Gaon Connection Logo

मंडी में अपनी उपज बेचनी है तो रहें सतर्क

एगमार्कनेट ई-सुविधा

लखनऊ। अक्सर किसान कम जानकारी के कारण मंडी में अपनी उपज बचने के समय ठगे जाते हैं, जिससे उन्हें अपनी मेहनत से उगाई गई फसल का लाभ नहीं मिल पाता है। अगर आप मंडी परिसर में पहली बार जा रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें। इससे आपको अपना सामान बेचने में परेशानी नहीं होगी।

घर बैठे भी उठा सकते हैं लाभ

देश भर के किसानों को मंडी के बारे में अवगत कराने व उन्हें सुगमता से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार व मंडी परिषद ने एगमार्कनेट ई-सुविधा प्रदान की है। इस सुविधा में मंडी में किस उत्पाद का क्या दाम है, मंडी में अच्छा मुनाफा पाने के लिए उपयुक्त फसल का चुनाव, मौसम की जानकारी व तकनीकी सहायता के साथ-साथ देश भर की मंडियों के बाज़ार भाव दिए जाते हैं। इससे किसान अपना सामान एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की मंडी में बेचते समय सही दाम की जानकारी ले सकते हैं और उपज का सही दाम पा सकेंगे।

एगमार्कनेट ई-सुविधा में भारत में उगाए जाने वाले 300 से ज्यादा प्रकार के मंडी उत्पाद जैसे फल-सब्जियां, अनाज, तिलहन, कपास व मसालों के बारे में उपयुक्त जानकारियां दी गई हैं। यह सुविधा छोटे किसानों से लेकर बड़े व्यापारियों के लिए लाभकारी है। इस सुविधा का उपयोग कर किसान न केवल मंडी में अपने उत्पाद को सही मंडी भाव के अनुसार बेच सकेंगे, बल्कि अपने खेतों में बैठकर ही देशभर की मंडियों में हो रहे उतार-चढ़ाव व उन्नत खेती के गुर सीख पाएंगे।

किसानों के लिए सुझाव- इन बातों का रखें ध्यान

  • किसानों को मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए एक कार्ड मिलता है, उसे जरूर ले लें।
  • अनाज की सही तरीके से छंटाई कर लें, उसे सही तरीके से पहले खुद वजन करके देख लें।
  • मंडी गेट पर पहुंच कर सबसे पहले पर्ची लें और नीलामी की बिक्री अपने सामने ही करा लें।
  • मंडी में अनाज का शुल्क निर्धारित होता है, उससे ज्यादा किसी को पैसा न दें। मंडी शुल्क किसानों को नहीं देना होता है।
  • बिक्री के समय अनाज की तौलाई अपने सामने कराएं।
  • बिक्री के बाद भुगतान की रसीद जरूर लें। इसे किसान पर्चा के नाम से जाना जाता है। यह व्यापारी जारी करता है।
  • पांच हजार से ज्यादा कीमत पर अनाज बेचने से किसानों को उपहार योजना नाम से एक कूपन मिलता है। जिस पर उन्हें तरह-तरह के उपहार जीतने का मौका मिलता है, उसे भी जरूर लें। अक्सर जानकारी न होने के कारण किसान इस पर ध्यान नहीं देते हैं।

More Posts