किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए मिलेगा 48 हजार रुपये तक का अनुदान

आवारा पशुओं और नीलगाय जैसे जंगली जानवरों की वजह से किसान खेती नहीं कर पाते हैं। फसलों को बचाने के लिए किसान तारबंदी करते हैं, लेकिन हर एक किसान के लिए तारबंदी करना मुश्किल होता है, क्योंकि इससे लागत बढ़ जाती है। लेकिन सरकार की इस योजना से हर कोई अपनी फसल बचा सकता है।

Pintu Lal MeenaPintu Lal Meena   30 May 2022 12:02 PM GMT

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किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए मिलेगा 48 हजार रुपये तक का अनुदान

व्यक्तिगत आवेदन करने वाले एक किसान के पास एक ही जगह न्यूनतम 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि (6 बीघा) राजस्व रिकॉर्ड अनुसार होना जरूरी है। फोटो: पिक्साबे

किसान भाई नील गाय और आवारा पशुओं से फसलों की सुरक्षा के लिए दिन रात जद्दोजहद करते रहते हैं, इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को अनुदान दे रही है।

राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना, राज्य योजना, एनएमईओ (राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - तिलहन) योजना के तहत नील गाय व आवारा पशुओं से फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों में कांटेदार तारबंदी / चैनलिंक करवाने के लिए अनुदान दिए जा रहे हैं।

व्यक्तिगत आवेदन करने वाले एक किसान के पास एक ही जगह न्यूनतम 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि (6 बीघा) राजस्व रिकॉर्ड अनुसार होना जरूरी है या फिर सामूहिक रूप से 2 या अधिक किसानों के नाम एक ही जगह न्यूनतम 1.5 हेक्टेयर (6 बीघा) कृषि भूमि होना जरूरी है।

ऐसे करें कांटेदार तारबंदी/ चैनलिंक योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन

नजदीकी ई मित्र केंद्र पर अपने साथ 6 माह से पहले की नवीनतम जमाबंदी, नक्शा ट्रेश, लघु - सीमांत प्रमाणपत्र, जनाधार कार्ड, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, एक रंगीन फ़ोटो सहित आवश्यक दस्तावेज ई मित्र पर साथ लेकर जाए व राज किसान साथी पोर्टल पर दिनांक 30 मई 2022 से अपना ऑनलाइन आवेदन कर मूल पत्रावली सम्बंधित कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय में जमा कराएं।


इस तरह जारी होगी कांटेदार तारबंदी के लिए प्रशासनिक स्वीकृति

जिले को आवंटित भौतिक लक्ष्य अनुसार राज किसान साथी पोर्टल पर प्राप्त ऑनलाइन आवेदनों की वरीयतानुसार पहले आओ पहले पाओ के आधार पर पत्रावलियों की कार्यालय स्तर से स्क्रूटनिग की जाएगी उसके सम्बंधित सहायक कृषि अधिकारी/कृषि पर्यवेक्षक द्वारा मौके पर कार्य का जाकर प्री - वेरिफिकेशन किया जाएगा। पत्रावली पात्र होने पर प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाएगी उसके बाद ही किसान को तारबंदी कार्य कृषि विभाग द्वारा जारी दिशा - निर्देश अनुसार सम्बंधित कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी से पूर्ण जानकारी लेकर तारबंदी कार्य पूरी करवाएं।

कांटेदार तारबंदी/चैनलिंक कार्य इस तरह करना होगा

कृषि विभाग से कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के बाद प्री - वेरिफिकेशन के समय सम्बंधित कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी द्वारा मौके पर जाकर निर्धारित की गई परिधि (पैरी - फेरी) में प्रत्येक 03 मीटर की दूरी पर प्रीकॉस्ट सीमेंट कंक्रीट पिलर/लोहे के ऐंगल को सीमेंट कंक्रीट फाउंडेशन (30 ×45सेमी) के साथ लगते हैं या पत्थर की पट्टियों के टुकड़े बिना फाउंडेशन के लगा सकते है व 6 वायर आड़े लगाते हैं। दोनों खम्बों( पिलरों) के मध्य 2 क्रॉस वायर लगाते है या चैनलिंक (जाल) भी लगा सकते हैं। प्रत्येक 10वें पिलर व कोनों पर एक स्पोर्टिंग पिलर भी लगाना होगा। इस तरह का काम विभागीय दिशा-निर्देश अनुसार किसानों द्वारा पूर्ण करने पर सम्बंधित कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी द्वारा भौतिक सत्यापन/जांच के बाद सम्बंधित किसानों को उनके बैंक खातों में अनुदान राशि जमा कराई जाती है।

इस तरह होगा अनुदान राशि का भुगतान

व्यक्तिगत आधार पर एक किसान को न्यूनतम 1. 5 हेक्टेयर भूमि में अधिकतम 400 मीटर रनिंग लंबाई पर 40,000 या लागत का 50 % अनुदान देय है। लम्बाई 400 मीटर से अधिक होने पर किसान अपने स्तर शेष लम्बाई में तारबंदी कार्य कराएगा व लम्बाई 400 मीटर से कम होने पर प्रोरेटा वेसिस के आधार पर अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा। लघु - सीमांत किसान को लागत का 60% या अधिकतम 400 मीटर रनिंग लम्बाई के लिए 48000 रुपये का अनुदान देय है।

समूह में दो या अधिक किसानों द्वारा न्यूनतम 1.5 हैक्टेयर भूमि पर तारबंदी करने पर प्रति कृषक अधिकतम 400 मीटर रनिंग के लिए लागत 50% या अधिकतम 40,000 रुपये का अनुदान देय है। लम्बाई 400 मीटर से कम होने पर प्रोरेटा वेसिस पर अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा। समूह में लघु - सीमांत कृषक होने पर लागत का 60% या अधिकतम 400 रनिंग मीटर के लिए 48000 रुपए प्रति किसान दिया जाएगा।

अनुदान राशि सम्बंधित कृषकों को सीधे ही बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की जाएगी।

किसे नहीं मिलेगा अनुदान

चारागाह भूमि, धार्मिक ट्रस्ट, सरकारी संस्थान को इस योजना से बाहर रखा गया है।

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