गेहूं की फसल पर फरवरी का आखिरी हफ्ता भारी, वैज्ञानिक बोले- तेज हवाओं और गर्मी से बचाने के लिए किसान करें हल्की सिंचाई

Ashwani NigamAshwani Nigam   24 Feb 2017 5:12 PM GMT

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गेहूं की फसल पर फरवरी का आखिरी हफ्ता भारी, वैज्ञानिक बोले- तेज हवाओं और गर्मी से बचाने के लिए किसान करें हल्की सिंचाईप्रदेश के 9900 हजार हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल पर खतरा मंडरा रहा है।

उत्तरी पश्चिमी दिशा में 12-15 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। इससे मौसम शुष्क होगा। गेहूं की फसल गिरने की संभावना के साथ ही गेहूं के दानों पर इसका असर पड़ेगा जिससे गेहूं की पैदावार घटने की संभावना है।

लखनऊ। प्रदेश के 9900 हजार हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल पर खतरा मंडरा रहा है। मौसम में आ रहे उतार-चढ़ाव और बुधवार से शुरू हुई तेज हवाओं से गेहूं की पैदावार पर असर पड़ सकता है, ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों को किसानों को ये तरीके अपनाने की सलाह दी है।

भारतीय मौसम विज्ञान के लखनऊ स्थित मौसम विज्ञान केन्द्र अमौसी ने उपग्रह से प्राप्त चित्रों के बाद उत्तर प्रदेश के लिए जो चेतावनी जारी की है उसके मुताबिक 22 फरवरी से लेकर 28 मार्च तक उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में पहले चार दिनों में दिन के अधिकतम और रात के न्यूनतम तापमान में 2-4 डिग्री सेंटीग्रेट तक की कमी होगी। वहीं सप्ताह के अगले तीन दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से लेकर 5 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि होगी।

तेज हवा से गेहूं की फसल को गिरने से बचाने के लिए शाम में जब हवा मंद हो जाए उस समय खेत में हल्की सिंचाई करें। गेहूं उत्पादक किसानों के लिए फरवरी का अंतिम सप्ताह वह समय होता है जब उन्हें अपनी फसल का अधिक ध्यान रखना होता है।
डॉ. महक सिंह, कृषि वैज्ञानिक, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्वोगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर

कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्वोगिकी विश्वविद्यालय में कृषि वैज्ञानिक डॉ. महक सिंह किसानों को सलाह देते है कि तेज हवा से गेहूं की फसल को गिरने से बचाने के लिए शाम में जब हवा मंद हो जाए उस समय खेत में हल्की सिंचाई करें। इसी मौसम में गेहूं की बाली पर कंडुवा रोग का लक्षण दिखता है। अगर खेत में किसी भी बाली में यह दिखाई दे तो उसे तुरंत काटकर जमीन में दबा दें नहीं तो बाकी पौधों की बालियों को भी वह अपने चपेटे में ले लेगा।” वो आगे बताते हैं, “ गेहूं उत्पादक किसानों के लिए फरवरी का अंतिम सप्ताह वह समय होता है जब उन्हें अपनी फसल का अधिक ध्यान रखना होता है।”

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इसके साथ ही उत्तरी पश्चिमी दिशा में 12-15 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। इससे मौसम शुष्क होगा। गेहूं की फसल गिरने की संभावना के साथ ही गेहूं के दानों पर इसका असर पड़ेगा जिससे गेहूं की पैदावार घटने की संभावना है। बुधवार को मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह की बैठक में वैज्ञानिकों ने मौसम में आ रहे बदलाव पर चिंता जताई और फसलों को बचाने के लिए सलाह जारी की।

नरेन्द्र नाथ कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसआर मिश्रा ने बताया, ‘’गेहूं के पौधे में दाने निकल रहे हैं। यह दाने दूध से भरे हुए नाजुक होते हैं। अगर तापमान बढ़ता या घटता है, दोनों ही स्थिति में दानों के दूध सूख जाते हैं। जिससे दाना कमजोर हो जाता है।’’ उन्होंने बताया कि मौसम विभाग ने अभी जो आंकड़े जारी किए हैं इस सप्ताह तेज हवाओं के साथ तापमान में बढोत्तरी और गिरावट दोनों की संभावना है। यह गेहूं के लिए फायदेमंद नहीं है।

गेहूं की बाली

गेहूं के पौधे में दाने निकल रहे हैं। यह दाने दूध से भरे हुए नाजुक होते हैं। अगर तापमान बढ़ता या घटता है, दोनों ही स्थिति में दानों के दूध सूख जाते हैं। जिससे दाना कमजोर हो जाता है।
डॉ. एसआर मिश्रा, मौसम वैज्ञानिक, नरेंद्र नाथ कृषि विश्वविद्यालय

तेज हवा से गेहूं की फसल को गिरने से बचाने के लिए शाम में जब हवा मंद हो जाए उस समय खेत में हल्की सिंचाई करें। इसी मौसम में गेहूं की बाली पर कंडुवा रोग का लक्षण दिखता है। अगर खेत में किसी भी बाली में यह दिखाई दे तो उसे तुरंत काटकर जमीन में दबा दें नहीं तो बाकी पौधों की बालियों को भी वह अपने चपेटे में ले लेगा। गेहूं उत्पादक किसानों के लिए फरवरी का अंतिम सप्ताह वह समय होता है जब उन्हें अपनी फसल का अधिक ध्यान रखना होता है।

रिकॉर्ड क्षेत्रफल में बोया गया गेहूं

कई वर्षों बाद इस बार उत्तर प्रदेश में रिकार्ड क्षेत्रफल में गेहूं की बुवाई की गई है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने रबी अभियान 2016-17 के अंतर्गत गेहूं की बुवाई के जो आंकड़े जारी किए हैं उसके मुताबिक इस बार 9900 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है। जबकि पिछले साल 9499.274 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस बार बुवाई के समय मौसम भी अनुकूल था।

बचाव के लिए ये करें किसान

तामपान बढ़ने और हवा चलने से गेहूं के खेतों में दरार पड़ जाती और गेहू की फसल गिर जाती है। ऐसे में इसको बचाने के लिए राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह ने गेहूं के किसानों के लिये सलाह जारी की है। जिसके मुताबिक तापमान बढ़ने की स्थिति में गेहूं के खेत में 2 प्रतिशत यूरिया और 2 प्रतिशत म्यूरेट आफ पोटाश का छिड़काव करें। इसके अलावा पानी में घुलने वाले बोरेक्स को 100 लीटर पानी में 50 ग्राम बोरेक्स को मिलाकर इसका छिड़काव करें।

      

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