खेती बनेगी फायदे का सौदा, बस इन बातों का ध्यान रखना होगा

खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए सबसे पहले खेती किसानी पर आ रही कृषि लागत को कम करने की जरूरत है। खेती में काम आने वाले बीज, कृषि रसायन, उर्वरक, कृषि क्रियाएं, सिंचाई आदि पर साल दर साल लागत बढ़ती चली जा रही है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि खेती पर आने वाली लागत को कम किया जाए जिससे किसानों के मुनाफे में वृद्धि हो सके।

Dr. Satyendra Pal SinghDr. Satyendra Pal Singh   23 March 2022 9:48 AM GMT

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खेती बनेगी फायदे का सौदा, बस इन बातों का ध्यान रखना होगा

किसान खेती के साथ डेयरी, मुर्गी पालन और कई तरह की फसलों की खेती कर सकते हैं। फोटो: पिक्साबे

जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही हैं उसके अनुपात में कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है। देश में आज अधिकांश किसान सीमांत और छोटे किसानों की श्रेणी में आते हैं, जिनके पास एक से लेकर दो हैक्टेयर तक जमीन उपलब्ध है। ऐसे में किसानों की आय बढ़ाने का काम अत्यधिक चुनौती पूर्ण हो जाता है। बावजूद इसके खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के प्रयास देश-प्रदेश की सरकारों द्वारा किये जा रहे हैं। कृषि को लाभ का व्यवसाय कैसे बनाएं इस के लिए किसानों को खेती के साथ-साथ कृषि विविधीकरण को अपनाने की जरूरत है।

खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए सबसे पहले खेती किसानी पर आ रही कृषि लागत को कम करने की जरूरत है। खेती में काम आने वाले बीज, कृषि रसायन, उर्वरक, कृषि क्रियाएं, सिंचाई आदि पर साल दर साल लागत बढ़ती चली जा रही है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि खेती पर आने वाली लागत को कम किया जाए जिससे किसानों के मुनाफे में वृद्धि हो सके।

खेती पर आने वाली लागत को कम करने के लिए सबसे जरूरी बिन्दु मिट्टी की जांच का है, क्योंकि किसानों द्वारा बिना सोचे समझे बिना फसलों की आवश्यकता के अनावश्यक रूप में असंतुलित मात्रा में रासायनिक खादों का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे फसलों पर आने वाली लागत बढ़ रही है। इस लागत को मिट्टी की जांच कराकर कम किया जा सकता है। जिसके आधार पर फसल को आवश्यकता के अनुरूप संतुलित मात्रा में रासायनिक खाद प्रयोग में लाई जा सके।


लागत कम करने के लिए दूसरा प्रमुख बिन्दु जैविक खादों को खेतों में अधिकाधिक रूप से प्रयोग में लाने की जरूरत है। जैविक खादों के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति में बढ़ोत्तरी होगी, जमीन की जलधारण क्षमता में वृद्धि होगी, वायु स्पेस बढ़ेगा, फसलों के उत्पादन में वृद्धि होने के साथ ही रासायनिक खादों पर निर्भरता काफी कम हो जायेगी। इसलिए किसानों को चाहिए कि वह अपने घर पर ही केंचुए की खाद, गोबर की खाद, नाडेप कम्पोस्ट आदि तैयार कर हर साल खेतों में डालें। इससे किसानों को आशातीत लाभ होगा और कृषि लागत में कमी आयेगी।

किसानों को फसलों से अधिक उत्पादन लेने की आवश्यकता है। इसके लिए किसानों को उन्नतशील प्रजातियों के बीजों को प्रयोग में लाना होगा। उन्नतशील प्रजातियों के बीजों के प्रयोग से फसलों के उत्पादन में 20-22 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी गयी है। जब फसलों का उत्पादन बढ़ेगा तो निश्चित रूप से किसानों को ज्यादा मुनाफा मिल सकेगा। इसलिए किसानों को कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से ईजाद की गई प्रजातियों के बीजों का प्रयोग ही करना चाहिए।

कृषि आय को बढ़ाने और आने वाली लागत में कटौती करने के लिए किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों को अमल में लाने की जरूरत है। आज खेती में नवोन्मेषी तकनीकों का प्रयोग बहुतायत में किया जा रहा है। खेती में प्रयोग आने वाले नये-नये कृषि यंत्र और नई-नई कृषि तकनीक वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की जा चुकी हैं। इसलिए किसान इनको प्रयोग में लाकर मजदूरी, समय, श्रम, धन आदि की बचत करने के साथ ही अधिक उत्पादन ले सकते हैं।


किसानों को अधिक लाभ लेने के लिए नियमित तौर पर फसल चक्र प्रणाली को भी अमल में लाने की जरूरत है, जिससे अच्छा उत्पादन लेने के साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहे और फसलों में खरपतवार व कीट पतंगों के प्रकोप को कम किया जा सके। इसलिए खाद्यान्न फसल के बाद दलहन, तिलहन आदि फसलों का समावेश फसल चक्र में करना चाहिेए। किसान परम्परागत फसलों के अलावा अधिक मुनाफा देने वाली नगदी फसलों को भी अपने फसल चक्र में शामिल करें, जिससे उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो सके। खेती को लाभ का सौदा बनाने के लिये किसानों को फसल विविधिकरण अपनाने की आवश्यकता है। जिसमें फल-फूल की खेती, सब्जी उत्पादन, औषधि फसलें, दलहनी फसलें आदि को उगाना होगा। जिसमें परम्परागत फसलों से ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।

भारतीय कृषि पूरी तरह से मौसम पर आधारित है। कई बार मौसम के प्रकोप से किसानों की फसलें पूरी तरह से तबाह हो जाती हैं। आंधी, तूफान, वर्षा, ओले, बाढ़, अतिवृष्टि जैसे प्रकोप देखते ही देखते खड़ी फसलों को तबाह कर देते हैं। इनसे बचाव के लिए भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को उठाना चाहिए और अपनी खरीफ, रबी, जायद और उद्यानिकी आदि फसलों का समय रहते बीमा करा लेना चाहिए। जिससे अतिवृष्टि की स्थिति में फसलों में हुई क्षति का पूर्ण भुगतान फसल बीमा के माध्यम से प्राप्त हो सके।

अच्छा उत्पादन लेने के साथ ही किसानों को उनके उत्पादों का तब तक उचित लाभ नहीं मिल सकता जब तक कि किसान अपने कृषि उत्पाद को उचित दरों पर बिक्री नहीं कर लेता है। इसलिए कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए किसान सही समय पर उचित दरों पर अपने कृषि उत्पादों को बिक्री करें। जिससे उन्हें अधिक लाभ हो सके। आज के समय में वहीं किसान फायदें में है जिसकी एक नजर खेत पर और दूसरी नजर बाजार पर होती है।

खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए आज जरूरत इस बात की है कि खेती के साथ-साथ हम विविधीकरण की ओर भी पूरे प्रयास करें। इसके लिए पशुपालन के माध्यम से डेयरी व्यवसाय, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, रेशम कीट उत्पादन आदि सहयोगी व्यवसाय अमल में लाकर अपनी आमदनी दोगुनी से ज्यादा बढ़ा सकते हैं। पशुओं से मिलने वाला गोबर आदि जैविक खाद के रूप में खेतों में काम आ सकेगा। इतना ही नहीं बल्कि फसल खराब होने की स्थिति अथवा एक व्यवसाय में नुकसान होने की स्थिति में दूसरे कृषि आधारित व्यवसाय से लाभ प्राप्त होने से आजीविका बेहतर तरीके से संचालित हो सकेगी। किसानों को चाहिए कृषि उत्पादों का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए खेती और पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पादों का मूल्यसंर्वधन करके और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।


डेयरी व्यवसाय भी लाभ का व्यवसाय बनता जा रहा है। खेती के साथ ही इस व्यवसाय को छोटे-बड़े सभी किसान आसानी से कर सकते हैं। खेती से ही अनाज, चारा, दाना डेयरी पशुओं के लिए प्राप्त होता है। डेयरी उत्पादों की मांग भी तेजी सेे बढ़ रही है। सीमांत एवं भूमिहीन किसान जिनके पास कम पूंजी तथा कम जमीन है। वह बकरी पालन जैसे व्यवसाय करके अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। कम समय, कम श्रम, कम पूंजी लगाकर बकरी पालन का व्यवसाय बढे आसानी से किया जा सकता है।

इसी प्रकार से मुर्गी पालन एवं मशरूम उत्पादन जैसे व्यवसाय भी खेती के साथ बड़ी आसानी से किये जा सकते हैं। इन व्यवसायों को करने पर खेती के खाली समय में समय का सदुपयोग होने के अलावा किसानों को वर्षभर कार्य भी मिलता रहता है। खेतों की मेंड़ों पर बांस, करोंदा, मेंहदी जैसे कई पौधे लगाकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की जा सकती है। आज मिश्रित खेती भी किसानों को परम्परागत खेती से अधिक लाभ प्रदान कर रही है। किसानों को चाहिए कि खेती से और अधिक लाभ लेने के लिए वर्ष में दो फसलों की बजाय तीन फसलें लेने का प्रयास करें साथ ही दलहन की कम अवधि की फसलें उगाएं जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा।

इन तरीकों को अपनाकर बनाकर कृषि को बना सकते हैं लाभ का व्यवसाय

  • कृषि लागत में कमी करें।
  • मिट्टी की जांच कराएं।
  • संतुलित उर्वरकों के साथ जैविक खादों का अधिक उपयोग करें।
  • उन्नतशील प्रजातियों के बीजों को प्रयोग में लाएं।
  • नवीनतम कृषि तकनीकों को अमल में लाएं।
  • फसल चक्र अपनाएं।
  • अधिक मुनाफा देने वाली फसलें अपनाएं।
  • फसल विविधिकरण अपनायें -फल-फूल, सब्जी, औषधीय, दलहनी।
  • फसल बीमा अपनाएं।
  • उचित विपणन व्यवसाय अपनाएं।
  • डेयरी/पशुपालन करें।
  • बकरी पालन।
  • मुर्गी पालन।
  • मधुमक्खी पालन।
  • मशरूम उत्पादन।

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