लखनऊ। आम बेल्ट लखनऊ निर्यात में फिसड्डी है, जबकि जिले में विश्वविख्यात दशहरी आम का उत्पादन होता है। प्रदेश से आम का निर्यात शुरू हो चुका है। वर्ष 2004 से अब तक लखनऊ सहारनपुर की तुलना में करीब 30 फीसद ही आम का निर्यात कर सका है। इन 12 वर्षों में सहारनपुर से 806.70 टन और लखनऊ से वर्ष 2016 में भी सहारनपुर से निर्यात ज्यादा होने की उम्मीद है।
प्रदेश से पहली बार नवाब ब्रांड आम का निर्यात शुरू किया गया था। पहले वर्ष में प्रदेश से 96.60 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया। इस वर्ष लखनऊ के रहमानखेड़ा मैंगो पैक हाउस से 5.96 टन और सहारनपुर से 3.70 टन निर्यात हुआ था। वर्ष 2013 में लखनऊ ने 22.09 टन और सहारपुर से 15.45 टन निर्यात हुआ था। इन दोनों वर्षों को छोड़कर लखनऊ कभी सहारनपुर को पछाड़ नहीं सका।
वहीं सहारनपुर से वर्ष 2006 में 10.90 टन और लखनऊ से 1.94 और वर्ष 2009 में सहारनपुर से 48.04 टन और लखनऊ से 1.41 टन आम का निर्यात हो सका। हालांकि इन दोनों वर्षों में लखनऊ में फसल कम हुई थी।
सब्सिडी बढ़े तो निर्यात भी बढ़े
प्रदेश में आम निर्यात की सहुलियत काफी कम है। मंडी परिषद की ओर से मिलने वाली सब्सिडी की रकम नाकाफी है। संगठन कई साल से सब्सिडी 75 फीसद किए जाने की मांग कर रहा है। लेकिन 25 फीसद की सब्सिडी मिल रही है। सरकार की ओर से 25 टन तक निर्यात करने वाले निर्यातक को ब्रांड प्रमोशन अनुदान के रूप में 13 रुपए प्रति किलो की दर से अनुदान दिया जाता है, जबकि दूसरे राज्यों में अधिक मिलता है। इससे लखनऊ तो पिछड़ रहा है प्रदेश भी निर्यात में पीछे है।
वीएचटी तकनीक ने बनाया सहारनपुर को अव्वल
सहारनपुर मैंगो पैक हाउस आधुनिक तकनीक से बना है। वीएचटी तकनीक से बने इस पैक हाउस में आम की गुणवत्ता ज्यादा बेहतर रहती है। इसके अलावा दिल्ली के करीब होने के कारण दिल्ली के साथ मुम्बई और गुजरात के निर्यातक यहां से निर्यात करना पसंद करते है। लखनऊ से निर्यात बढ़ाने के लिए रहमानखेड़ा पैक हाउस में जल्द ही वीएचटी की सुविधा उपलब्ध होगी।