मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना शुरू, मंडी में भावों के उतार-चढ़ाव से किसानों की करेगी सुरक्षा
Sanjay Srivastava 26 Oct 2017 12:26 PM GMT

भोपाल (भाषा)। मंडी में भावों के उतार-चढ़ाव से किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने 2017 के लिए चालू खरीफ के मौसम में प्रायोगिक आधार पर मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसान को मंडी में उपज का दाम कम मिलने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य या औसत आदर्श दर से अंतर की राशि का सरकार सीधे किसान के खाते में भुगतान करेगी।
राज्य कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने बताया, इस योजना के तहत दलहन एवं तिलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार की दृष्टि से खरीफ-2017 में प्रायोगिक आधार पर सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उडद और तुअर को शामिल किया गया है।
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उन्होंने बताया कि इस योजना में 15 अक्तूबर तक की नियत अवधि में कुल 19,07,862 किसानों ने पंजीयन कराए हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से सोयाबीन में 22.75 लाख हेक्टेयर, मूंगफली में 0.22 लाख हेक्टेयर, तिल में 0.43 लाख हेक्टेयर, रामतिल में 0.04 लाख हेक्टेयर, मक्का में 3.87 लाख हेक्टेयर, मूंग में 0.02 लाख हेक्टेयर उडद में 9.91 लाख हेक्टेयर तथा तुअर में 1.11 लाख हेक्टेयर रकबे की फसलों का पंजीयन कराया गया है।
देश के किसी राज्य में पहली दफा लागू की जा रही इस तरह की योजना में प्रदेश के कुल किसानों के लगभग 40 फीसदी किसानों ने पंजीयन कराया है।डॉ. राजेश राजौरा प्रमुख सचिव राज्य कृषि विभाग
राजौरा ने बताया कि योजना के तहत किसी जिंस की औसत आदर्श विक्रय दर प्रदेश और अन्य दो प्रदशों में विक्रय अवधि के बाद विक्रय दरों का औसत निकाल कर निर्धारित की जाएगी। यदि किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से नियत आदर्श विक्रय दर के बीच की किसी दर पर विक्रय किया जाता है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा किसान के द्वारा विक्रय की दर के अंतर की राशि का भुगतान किसान के खाते में किया जाएगा। यदि किसान की विक्रय दर आदर्श विक्रय दर से कम रही तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा औसत आदर्श विक्रय दर के अंतर की राशि का भुगतान किसान के खाते में किया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि भावांतर भुगतान योजना पूरे देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में लागू की जा रही है तथा योजना के क्रियान्वयन में सभी स्तर पर निगरानी रखी जा रही है।
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