गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)। आम की फसल के लिए अप्रैल का महीना काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय बौर झड़ता है जिससे कीट पंतगों का प्रकोप भी बढ़ता है। इसमें मिली बग बौर के रस को चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं।
इस कीट की लगने से फल बनने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है। अगर समय से इस कीट को न हटाया जाए तो किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कीट एवं कृषि जंतु विज्ञान विभाग के भूतपूर्व शोधार्थी रमेश सिंह यादव बताते हैं, “इस समय “आम का मिली बग कीट” बहुत बड़ी तादात में फसल को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट कभी- कभी 50 प्रतिशत से भी अधिक नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है।”
शोधार्थी रमेश सिंह ने हाल में ग़ाज़ीपुर जिले के उधरनपुर डेहरिया गांव में हाजी इस्लाम के बाग का निरीक्षण किया जहां बड़ी संख्या में उन्हें यह कीट देखने को मिला।
बाग में कीट लगने के बाद के लक्षणों के बारे में रमेश बताते हैं, “यह कीट आर्द्रता और ताप बढ़ने पर तेजी से बढ़ता है। यह टहनियों, फलवृंत, फलों, पत्तियों सब पर फैल जाता है और उनका रस चूसता है और “हनी डिव” छोड़ता है जिससे पत्तियां चिपचिपाने लगती है ।
उत्तर प्रदेश में 250 हजार हेक्टेयर से ज्य़ादा रकबे पर आम की खेती होती है। भारत विश्व के सबसे बड़े आम निर्यातक देशों में से है।
बाग में इस कीट के प्रकोप को रोकने के लिए रमेश बताते हैँ, “पहले से सावधानी रखकर इससे बचाया जा सकता है। बाग-बगीचों की सफाई रखी जाए। गर्मियों में बागों की अच्छी जुताई करके छोड़ देना चाहिए ताकि इस कीट की मादा और अंडे चिड़ियों तथा तेज धूप से नष्ट हो जाए। दिसंबर के महीने में पेंड के तने में जमीन से एक फ़ीट की ऊंचाई पर 30 सेमी पॉलिथीन लपेटकर उसमे ग्रीस लगा दे तो इसका निम्फ मिट्टी से पेंड पर नहीं जा पायेगा।”
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कीट के रोकथाम के बारे में जानकारी देते हुए रमेश कहते हैं, ” पेंड के चारो तरफ 6 से 8″ ऊंचाई तक मिट्टी गोदकर पेड़ के तने पर चढ़ा दें और इसमें 250 ग्राम क्लोरपायीरिफोस धूल मिक्स कर दे । यह काम भी दिसम्बर महीने में, नही तो जनवरी में हर हालत में कर लें। अगर ऐसा भी नही कर पाए और आपको जानने समझने में देर हो गयी हो तो डाईमेथोएट 30 EC 2 मिली/लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं।”