स्टिकी ट्रैप : हजारों रुपये के कीटनाशकों की जरुरत नहीं, ये पीली पन्नियां बचाएंगी आपकी फसल

Divendra SinghDivendra Singh   9 July 2019 5:52 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
स्टिकी ट्रैप : हजारों रुपये के कीटनाशकों की जरुरत नहीं,  ये पीली पन्नियां बचाएंगी आपकी फसलसीतापुर में किसानों को स्टिकी ट्रैप की खूबियां बताते कृषि वैज्ञानिक 

फसल है तो कीट भी होंगे। ये कीट दो तरह के होते हैं मित्र और शत्रु कीट। लेकिन जरुरी नहीं इन्हें खत्म करने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाए, कुछ और भी उपाय हैं..

लखनऊ। इस समय फसलों में थ्रिप्स, एपिड, फलमक्खी जैसे कीट-पतंगों का प्रकोप बढ़ जाता है, ऐसे में किसान कीटनाशक का प्रयोग करते हैं, जो कि फसल और पर्यावरण दोनों के लिए नुकसानदायक होता है। ऐसे में स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से फसलों में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया, सीतापुर के वैज्ञानिक इस समय किसानों को स्टिकी ट्रैप लगाने को प्रेरित कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, "रासायनिक दवाओं से कीट नियंत्रण में कई तरह की दिक्कतें आती हैं, जिसमें कृषि पर्यावरण को कई तरह के नुकसान होते हैं। जबकि स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से किसान इन सभी दिक्कतों से बच सकते हैं।"

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

अन्तरराष्ट्रीय बाजार पर शोध करने वाली संस्थान केन के शोध के अनुसार, भारत में कीटनाशक का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। उसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2018 तक देश में 229,800 लाख का करोबार हो जाएगा। केन्द्रीय एकीकृत प्रबंधन संस्थान लखनऊ के निदेशक डॉ. उमेश कुमार बताते हैं, "जिस तरह से कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है, इससे पर्यावरण पर प्रभाव पड़ रहा है, इसलिए किसानों को चाहिए कि जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।" सीतापुर जिले के लहरपुर ब्लॉक के किसान रामजी खरे ने डेढ़ एकड़ में मूंगफली की फसल लगायी है। रामजी बताते हैं, "इस समय में मूंगफली में कीड़े लगने लगते हैं, हम लोग दवा छिड़कते थे, लेकिन अब यही इस्तेमाल करेंगे।"

ये भी पढ़ें- नुकसान से बचना है तो किसान बीज, कीटनाशक और उर्वरक खरीदते समय बरतें ये सावधानियां

सीतापुर में किसानों को दी गई ट्रेनिंग।

डॉ. दया आगे बताते हैं, "फसल में जब कीटों की सघनता बढ़ जाए तभी कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। किसानों को चाहिए कि खेत के आसपास खरपतवार न उगने दें और एक ही फसल बार-बार नहीं लगानी चाहिए।" स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीट होती हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेत में लगाई जाती है। इससे फसलों पर आक्रमणकारी कीटों से रक्षा हो जाती है और खेत में किस प्रकार के कीटों का प्रकोप चल रहा है इसका सर्वे भी हो जाता है।

कैसे काम करता है स्टिकी ट्रैप

हर कीट किसी विशेष रंग की ओर आकर्षित होता है। अब अगर उसी रंग की शीट पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगाकर फसल की ऊंचाई से करीब एक फीट और ऊंचे पर टांग दिया जाए तो कीट रंग से आकर्षित होकर इस शीट पर चिपक जाता है। फिर यह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं।

घर पर बनाएं स्टिकी ट्रैप

यह बाजार में भी बनी बनाई आती हैं और इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है। एक स्टिकी ट्रैप बनाने में औसतन 15-20 रुपए का खर्च आता है। इस पीली पन्नी से बना सकते हैं। इस पर रेड़ी का तेल या फिर मोबिल ऑयल लगा सकते हैं। एक एकड़ में लगाने के लिए करीब 6-8 स्टिकी ट्रैप लगाएं। इन ट्रैपों को पौधे से 50-75 सेमी ऊंचाई पर लगाएं। यह ऊंचाई कीटों के उड़ने के रास्ते में आएगी।

ये भी पढ़ें- वेस्ट डी कम्पोजर की 20 रुपए वाली शीशी से किसानों का कितना फायदा, पूरी जानकारी यहां पढ़िए

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

           

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.