किसान का जुगाड़: केले के तनों का बनाया मिर्च के पौधों का रक्षा कवच
मिर्च जैसी फसलों के पौधों को बचाने के लिए किसानों को असम के किसान राजिब बोरा का मुफ्त का जुगाड़ अपनाना चाहिए, जिसमें बिना किसी अतिरिक्त लागत के किसान केले के तनों की मदद से फसल बचा सकते हैं।
Divendra Singh 15 Nov 2021 12:30 PM GMT
मिर्च जैसी फसलों के पौधों को खेत में लगाने के बाद कुछ दिनों तक खास देखभाल की जरूरत होती है, कई किसान तो बांस लगाकर तो कई किसान लो टनल पॉली हाउस भी लगाते हैं, जो काफी खर्चीले होते हैं। ऐसे किसानों को राजिब बोरा का यह देसी जुगाड़ अपनाना चाहिए।
असम में भूत झोलकिया मिर्च की खेती करने वाले किसान राजिब बोरा (41 वर्ष) ने मिर्च के पौधे खेत में लगाने के साथ ही पौधों के बगल में केले का तना लगा दिया है, जिससे पौधा सूरज की तेज रोशनी औरा हवाओं में भी सुरक्षित रहता है।
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राजिब बोरा असम के गोहपुर जिले की घागरा बस्ती गाँव के रहने वाले किसान हैं और भूत झोलकिया मिर्च की खेती करते हैं। राजिब बताते हैं, "नर्सरी से मिर्च के पौधे निकालने के बाद इन्हें खेत में लगाते हैं, पौधे लगाने के बाद 5-7 दिनों तक इन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है, अगर इन दिनों में आपने पौधा बचा लिया तो समझिए पौधे को आगे नुकसान नहीं होगा।"
वो आगे कहते हैं, "इसलिए हम लोग मिर्च का पौधा लगाने के साथ ही उसके बगल में केले के तना भी गाड़ देते हैं। इसके दो फायदें हैं एक तो सूरज की तेज रोशनी में भी पौधे बचे रहेंगे और तनों में नमी भी रहती है, जो नए पौधे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होते हैं।"
राजिब ने इस बार 4 बीघा (1.3 एकड़) में भूत झोलकिया मिर्च लगायी है, राजिब के अनुसार अभी तक लगभग 55-60 हजार रुपए की लागत आयी है, आगे अभी और खर्च होगा। लेकिन केले के तने को लगाने से कुछ खर्च बच जाता है।
केले का तना लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में राजिब समझाते हैं, "पौधों के हिसाब से हम केले के तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटते हैं और इन्हें जिधर से सूरज निकलता है, उसके अपोजिट में लगाते हैं। क्योंकि सुबह जब सूरज निकलता है कम रोशनी होती है, लेकिन जैसे-जैसे ऊपर जाता है और डूबने तक इसकी काफी तेज रोशनी होती है। इसलिए सूरज की तेज रोशनी में भी पौधे बचे रहते हैं।"
भूत झोलकिया (Ghost Pepper) मिर्च दुनिया की सबसे तीखी मिर्च में शामिल है। इसके पौधे की ऊंचाई आमतौर पर 40 से 120 सेंटीमीटर तक होती है। इस पौधे में लगने वाले मिर्च की चौड़ाई 1 से 1.2 इंच तक की होती है और लंबाई 3 इंच से भी ज्यादा हो सकती है। बुवाई के बाद महज 75 से 90 दिनों में मिर्च आने लगती है।
राजिब खेती के साथ सुअर पालन भी करते थे, लेकिन अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था। पोथार एग्रोवेट नाम से पिग फार्म चलाने वाले राजिब की 300 से अधिक सुअर अफ्रीकन स्वाइन फीवर का शिकार हो गईं, सभी सुअर मर गईं। इसके बाद से अभी फिर से पिग फार्म दोबारा नहीं शुरू कर पाए हैं, इसलिए खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
भूत झोलकिया मिर्च की खेती में लागत और कमाई के बारे में राजिब समझाते हैं, "5000 हजार पौधे लगाने में लगभग 125000 की लागत आती है, जिसमें से 20 प्रतिशत पौधे नहीं तैयार होते तो 4000 पौधे बचते हैं। 4000 पौधों से लगभग 8 लाख के मिर्च बिकते हैं, इस हिसाब से 8 लाख से 125000 की लागत घटाने पर लगभग 675000 की आमदनी हो जाती है।"
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