किशोर दा... जिनकी आवाज़ पर इमरजेंसी के दौरान पाबंदी लगा दी गई थी
Shefali Srivastava 4 Aug 2016 5:30 AM GMT

लखनऊ। इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक गायक हुए लेकिन रशोकि रमाकु, अरे मतलब किशोर कुमार की बात ही अलग है। दरअसल किशोर कुमार कुछ सवालों का बड़े अलग अंदाज में जवाब देते थे। जैसे जब कोई उनका नाम पूछता था तो वह कहते ‘रशोकि रमाकु’। सिर्फ बेहतरीन आवाज ही नहीं बल्कि किशोर कुमार चुलबुले स्वभाव के भी मालिक थे। आज इस महान गायक का जन्मदिन है। यूं तो किशोर कुमार काफी पहले दुनिया से चले गए लेकिन उनके गीतों के जरिए उनकी यादें आज भी जिंदा हैं।
किशोर का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। उनका जन्म मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ था। वह महान अभिनेता अशोक कुमार के छोटे भाई थे। जब वह छोटे थे तो अशोक कुमार इंडस्ट्री के स्थापित कलाकार बन चुके थे। मुंबई आने के बाद किशोर कुमार ने अपना नाम आभास से बदलकर किशोर कर दिया। उन्हें पहला रोल फिल्म शिकारी (1946) में मिला जिसमें उनके भाई लीड रोल में थे। वहीं म्यूजिक डायरेक्टर खेमचंद प्रकाश ने किशोर कुमार को पहला गाना ‘मरने की दुआएं क्यों मांगू’ फिल्म जिद्दी (1948) के लिए दिया था।
किशोर कुमार ने अपने स्टेज शो में हमेशा हाथ जोड़कर संबोधन करते थे- ‘मेरे दादा-दादियों। मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवा वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।’ किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए। किशोर कुमार ने न्यू दिल्ली, आशा, चलती का नाम गाड़ी, हाफ टिकट, गंगा की लहरें और पड़ोसन जैसी फिल्मों में अभिनय किया।
फिल्म हाफ टिकट का गाना ‘आके सीधी लगी दिल पे’को पहले किशोर कुमार और लता मंगेशकर को साथ में गाना था लेकिन उस वक्त लता मंगेशकर शहर में नहीं थी इसलिए किशोर कुमार ने मेल-फीमेल वर्जन में इस गाने को रिकॉर्ड किया था। किशोर कुमार को 19 गानों के लिए फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला और आठ बार उन्होंने यह अवॉर्ड अपने नाम किया। खंडवा के दही बड़े और पोहे और दूध-जलेबी खाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे।
ऐसा अनुमान है कि किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान क़रीब 574 से अधिक गाने गाए। किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए। किशोर कुमार से जुड़े कई दिलचस्प किस्सों का गवाह रहा स्थानीय क्रिश्चियन कॉलेज का 100 साल पुराना हॉस्टल मौसम की मार सहते-सहते खंडहर में तब्दील हो गया है। प्राचार्य अमित डेविड ने बताया, ‘हॉस्टल में किशोर कुमार रहते थे, अब वह जीर्ण-क्षीर्ण हो चुका है । स्थानीय प्रशासन ने इसे खतरनाक भवन घोषित कर दिया है और लोगों को इसके पास जाने की मनाही है।
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