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मौसम की मार के बाद सब्जियों पर कोरोना का साया, मांग घटी, अंगूर और आम के निर्यात पर भी असर

देश के किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। खराब मौसम के बाद कोरोना वायरस की मार से जहां सब्जियों की कीमत में गिरावट आई है तो वहीं कारोबारी भी इसे लेकर परेशान हैं। बाहर जाने वाले फल जैसे अंगूर और आम व्यापारियों में भय का माहौल है। अंगूर की कीमतों में जहां 30 से 40 फीसदी की गिरावट आई है तो वहीं आम के निर्यात को लेकर संशय की स्थिति है।
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“हमें लगता है कोरोना के डर से लोग मांस नहीं खा रहे तो सब्जियों की बिक्री बढ़ेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हमें तो फायदा की जगह नुकसान होने लगा है।” दिल्ली की गाजीपुर सब्जी मंडी के कारोबारी मोहम्मद आरिफ कहते हैं।

आरिफ अपने नाम से आरिफ वेजिटेबल्स नाम की कंपनी चलाते हैं जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी समेत कई राज्यों से सब्जियां मंगवाते हैं।

 “ठेले वाले जो कॉलोनियों में जाकर सब्जी बेचते थे उन्होंने भी माल लेना कम कर दिया है, कई तो आ ही नहीं रहे हैं। आज से 15 दिन पहले दिनभर में जो कारोबार 80-90 हजार का होता था वह अब 50-60 हजार पर आ गया है।” वे आगे कहते हैं।

कोरोना के असर से सब्जी और फल के कारोबार, मांग और उससे जुड़े लोगों पर असर पड़ रहा है। सिर्फ बड़े कारोबारी ही नहीं किसान और गली-मुहल्लों में सब्जी बेचने वाले भी परेशान हैं।

आरिफ की मानें तो दिल्ली में 30-40 फीसदी सब्जियों की मांग कम हुई है।

देश की सबसे बड़ी मंडियों में से एक नई दिल्ली की आजादपुर मंडी के बड़े सब्जी कारोबारी और दीप वेजिटेबज कंपनी के सीईओ राजेश कुमार बताते हैं, “पहले हमारे यहां होटलों से बहुत ऑर्डर आते थे जो की अभी 60 से 70 फीसदी कम हो गई है। मैं तो विदेशी सब्जियों की (ब्रोकली, ब्रुसेल्स स्प्राउट्स, लेट्यूस) का कारोबार करता हूं जिसकी मांग होटल्स वगैरह में बहुत होती थी। पहले तो दंगे की वजह से काम ठप पड़ा था और अब कोरोना की वजह से नुकसान हो रहा है।”

“पिछले साल इस समय जयपुर की मंडी में एक किलो पुदीना 20 रुपए किलो बेचा था। अभी एक दिन पहले (18 मार्च 2020) को 20 किलो पुदीना 160 रुपए में बेचा। एजेंट ने कहा कि दिल्ली से मांग कम आ रही है, इसलिए कीमत गिर रही है। अगले हफ्ते जब सब्जी लाना तो फोन कर लेना।” भगवाई साई कहते हैं।

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राजस्थान जयपुर के तहसील जोठवाड़ा के गांव बेगर के रहने वाले 35 वर्षीय किसान भगवान साई के पास ढाई एकड़ जमीन है जिनमें वे प्याज, धनिया और पुदीने की खेती करते हैं।

दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की चपेट में अब एक लाख से ज्यादा लोग आ चुके हैं और सात हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो भी हो चुकी है। भारत में भी ये वायरस अब तक चार लोगों की जान ले चुका है जबकि 180 से ज्यादा लोग इस संक्रामक बीमारी की चपेट में हैं।

देश के किसान भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं। जहां दूसरे देशों से व्यापार ठप होने की वजह से बासमती चावल, कपास, सोयाबीन और चाय की कीमतों में गिरावट आई है तो वहीं होटल और पर्यटन कारोबार ठप होने की वजह से देश के लाखों सब्जी किसान और व्यापारियों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

भारत लगभग एक करोड़ हेक्टेयर में 169 मिलियन मीट्रिक टन सब्जियों का सालाना उत्पादन करता है।

तस्वीर लखनऊ के नवीन गल्ला मंडी की है। व्यापारियों का कहना है कि अपेक्षाकृत लोगों का आना कम हुआ है।

ऑनियन मर्चेंट एसोएिशन नई दिल्ली के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा बताते हैं, “बात अगर आजादपुर मंडी की करेंगे तो अभी यहां सबसे ज्यादा मांग प्याज और आलू की है। लोगों में दहशत का माहौल का है ऐसे में उनका ध्यान ऐसी सब्जियों पर जो जल्दी खराब नहीं होते। घरों के लिए एक-एक आदमी 25-25 किलो आलू प्याज ले रहा है। जिस कारण इनके दामों में तेजी आई है जो खुदरा आलू का भाव 12 से 18 और प्याज की कीमत 15 से 25 रुपए प्रति किलो पहुंच गई है, हालांकि प्याज कीमत और होनी चाहिए थी लेकिन चिकन कारोबार ठप होने के कारण प्याज की कीमत उतनी नही बढ़ी जितनी उम्मीद की जा रही थी, जबकि मंडी में अभी पर्याप्त मात्रा में सब्जियां हैं।”

वे आगे कहते हैं, “लेकिन दिक्कत यह नहीं है, दिक्कत तो आने वाले समय में होगी। जो लोग इतनी मात्रा में आलू-प्याज खरीद रहे हैं वे अब 15-20 दिन नहीं आएंगे, तब पूरा बाजार खराब हो जायेगा। तब कीमतें जमीन पर आ जाएंगे जिसका नुकसान किसानों को ज्यादा होगा।”

देश के सब्जी किसान खराब मौसम से भी जूझ रहे हैं। फरवरी के आखिरी सप्ताह से हो रही बारिश से देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी मात्रा में सब्जियां बर्बाद हुई हैं। महाराष्ट्र की मंडिया में टमाटर की कीमत दो रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। इसका कारसा ज्यादा उत्पादन तो है ही, कम खपत भी बड़ी वजह बनी है।

इस बारे में पुणे में रहने वाले कृषि अर्थशास्त्री विजय जवाधिंया कहते हैं, “किसान अभी पिछले साल आई मंदी से उबर नहीं पाया था कि कोरोना आ गया। सिर्फ टमाटर ही नहीं मक्का, कपास और सोयाबीन के किसानों की भी हालत बदतर है। 5000 के आसपास बिकने वाला सोयाबीन 3500-3600 में बिक रहा तो 1800 कुंतल वाला मक्का 1300 में किसान बेचने को मजबूर हैं। क्योंकि देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री बैठ गई जिससे मक्का और सोयाबीन की मांग नहीं रह गई और बाहर माल जो नहीं नहीं रहा।’

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सबसे बड़ी मंडी नवीन गल्ला मंडी के निदेशक अरविंद कश्यप कहते हैं, “दहशत के कारण आवक और व्यापार दोनों में 25 फीसदी तक की गिरावट आई है। कर्नाटक और नासिक से गाड़ियां भी कम आ रही हैं। व्यापारी भी सोच रहे हैं कि जो माल आया है उसे किसी तरह बेच दिया जाये।”

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“आसपास के किसान इसलिए शहर कम आ रहे हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सब्जियों की कीमत कम मिलेगी और कोरोना का खतरा भी है। अफवाहों की वजह से भी असर पड़ा है। किसान और व्यापारियों को लग रहा है कि पता नहीं कब मंडी बंद हो जाये।” अरविंद आगे कहते हैं।

सब्जियों के अलावा अंगूर के निर्यात पर भी कोरोना वायरस की मार पड़ रही है तो वहीं आम कारोबारी होने वाले नुकसान को लेकर डरे हुए हैं, क्योंकि भारत में कुल आम उत्पादन की 40 फीसदी हिस्सा गल्फ और यूरोपियन देशों में जाता है।

ऑल इंडिया ग्रेप एक्पोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष जगन्नाथ खापरे बताते हैं, “निर्यात कम होने की वजह से अंगूर की कीमत 100 रुपए प्रति किलो से घटकर 70-75 रुपए पर आई गई है, हालांकि पैकेजिंग का काम शुरू हो रहा है, लेकिन हालात जल्द नहीं सुधरेंगे तो पेटियों को खोलकर घरेलू बाजारों में खपाना पड़ेगा, तब कीमत और नीचे आयेगी।”

आम सीजन की अभी शुरुआत ही हुई है। अभी मंडियों में 3 से 4 हजार पेटी आम की आवक हो रही है जबकि जब सीजन पीक पर होता (अप्रैल के दूसरे सप्ताह से) तो यही आवक लगभग एक लाख पेटी रोजाना हो जाती है।

नवी मुंबई के अबू भाई जो आम का बड़े स्तर पर कारोबार करते हैं, वे बताते हैं, “हमारे आम की सबसे ज्यादा मांग दूसरे देशों में होती है, लेकिन हम डरे हुए हैं। पता नहीं निर्यात कब से शुरू होगा। आम से किसानों को काफी फायदा होता है, लेकिन अगर 15 दिनों में निर्यात शुरू नहीं हो पाया तो बहुत नुकसान होगा। हमारे यहां तो मंडी भी बंद करा दी गई है।”

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