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बीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखती है हल्दी, विशेषज्ञ से जानिए कैसे करते हैं इस्तेमाल

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के वैज्ञानिकों ने हल्दी पाउडर के इस्तेमाल से बीज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सफलता पायी है।
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फसलों की कटाई के बाद अगले सीजन के लिए बीजों को सुरक्षित रखना किसानों के लिए सबसे मुश्किल काम होता है, किसान कई तरह की रसायनिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिनसे बीज तो सुरक्षित रहता है, लेकिन सेहत के लिए रसायन नुकसानदायक होता है। इससे बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने सुरक्षित और सस्ता तरीका ढूंढ लिया है।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के विशेषज्ञों ने देशी तरीके से बीज का भंडारण किया है, जोकि पूरी तरह से कारगर भी है। विश्वविद्यालय के बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ सीएल मौर्या और उनकी टीम ने हल्दी से अरहर के बीजों का भंडारण कर सफलता पायी है।

अरहर के बीज के भंडारण के बाद उसकी बुवाई के बाद पौधों की अच्छी वृद्धि भी हुई।

बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ सीएल मौर्या गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “किसान फसल कटाई के बाद अगले साल के लिए बीज और अपने खाने के लिए अनाज रखता है, जिसको बचाने के लिए तरह-तरह के रसायनों का इस्तेमाल करता है, जो काफी खतरनाक होते हैं। हम लंगे समय कोशिश में थे कि कुछ ऐसा विकल्प हो जिससे हम कम खर्च में बीजों को लंबे समय तक सुरक्षित कर पाएं।”

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हल्दी पाउडर, नीम, यूकेलिप्टस, लेमन ग्रास, तुलसी, लैंटाना कैमारा की पत्तियों और रस का प्रयोग बीजों को सुरक्षित रखने के लिए किया। इन सबमें सबसे असरदार हल्दी पाउडर रहा। अरहर के बीज को हल्दी के पाउडर में एक साल तक सुरक्षित रखने के बार विश्वविद्यालय के फार्म पर बीज की बुवाई की अच्छा परिणाम मिला।

डॉ. सीएल मौर्या आगे कहते हैं, “एक किलो बीज में 4 ग्राम हल्दी पाउडर अच्छी तरह मिलाकर देना चाहिए और बीज में नमी 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए, इसलिए भंडारण से पहले बीज को अच्छी तरह से सुखाकर हल्दी पाउडर में रखना चाहिए।”

वैज्ञानिकों ने हल्दी पाउडर, नीम, यूकेलिप्टस, लेमन ग्रास, तुलसी, लैंटाना कैमारा की पत्तियों और रस का प्रयोग बीजों को सुरक्षित रखने के लिए किया। इन सबमें सबसे असरदार हल्दी पाउडर रहा।

डॉ मौर्या ने इस शोध को 28 जनवरी 2020 में थाईलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रजेंट किया था, जहां पर इस प्रयोग के लिए उन्हें डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट का अवार्ड मिला था। उनकी रिसर्च को आइसीएआर ने मंजूरी दे दी है।

डॉ मौर्या आगे बताते हैं, “हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है तो कड़वा होता है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया, फंगस, कीड़े नहीं लगते हैं। और लगभग एक साल तक बीज को सुरक्षित रख सकते हैं। कई बार किसान के पास ज्यादा बीज होता है तो उसे अपने खाने में भी इस्तेमाल कर लेता है। हल्दी पाउडर में भंडारण करने से यह पूरी तरह रसायनमुक्त रहता है।”

हल्दी में एंटी आक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबियल गुण भी होते हैं। इसी कारण से घर में रखी हल्दी में भी कीड़े नहीं पड़ते हैं। वैज्ञानिकों की टीम आने वाले समय में करक्यूमिन के नैनो पार्टिकल्स से बीजों को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रही है। डॉ मौर्या के अनुसार, “नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से नैनो पॉर्टिकल्स पर हम काम कर रहे हैं, जिससे बीजों को सुरक्षित रखना और आसान हो जाएगा।

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