एग्रीकल्चर में स्नातक व् परास्नातक छात्रों के लिये अच्छी खबर है एग्री कल्चर के छात्रों के लिए राष्ट्रीय कृषि विस्तार संस्थान (मैनेजमेंट) हैदराबाद द्वारा अल्पकालीन रोजगार परक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे है और कोर्स करने के बाद कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय सरकार की सहायता से शुरू कर सकते है इसके लिए केंद्र सरकार छात्रों को लोन के साथ सब्सिडी भी देती है।
लखनऊ जनपद के इंदिरा नगर स्थित आईसीसीएम्आरटी भवन में सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की मौजूदगी में प्रथम सत्र के 20 और दुसरे सत्र के 32 छात्रों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये और कार्यक्रम हाल में छात्रो द्वारा सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की मौजूदगी में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन के साथ स्वच्छता की शपथ भी दिलाई गयी।
कार्यक्रम में प्रमाण पत्र पाने वाले छात्र शुभम ने बताया, “यह दो महीनो का कोर्स पूरा हो चुका है मन बना कर आया था कि मुझे मशरूम का उत्पादन क्षेत्र में काम करना है, जिसके लिए मैंने दो महीने प्रशिक्षण लिया और जाना समझा की कैसे मशरूम का उत्पादन किया जाता है और इसे करने में क्या क्या दिक्कते आती है या किन बातो का हमे विशेष रूप से ध्यान रखना होता है। मैं देवा रोड पर मशरूम उत्पादन का काम तीन कमरों में शुरू कर चुका हूं और इस पर काम कर रहा हूं।”
यह योजना कृषि से जुड़े स्नातक परास्नातक छात्रो को स्वावलंबी बनाने के लिए है , ये हमारा तीसरा सत्र है और संस्थान हैदराबाद से इसे सम्बद्ध किया हैं।
राजीव यादव, निदेशक, आईसीसीएमटी
इलाहबाद से आये कृषि परास्नातक विनोवर शर्मा ने बताया, हम ने वर्मी कम्पोस्ट का प्रशिक्षण लिया है, वर्मी कम्पोस्ट के लिए नाबार्ड में प्रोजेक्ट जमा कराया है नाबार्ड से व्यवसाय शुरू करने के लिए मिलने वाली राशि में एक चौथाई हिस्सा आवेदक को वहन करना होता है और शेष पैसा नाबार्ड देता है।
एग्री कल्चर व एग्री क्लीनिक जैसे कोर्स युवाओ के लिए फायदेमंद
उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले से आये छात्र त्रसपाल सिंह ने बताया, “मैं गन्ना किसान हूं मुझे यहां से एक विधि पता लगी जो एसटीपी (स्पेस ट्रांसप्लांटिंग ) मैंने इसको इस्तेमाल भी किया है आम तौर पर एक बीघा में पांच कुंतल गन्ना का बीज लगता है और इस तकनीक से एक बीघे में एक से सवा कुंतल बीज लगता है और पैदावार भी अच्छी होती है। गेहूं की फसल के कारण गन्ने की बुवाई लेट हो जाती थी इस विधि से गन्ने की पौध पाली हाउस में तैयार कर लेते है और गेहूं काटने के बाद गन्ने की रोपाई कर देते है। यहां मुझे आर्गेनिक खेती की भी जानकारी मिली है और मैं धीरे-धीरे आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहा हूं।
मध्य प्रदेश से आये कृषि स्नातक छात्र संदीप कुमार सिंह ने बताया की मुझे एग्री क्लिनिक व एग्री बिज़नेस के बारे में अपने एक दोस्त से पता लगा इस प्रोग्राम के तहत मुझे बताया की जब कोई आवेदक अपना प्रोजेक्ट बनाकर बिज़नेस करना चाहता है उसके लिए पहले हैदराबाद सस्थान में इंटरव्यू होता है उसमे नाम आने के बाद दो महीने की ट्रेनिंग होती है उसके बाद प्रमाण पत्र सस्थान द्वारा दिया जाता है और इसके लिए फंडिंग का कम नाबार्ड करती है और ये भारत सरकार की योजना है।
आईसीसीएमटी के निदेशक राजीव यादव ने बताया की यह योजना कृषि से जुड़े स्नातक परास्नातक छात्रो को स्वावलंबी बनाने के लिए है , ये हमारा तीसरा सत्र है और संस्थान हैदराबाद से इसे सम्बद्ध किया हैं। यहाँ से जो छात्र पढ़ रहे है उन्हें प्रमाणपत्र मैनेज हैदराबाद देता है इस ट्रेनिंग से छात्रो को कृषि से सम्बंधित अनुज्ञप्ति, बैंक लोन मिलने में आसानी हो जाती है इसके लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गये है ऑनलाइन आवेदन के बाद आवेदकों की ऑनलाइन इंटरव्यू हैदराबाद सस्थान द्वारा लिया जाता है। सफल आवेदकों को ट्रेनिंग में शामिल कर लिया जाता है जो छात्र सरकारी सेवा में नही आ पाते उनके लिए यह अच्छा माध्यम है जिससे वो खुद का उपक्रम तैयार कर सकते है।