लखनऊ। वर्ष की शुरुआत से अब तक दाल के दाम 200 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ चुके हैं। इसका मुख्य कारण इस वर्ष रबी में दलहन की फसलें ओलावृष्टि से ख़राब होने को बताया जा रहा है जबकि देश के कुल उत्पादन में कमी तो मात्र 12 प्रतिशत ही रही।
पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष दलहन (अरहर, मूंग, चना, मसूर, उड़द) का उत्पादन 1.74 करोड़ टन रहा, यानी पिछले वर्ष के मुकाबले 12 प्रतिशत की कमी, जबकी मूल्यों में बढ़ोतरी 100 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गयी। वर्ष 2015 की शुरुआत में जो अरहर की दाल फुटकर बाज़ार में 80-90 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, वो अब 200 रुपये किलो का आंकड़ा भी पार गयी।
इस अप्रत्याशित बढ़ोतरी का एक कारण कालाबाज़ारी व जमाखोरी को मानते हुए सरकार ने बाज़ार में दाल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भण्डारण को लेकर जो भी छूट दी थी, उसे समाप्त कर दिया।
केंद्र सरकार की विज्ञप्ति के अनुसार दालों पर भंडारण सीमा लगाए जाने को सितम्बर 2016 तक एक साल के लिए विस्तारित करने के अपने पहले के आदेश में सरकार ने आयात से प्राप्त दालों के निर्यातकों, लाइसेंस प्राप्त खाद्य संसाधकों द्वारा कच्चे माल के रूप में व बड़े विभागीय खुदरा व्यापारियों के भंडारों समेत चार वर्गों के भंडारों को छूट दे रखी थी।
राष्ट्रीय समाचार टीवी चैनल एनडीटीवी को एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि कोई भी बड़ा घरेलू उद्योग दाल की जमाखोरी न किये हो, इसकी पुष्टि के लिए ही यह कदम उठाया गया है।
आसमान छू रही कीमतों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार 9000 टन दाल का आयात कर चुकी है। दाल के बढे मूल्यों से निपटने के लिए हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई अंतर-मंत्रालयी समूह की बैठक में दो हज़ार टन अतिरिक्त दाल का आयात करने का फैसला हुआ है।
इसके पहले सरकार एक बार 5000 टन दाल मंगवा चुकी है जो कि पहले से ही बंदरगाहों पर पड़ी है, 2000 टन रास्ते में है। लेकिन इतनी दाल देशभर में मूल्यों को कम करने के लिए अपर्याप्त होगी।
देशभर में दाल के मूल्यों को नीचे लाने के लिए आयातित मात्रा की तुलना प्रतिदिन की खपत से करें, तो सरकार का यह प्रयास ऊँट के मुंह में जीरा भर है। नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड रिसर्च के अनुसार प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 50 ग्राम दालें खाता है, यानी देश की कुल जनसँख्या की प्रतिदिन खपत लगभग 6000 टन हुई। ऐसे में 9000 टन अयातित दाल महज़ दो दिन की भी नहीं है। देश में उत्पादित दलहन की नयी खेप बाज़ार में आने में अभी 2-3 महीने का समय है।
विज्ञप्ति के अनुसार पांच सौ टन अरहर दाल केंद्रीय भंडार को व 200 टन दाल सफल के 400 से ज्यादा विक्रय केंद्रों के जरिए वितरण के लिए आवंटित कर दी गयी है। नई दिल्ली में 16 अक्टूबर से इन विक्रय केंद्रों के जरिए वितरण शुरू कर दिया गया है।
इसके अलावा समूह की बैठक में यह भी फैसला हुआ कि 500 करोड़ रुपये के मूल्य स्थिरीकरण कोष का भी इस्तेमाल दलहन से बढी कीमतों से लड़ने में किया जायेगा। इस कोष के इस्तेमाल से केंद्र सरकार बंदरगाहों से दाल राज्यों तक पहुंचाने के लिए आने वाले खर्च, भण्डारण व बाहर से आयी खड़ी दाल के प्रसंस्करण एवं मिलिंग के खर्च को वहन करेगी जिससे दाल की कीमत बाज़ार में कम रखी जा सके।
बढ़ाई एमएसपी, बनायेंगे बफ़र स्टॉक
विज्ञप्ति में केंद्र सरकार द्वारा दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाये जाने की भी जानकारी दी गयी है। उड़द एवं अरहर दाल के एमएसपी को बढ़ाकर 4,625 रुपए प्रति क्विंटल व मूंग दाल के लिए एमएसपी बढ़ारक 4,850 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
यह भी तय किया है गया है कि 40,000 टन दलहन खरीद कर सरकार देश में गेहूँ और चावल की तरह दलहन का भी बफ़र स्टॉक तैयार करेगी।