कन्नौज। यूपी के कन्नौज, औरैया, उन्नाव, और कानपुर देहात समेत आसपास के जनपदों में शाम होते ही खेतों में आग ही आग दिखती है। ये आग किसान खुद लगा रहे हैं, अपनी फसल अवषेश को जलाने के लिए। लेकिन आग के खतरे से अंजान किसान नहीं जानते कि खेत में आग लगाने से मिट्टी में मौजूद अरबों जीवाणु मर जाते हैं, वो जीवाणु जो मिट्टी के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।
सिर्फ कन्नौज जनपद में ही लगभग 26 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की जाती है, और वर्तमान समय में मक्का की कटाई का कम चल रहा है, ऐसे में बड़े पैमाने पर किसान अपने खेतों में बचे अवशेष में आग लगा रहें हैं।
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इस आग से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए उप कृषि निदेषक डाॅ. राजेष कुमार बताते हैं, “ मक्का के अवशेष को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, खेतों के सूक्ष्म तत्व मर जाते हैं, सरकार लगातार किसानों को अलग- अलग माध्यम से ये समझाने का प्रयास कर रही है कि अपने खेतों को ना जलाएं।”
हालांकि जब हमने एक स्थानीय किसान राजबहादुर से पूछा के वो फसल अवशेष क्यों जलाते हैं तो एक सीधा सा जवाब मिला, “हम लोग खेतों में आग इसलिए लगाते हैं क्योंकि जुताई नहीं हो पाती।” आग से प्रदूषण फैलने वाले सवाल पर इस किसान का एक टका सा जवाब ना कि कोई प्रदूषण नहीं फैलता
राजबहादुर के जवाब से साफ हो कि इस बात को लेकर किसानों को और जागरुक करने की जरूरत है। इस मुद्दे पर उप कृषि निदेषक डाॅ. राजेष कुमार कहते हैं, “ लगभग 70-80% किसान इस बात को समझ गये हैं और वो अवशेष को जलाने की जगह इसे रोटावेटर के माध्यम से अपनी फसलों को खेतों में पलट रहें हैं, मगर कुछ कृषक अभी भी ऐसे हैं जन्हें जागरूक करना बाकी है।’’