लखनऊ। मौसम में बदलाव और बार-बार खेत में एक ही फसल लगाने पर चने की फसल में उकठा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में किसान सही प्रबंधन अपनाकर इससे छुटकारा पा सकते हैं।पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉ. इब्ने अली बताते हैं, “इस रोग का प्रभाव खेत मे छोटे छोटे टुकड़ों मे दिखाई देता है। प्रारम्भ मे पौधे की ऊपरी पतियां मुरझा जाती हैं, धीरे-धीरे पूरा पौधा सूखकर मर जाता है। जड़ के पास तने को चीरकर दिखने परवाहक ऊतकों मे कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचना के रूपमे दिखाई देता है।
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इसके नियंत्रण के लिए ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करें। साथ ही चार किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हैक्टयर की दर से खेत मे मिलाएं। खड़ी फसल मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी.0.2 प्रतिशत घोल का पौधों के जड़ क्षेत्र मे छिड़काव करें।
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