मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में सूखे की मार से मौजूदा रबी सत्र में गेहूं और सरसों का रकबा कम हुआ है। इसके अलावा अधिक आय देने वाली फसल चना की तरफ झुकाव बढऩे से भी इन फसलों की बुआई प्रभावित हुई है। इसके साथ ही लगातार दूसरे साल फसलों की अधिक कीमतें नहीं मिलने से भी ग्रामीण क्षेत्रों में मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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मध्य प्रदेश देश में गेहूं का एक प्रमुख उत्पादक राज्य है। मध्य प्रदेश के कृषि विभाग के हाल के आंकड़ों के अनुसार इस साल लगभग 865,000 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं क बुआई हुई है, जो पिछले साल के मुकाबले कम है। इसकी वजह यह है कि राज्य की व्यावसायिक राजधानी से सटे क्षेत्रों में चना उत्पादन के प्रति रुझान बढ़ा है। बाकी क्षेत्रों में सूखे के कारण बुआई संभव नहीं हो पाई है।
देश में रबी की मुख्य फसल गेहूं का रकबा 2.95 करोड़ हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 14.4 लाख हेक्टेयर कम है। इस बीच, राजस्थान में रकबा कम होने से पिछले साल के मुकाबले मात्र 350,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुआई हुई है। कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून कमजोर रहने से भी यह नौबत आई है।
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मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने कम बारिश की वजह से 2017 में 52 जिले सूखाग्रस्त घोषित किए हैं। इन तीनों राज्यों ने 11,500 करोड़ रुपए से अधिक की केंद्रीय सहायता मांगी है। चने की बुआई करीब 1.05 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, पिछले साल के मुकाबले करीब 8 प्रतिशत अधिक है। दूसरी फसलों के मुकाबले बेहतर कीमत मिलने से किसानों ने चने की खेती पर अधिक जोर दिया है।
(इकोनॉमिक टाइम्स आैर मध्य प्रदेश सरकार की वेबसाट से इपनुट )