क्या है धान की सीधी बुवाई की डीएसआर पद्धति? जिसके लिए पंजाब सरकार दे रही है प्रोत्साहन

पंजाब के एक बड़े क्षेत्रफल में किसान धान की खेती करते हैं, जिसमें काफी मात्रा में पानी की खपत होती है। पानी की खपत कम करने के लिए पंजाब सरकार धान की सीधी बुवाई को प्रोत्साहन दे रही है, जिसमें परंपरागत तरीकों के मुकाबले पानी बहुत कम लगता है।

Divendra SinghDivendra Singh   11 May 2022 7:00 AM GMT

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क्या है धान की सीधी बुवाई की डीएसआर पद्धति? जिसके लिए पंजाब सरकार दे रही है प्रोत्साहन

सीधी बुवाई के कई सारे फायदें हैं, एक तो इसमें पानी की बचत होती है, इससे लगभग 15-20 प्रतिशत पानी की बचत हो जाती है। सभी फोटो: अरेंजमेंट

पंजाब सरकार ने धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को 1500 रुपए प्रति एकड़ देने की घोषणा की है, क्योंकि इस विधि से बुवाई करने पर काफी मात्रा में पानी की बचत हो जाती है। लेकिन किसानों में अभी इस विधि से बुवाई को लेकर कई भ्रांतियां हैं, ऐसे में कृषि विशेषज्ञ बता रहे हैं कि यह तकनीक किसानों के लिए कितनी फायदेमंद है।

साल 2021-22 में पंजाब में डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई के लिए 10 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा था, जिसके तहत लगभग 5.62 लाख हेक्टेयर में सीधी बुवाई की गई थी। जोकि कुल धान की खेती का 18% प्रतिशत था।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी किसानों से धान की सीधी बुवाई की अपील की है, उन्होंने कहा, "आज आपकी सरकार ने धान की सीधी उपजाई करने वाले हर किसान को 1500 रुपए प्रति एकड़ सहायता देने का फैसला किया है। किसान साथियों से मेरी अपील- अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को धान की सीधी उपजाई करने के लिए प्रेरित करें। इससे धान की उपज भी बढ़ेगी और हमें मिलकर पंजाब की धरती का पानी भी तो बचाना है।"

पंजाब कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले खरीफ सत्र (2021-22) में 31.45 लाख हेक्टेयर धान और बासमती के तहत था, जिसमें गैर-बासमती चावल के तहत 26.60 और बासमती के तहत 4.85 लाख हेक्टेयर शामिल हैं। 2020-21 में यह आंकड़ा 31.49 लाख हेक्टेयर और 2019-20 में 31.42 लाख हेक्टेयर था।


पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के कृषि वैज्ञानिक डॉ माखन सिंह भुल्लर डीएसआर विधि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

डॉ भुल्लर सीधी बुवाई के फायदे गिनाते हैं, "सीधी बुवाई के कई सारे फायदें हैं, एक तो इसमें पानी की बचत होती है, इससे लगभग 15-20 प्रतिशत पानी की बचत हो जाती है। रोपाई में लेबर की समस्या भी बहुत आती है, सीधी बुवाई में मशीन से बुवाई होती तो मजदूरों का खर्च भी बच जाता है। इसमें लागत भी कम आती है, क्योंकि इसमें सीधी बुवाई हुई तो खर्च कम ही लगेगा।"

"इसमें उत्पादन भी दूसरी विधियों के बराबर ही आता है, अगर एक-डेढ़ कुंतल कम भी हो गया तो लागत तो वैसे भी कम ही लगी है, "उन्होंने आगे कहा।

लेकिन डीएसआर विधि से बुवाई करते समय कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए। इसमें सबसे अहम भूमिका मिट्टी की होती है। डॉ माखन इस बारे में कहते हैं, "रेतीली जमीन पर सीधी बुवाई न कभी न करें, क्योंकि इसमें लोहे की कमी होती है और इसमें खरपतवार की समस्या अधिक होती है।। इसलिए हमेशा रेतीली दोमट, दोमट, मिट्टी की दोमट और गाद दोमट जैसी मिट्टी में ही धान की सीधी बुवाई करें।"

खर्च के बारे में वो कहते हैं कि अगर दूसरी विधियों से तुलना करें तो 3000-3500 रुपए तक खर्च कम लगता है।


पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्यों में पानी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि यहां पर ज्यादातर किसान ट्यूबवेल के जरिए ही सिंचाई करते हैं। डीएसआर विधि से पानी की भी बचत की जा सकती है। डॉ भूल्लर बताते हैं, "डीएसआर तकनीक 15% से 20% पानी बचाने में मदद कर सकती है। कुछ मामलों में, पानी की बचत 22% से 23% तक पहुंच सकती है।"

सीधी बुवाई करने के बाद पहली सिंचाई 21 दिन बाद करनी चाहिए, जबकि दूसरी सिंचाई उसके 10 दिनों बाद करनी चाहिए। किसानों को हमेशा कम अवधि की किस्मों की बुवाई करनी चाहिए जोकि 140 दिनों में तैयार हो जाएं। इसलिए देर से तैयार होने वाली किस्मों की बुवाई करने से बचना चाहिए।

पंजाब में 18 जून से होगी धान की रोपाई

बिजली की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने 18 जून से धान की रोपाई का समय दिया है, जिसके जिलों को अलग-अलग जोन में बांट दिया है। संगरूर, बरनाला, मलेरकोटला, लुधियाना, पटियाला, श्री फतेहगढ़ साहिब जिलों में 18 जून से रोपाई होगी, जबकि बठिंडा, मनसा, मोगा, फरीदकोट, फिरोजपुर, फाजिल्का जिलों में रोपाई 22 जून से शुरू होगी. मोहाली, रोपड़, एसबीएस नगर, जालंधर, कपूरथला, श्री मुक्तसर साहिब 24 जून से धान की रोपाई शुरू होंगे और गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, अमृतसर, तरनतारन में 26 जून से रोपाई होगी।

धान की सीधी बुवाई 20 मई से

डीएसआर तकनीक के तहत धान की बुवाई के लिए निर्धारित समय-सारणी के अनुसार प्रदेश भर के किसानों को 20 मई से 31 मई के बीच हर दूसरे दिन 8 घंटे निर्बाध आपूर्ति मिलेगी। सामान्य सिंचाई का विकल्प चुनने वाले किसानों को 31 मई से 17 जून तक 3 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी। इसी तरह, 18 जून को धान की रोपाई करने वाले जिलों को फसल परिपक्व होने तक 6/7 दिनों के लिए 8 घंटे बिजली की आपूर्ति मिलेगी। 22 जून, 24 जून और 26 जून को धान की रोपाई करने वाले जिलों को भी फसल के परिपक्व होने तक, उनकी संबंधित रोपाई की तारीख से 6-7 दिनों के लिए आठ घंटे की आपूर्ति मिलेगी।

हरियाणा में सरकार दे रही 4000 रुपए

पंजाब के साथ ही हरियाणा सरकार ने भी सीधी बुवाई के लिए प्रोत्साहन राशि की शुरूआत की है। इसके लिए किसानों को 4000 रुपए दिए जाते हैं। पहले यह राशि 5000 हजार रुपए थी, जिसके लिए शर्त रखी गई थी कि किसान को अधिकतम 2.5 एकड़ में बुवाई करनी होती थी, लेकिन अब यह शर्त हटा दी गई है।

इस योजना का लाभ लेने के लिए 30 जून तक किसानों को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर आवेदन करना होगा। फसल का भौतिक सत्यापन करने के बाद संबंधित किसानों को सीधे बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि डाली जाएगी। इस कमेटी में कृषि अधिकारी, पटवारी नंबरदार शामिल रहेंगे।

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