लखनऊ। इस समय ज्यादातर किसानों ने धान की कटाई करके सरसों की बुवाई कर ली है, इस समय सरसों के साथ ही सब्जियों की खेत में कई तरह के रोग कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए समय रहते प्रबंधन करना चाहिए।
सरसों की फसल में आरा मक्खी की इल्ली का आक्रमण होने की संभावना ज्यादा रहती है। इस कीट की इल्लियां पत्तियों की नसों को छोड़कर शेष सारी पत्ती को खा जाती हैं, जिसके कारण भोजन निर्माण प्रक्रिया प्रभावित होती है और पौधा सूखने लगता है। इसके नियंत्रण के लिए इंडोक्साकार्ब 14.5 एसपी 12 मिली. प्रति पंप अथवा क्वीनालफास 25 ईसी 30 मिली. प्रति पंप की दर से प्रभाविज फसल पर छिड़काव करें।
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सरसों के खेत से फालतू पौधों की छटाई करें और उन्हें पशुओं को खिला देना चाहिए। सरसों के फालतू पौधे इस हिसाब से निकालें कि पौधों के बीच की दूरी करीब 15 सेंटीमीटर रहे।
सरसों के पौधों को सफेद गेरुई व झुलसा बीमारियों से बचाने के लिए जिंक मैंगनीज कार्बामेट 75 फीसदी वाली दवा की 2 किलोग्राम मात्रा पर्याप्त पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
सरसों को आरा मक्खी व माहू कीट से बचाने के लिए इंडोसल्फान दवा की डेढ़ लीटर मात्रा 800 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें। अगर कीड़ों का आक्रमण कम हो तो छिड़काव की संख्या कम की जा सकती है। छिड़काव शाम के समय करें, जब फसल पर मधुमक्खियां कम होती है।
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अरहर की फसल में इस समय पत्ती मोड़क या माइट का प्रकोप बढ़ जाता है, इसका प्रकोप दिखाई देने पर डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 200 मिली. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
सब्जियों की खेती
टमाटर में फल सड़ने से बचाव के लिए सायमोक्सानिल + मैंकोजेब 40 ग्राम प्रति पंप (15 लीटर पानी) की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें। इसके साथ ही इस समय टमाटर और मिर्च में लीफ कर्लिंग की समस्या बढ़ जाती है। इससे बचाव व नियंत्रण के लिए सेफिना (एफिडापायरोपेन) 40 मिली. प्रति पंप प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।
बैंगन में तना छेदक और फल छेदक के नियंत्रण के लिए सबसे पहले प्रभावित तने को पौधे से अलग कर दें, उसके बाद फ्लूबेण्डामाइड पांच मिली. प्रति पंप के हिसाब से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।