलने की चिंता सता रही है। मंडी में इस वक्त सोना चिप्स आलू का भाव आठ से नौ रुपए प्रति कुंतल मिल रहा है।’’ 

शीतगृह का भाड़ा और मंडी तक ढुलाई का खर्च भी हुआ महंगा

उत्पादकों की लागत में इस बार फिर इज़ाफा हुआ है। इस बार भी शीतगृहों का भाड़ा बढ़ गया है। गत वर्ष 190 रुपए प्रति कुंतल से बढ़कर 200 रुपए हो गया था। इस बार 10 रुपए और बढ़कर 210 रुपए हो गया। इसके साथ ही मंडी तक माल की ढुलाई का भाड़ा भी बढ़ गया है। कन्नौज से लखनऊ मंडी तक माल की ढुलाई भाड़ा इस बार 10 रुपए प्रति कट्टा (50 किलो) बढ़कर 40 रुपए हो गया। 

बारदाना भी हुआ महंगा

आलू उत्पादन लागत के साथ ही बारदाना भी महंगा हो गया है। गत वर्ष तक उत्पादकों को आलू का कट्टा आसानी से 15 रुपए में मिल जाता था। अब इसकी कीमत बढ़कर 18 से 20 रुपए तक हो गई। एक एकड़ में बारदान मद की राशि करीब 400 रुपए तक बढ़ गई है।

रिपोर्टर - जसवंत सोनकर

 

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