किशोरियों में सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा ज़्यादा

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किशोरियों में सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा ज़्यादाgaoconnection

लखनऊ। महिलाओं में हर उम्र में तरह-तरह के परिवर्तन होते हैं, माहवारी का शुरू होना और बंद होना भी इनमें से एक है। कई बार जानकारी की कमी महिलाओं को खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेलती है। इनमें से एक है सर्वाइकल कैंसर यानि गर्भाशय का कैंसर जो महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है।

लखनऊ की रहने वाली प्रियम्बदा सिंह (45 वर्ष)को पिछले कई महीनों से माहवारी के समय तेज दर्द होता है। वो बताती हैं, “पहले तो मुझे लगा कि शायद मेरी उम्र अब ज्यादा हो रही है और माहवारी खत्म होने वाली है इसलिए ऐसा हो रहा है लेकिन जब मैं डॉक्टर को दिखाने आई तो पता चला कि मुझमें माहवारी के दौरान संक्रमण हो गया है, जो एक ही कपड़े को ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने के कारण हुआ है और इससे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर भी हो सकता है।”

सर्वांइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में तेजी से फैलने वाली बीमारी है। इसका कारण बताते हुए मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रीता दास बताती हैं, “इसे गर्भाशय का कैंसर भी कहते हैं। इसका मुख्य कारण कम उम्र में शादी होना, मासिक धर्म के दौरान होने वाला संक्रमण हैं।” वो आगे बताती हैं, “कई बार महिलाएं एक ही कपड़े का इस्तेमाल बार-बार करतीं हैं और इससे कई तरह के इंफेक्शन भी हो सकते हैं। इसके अलावा महिलाओं में धू्म्रपान की लत, बार-बार गर्भवती होना और कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाना भी इसके कारण हो सकते हैं।”

सर्वांइकल कैंसर का मुख्य कारण ह्ययूमन पैपीलोमा वायरस एचपीपीवी का संक्रमण हैं, जो किशोरियों में ज्यादातर होता है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस और संबंधित रोगों की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 67000 महिलाओं की मौत सर्वांइकल कैंसर से हुई है। भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे बड़ा कैंसर सर्वाइकल है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और सैनेटरी नैपकीन की उपलब्धता न होने से किशोरियां कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो कई बीमारियों की जड़ है। गोण्डा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर धमसड़ा गाँव की रचना देवी (19 वर्ष) बताती हैं, “हम माहवारी में कपड़े का ही इस्तेमाल करते थे क्योंकि यहां गाँव में पैड नहीं मिलता। हम लोग बाजार भी नहीं जाते, पापा और भाई लोग जाते हैं, उनसे ये सब नहीं मंगा सकते थे।” वो आगे बताती हैं, “कुछ समय से माहवारी के बाद मुझे सफेद पानी की भी दिक्कत हो रही थी। हाथ, पैर और कमर में बहुत दर्द होने लगा था जब डॉक्टर को दिखाया तो उन्होनें बताया कि इससे बहुत बड़ी बीमारी हो सकती है। अब मैं पूरी सावधानी बरतती हूं।”

दुनियाभर में सामाजिक मुद्दों पर सर्वे करने वाली संस्था नीलसन द्वारा साल 2011 में भारत में किए गए अध्ययन के अनुसार 81 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कपड़े का प्रयोग करतीं हैं। 

‘’सर्वाइकल कैंसर 15 से 45 वर्ष की उम्र की महिलाओं में ज्यादा होता है। इससे बचाव के लिए माहवारी के समय पूरी सफाई बरतनी चाहिए। कैंसर के इलाज के लिए गर्भाशय को सर्जरी से निकालना पड़ता है या फिर 11 से 15 वर्ष की उम्र में इसकी वैक्सीन लगवानी चाहिए, जो एचपीपीवी के संक्रमण को रोकती हैं। मासिक धर्म के दौरान पेडू में दर्द,पेशाब करते समय दर्द और योनि से सफे द रंग का स्त्राव इसके लक्षण हो सकते हैं।” डॉ दास आगे बताती हैं। 

महिलाओं के स्वास्थ्य पर काम करने वाली संस्था प्रयत्न के प्रवेश वर्मा बताते हैं, ‘’हम ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हैं। माहवारी आज भी एक ऐसा मुद्दा है, जिसके बारे में बात करने पर वो शर्माती हैं। यही संकोच उन्हें कई बीमारियां देता है। अगर बात करें सैनेटरी नैपकीन तो गाँव में 10 में एक महिला ही ऐसी होगी जो इसका प्रयोग करती होगी।” 

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम 

ह्यूयूमैन पैपीलोमा वाइरस से बचाव करना सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए आवश्यक है। बाजार में इस कैंसर की रोकथाम के लिए दो वैक्सीन्स उपलब्ध हैं। इन वैक्सीन्स की तीन डोज दी जाती हैं, जो आजीवन सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये वैक्सीन्स किशोरियों और उन महिलाओं को भी लगाई जा सकती हैं, जिनकी उम्र 30 साल से कम हैं और जो शारीरिक संपर्क स्थापित करती हैं। याद रखें वैक्सीन से सर्वाइकल कैंसर से 70 फीसदी तक बचाव किया जा सकता है।

 

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