जुलाई महीने के लिए जरूरी सलाह: इस महीने क्या करें और क्या न करें मछली पालक

देश के कई राज्यों में एक बड़ा तबका मछली पालन से जुड़ा हुआ है, मछली पालकों के लिए हर एक महीना महत्वपूर्ण होता है, जानिए इस महीने मछली पालकों को क्या जरूरी काम करने चाहिए।

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जुलाई महीने के लिए जरूरी सलाह: इस महीने क्या करें और क्या न करें मछली पालक

मछली पालकों के लिए जुलाई महीना काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय बारिश शुरू जाती है, ऐसे में मछली पालकों के लिए जानना सबसे जरूरी हो जाता है कि इस महीने उन्हें क्या करना चाहिए।

नर्सरी तालाब में स्पॉन डालने से 15 दिनों बाद ही रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करें।

मछली पालक किसान अपने तालाब में फिंगरलिंग 6000-8000 प्रति एकड़ या ईयरलिंग 2000 से 4000 प्रति एकड़ की दर से अपने तालाब में डाल सकते हैं।

ब्रूडर तालाब में पूरक आहार का प्रयोग मछली के कुल शरीर भार का 2 से 3 प्रतिशत की दर से करें।


मछली बीज उत्पादक अपनी हैचरी से रोहू, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प और सिल्वर कार्प को स्पॉन का उत्पादन के लिए उसका प्रबंधन करें।

तालाब में चूने का प्रयोग 15 दिनों के अंतराल पर पीएच मान के अनुसार 10-15 किलो प्रति एकड़ की दर से करें।

महीने में एक बार जैविक खाद के रूप में गोबर 400 किलो प्रति एकड़ या सरसों की खली 100 किलो प्रति एकड़ और सिंगल सुपर फॉस्फेट 15-20 किलो प्रति एकड़ की दर से घोलकर छिड़काव करें। रासायनिक और जैविक उर्वकर के बीच का अंतराल कम से कम 15 दिन होना चाहिए।

जुलाई महीने में बारिश का मौसम होने और आर्द्रता ज्यादा होने के कारण तालाब के पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाने की संभावना बनी रहती है। इस तरह की समस्या आने पर एडऑक्सी नाम की दवा 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

तापमान अधिक रहने पर पूरक आहार का प्रयोग आधा कर दें।

संचय घनत्व ज्यादा रहने पर कुछ मछली को निकाल दें और तालाब में सुबह शाम 2 घंटा एयरेटर का प्रयोग करें।

ब्रूडर तालाब, ग्रोअर तालाब और नर्सरी तालाब में जलीय कीट अधिक होने पर जैविक और रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से 2 दिन पहले व्यूटॉक्स या टीनिक्स या टीकआउट या कलीनार में से कोई एक दवा का प्रयोग 10-12 बजे के बीच अच्छा मौसम होने पर 80 से 100 मिली प्रति लीटर एकड़ की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें। छिड़काव के दिन पूरक आहार का प्रयोग बंद कर दें।

तालाब को संक्रमण मुक्त रखने के लिए प्रति महीने 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटेशियम परमेंगनेट को घोलकर पानी में छिड़काव करें।

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