कम समय में अच्छा उत्पादन, मेडागास्कर व मैट विधि से करें धान की खेती

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कम समय में अच्छा उत्पादन, मेडागास्कर व मैट विधि से करें धान की खेतीgaonconnection

लखनऊ। धान की खेती अगर नर्सरी तैयार कर सही तकनीक से की जाए तो यह अधिक लाभकारी होती है। कम समय में धान का अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसान मेडागास्कर समेत श्रीविधि और मैट विधि से नर्सरी बनाकर धान की खेती कर सकते हैं। इन नर्सरियों को कैसे तैयार किया जाए यह जानकारी दे रहे हैं केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ के उप-निदेशक डॉ.उमेश चंद्रा।

मेडागास्कर विधि से धान की नर्सरी तैयार करना

मेडागास्कर विधि धान उत्पादन की एक तकनीक है, जिसके द्वारा पानी के बहुत कम प्रयोग से भी धान का बहुत अच्छा उत्पादन सम्भव होता है। इसे सघन धान प्रणाली से भी जाना जाता है। 

जहां पारंपरिक तकनीक में धान के पौधों को पानी से लबालब भरे खेतों में उगाया जाता है, वहीं मेडागास्कर तकनीक में पौधों की जड़ों में नमी बरकरार रखना ही पर्याप्त होता है, लेकिन सिंचाई के पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर फसल की सिंचाई की जा सके।

इसमें सामान्यत: जमीन पर दरारें उभरने पर ही दोबारा सिंचाई करनी होती है। इस तकनीक से धान की खेती में जहां भूमि, श्रम, पूंजी और पानी कम लगता है , वहीं उत्पादन 300 प्रतिशत तक ज़्यादा मिलता है। 

इस पद्धति में प्रचलित किस्मों का ही उपयोग कर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। इससे तैयार पौध के जड़ तेजी से विस्थापित हो जाते है एवं उनका विकास बढ़िया  होता है साथ ही  पौध में कीट, रोग एवं खरपतवार की समस्या भी कम हो जाती है।

मैट विधि से धान की नर्सरी तैयार करना

इस तकनीक से धान की खेती में एक एकड़ के लिए नर्सरी हेतु 1.2 मी. गुणा 20 मीटर भूमि, 1.2 मीटर गुणा 20 मीटर प्लास्टिक, छलनी, मिट्टी एवं खाद का मिश्रण 5ः1, लोहे का फ्रेम आधा इंच मोटा प्रयोग में लाया जाता है।

मैट टाइप नर्सरी के लिए 20 मीटर लंबी और 1.2 मीटर की क्यारी बनाकर उस पर उसी आकार के प्लास्टिक की चादर बिछा देनी चाहिए। 

दो क्यारियों के बीच कुंडनुमा जगह होनी चाहिए,जिसमें प्रत्येक तीन-चार दिन में पानी भरते रहना चाहिए। प्लास्टिक के चादर के ऊपर उसमें कांटे की सहायता से छोटे-छोटे छेदकर लेना चाहिए। 

उक्त प्लास्टिक पर मिट्टी बिछाकर धान का बिचड़ा बिछा देना चाहिए। इस प्रकार तैयार क्यारी पर रोज़ाना फब्वारे से पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। इस प्रकार 15-16 दिनों में धान की नर्सरी तैयार हो जाती है।

श्री विधि से धान की नर्सरी तैयार करना

श्रीविधि में नर्सरी तैयार करने के लिए गोबर की खाद का प्रयोग कीजिए। गोबर की खाद की के पूर्व-कॉलोनीकरण के लिए गोबर की खाद के गड्‍‍‍‍‍‍‍‍‍ढ़े में मासिक अंतराल पर ट्राइकोडर्मा हर्जीएनम स्यूडोमोनास फ्लुओंरेसेन्स मिलाया जाता हैं। इन गड्‍‍‍‍‍‍‍‍‍ढ़ों को गले की पत्तियों या धान के पुआल से ढक देना चाहिए। 

नियमित अंतरालों पर बायो-एजेन्ट प्रयोग के बाद कम से कम एक बार और आर्दता बानाए रखने के लिए गोबर की खाद के प्रयोग से 15 दिन पहले जल का छिड़काव करना चाहिए। 

हरी खाद फसलों की बुवाई करनी चाहिए। हरी रबर फसल के मिट्टी में मिलाने के ठीक समय पर प्रत्येक 5 ग्राम/लीटर जल की दर से ट्राइकोडर्मा हर्जीएनम एवं स्यूडोमोनास फ्लुओंरेसेन्स  का छिड़काव कीजिए। नर्सरी तैयारी करने के लिए भूमि से चार इंच ऊंची नर्सरी तैयार करें, जिसके चारों ओर नाली हो। इसके साथ ही नर्सरी में गोबर की खाद अथवा केंचुआ खाद डाल कर भुरभुरा बनाएं। नर्सरी की सिंचाई करें।

 

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