सस्ता और आसान है बीज शोधन का ये तरीका, देखिए वीडियो

#seed treatment

लखनऊ। किसान उपज की पैदावार और फसल में लगने वाले कीटों से हमेशा परेशान रहते हैं। लेकिन अगर बीज शोधन कर बुवाई की जाए तो कीट और रोग लगने की आशंका कम हो जाती है। कृषि जानकारों के मुताबिक बीज शोधन से वही फायदा होता है जो बच्चों को पोलियो ड्राप पिलाने का होता है।

लखनऊ में आयोजित कृषि कुंभ में आये प्रदेशभर के किसानों को उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने बीज शोधन की आसान विधियों की जानकारी दी। बीज शोधन विधि के बारे में लखनऊ के जिला कृषि रक्षा अधिकारी जनंजय सिंह बताते हैं ” इस विधि से किसान अपनी उपज का पैदावार तो बढ़ा ही सकता है साथ में कीट और रोगों से 80 फीसदी तक बचाव किया जा सकता है। बीज शोधन को सीड ट्रीटमेंट या बीजोपचार भी कहा जाता है। हर किसान को हर फसल लगाने से पहले बीज शोधन जरूर करना चाहिए।”

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कैसे करें बीज शोधन

धनंजय सिंह बताते हैं कि किसानों को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए। किसानों को ये समझना होगा कि जब बीज अच्छा और रोगमुक्त होगा तभी अच्छी पैदावार होगी, और बीज शोधन में खर्च भी बहुत मामूली आता है। एक हेक्टेयर में मुश्किल से 50 से 100 रुपए का खर्च आता है और रबी सीजन के किसानों के लिए ये बहुत ही लाभदायक साबित होगा। गेहूं की बीज के लिए एक किलोग्राम बीज में पांच ग्राम ट्राइकोडरमा का प्रयोग करें। फिर इसे एक घड़े में अच्छे से मिला लें और उसे ढंक दें। इसके बाद इसे सूख जाने पर इस बीज का प्रयोग करें।


उन्होंने आगे बताया कि ट्राइकोडरमा जो भूमि जनित फफूंद रोग जैसे जड़गलन, उखटा, झुलसा, तना, गलन एवं अन्य भूमिगत के जैविक नियंत्रण में मत्वपूण भूमिका अदा करता है का प्रयोग कपास, चना, सरसों, अरहर, जीरा, दलहनी फसलें, केला, मूंग, काली मिर्च, गोभी, खीरा, गाजर, टमाटर, धनिया, बेंगन, अदरक, भिंडी, पुदीना, कॉफी, चाय, तंबाकू, हल्दी, सोयाबीन, मूँगफली, धान, सूरजमुखी, गेहूं सहित निम्बू वर्गीय सब्जियों, फलों फल वृक्षों आदि के सभी प्रकार के पौधों की बिमारियों के रोकथाम हेतु इसका प्रयोग किया जाता है।

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धनंजय सिंह आगे बताते हैं “इसके अलावा बीज शोधन और भी तरीकों से किया जा सकता है। जैसे ढाई ग्राम थीरम या दो ग्राम कार्बनडाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी प्रति किलोग्राम धान बीज के हिसाब से प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अरहर और मूंगफली में ढाई ग्राम थीरम या एक ग्राम कार्बनडाजिम प्रति किग्रा हेक्टेयर बीज की दर से प्रयोग करना चाहिए।

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