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मिर्च की खेती ने बदल दी इन किसानों की जिंदगी

खेती किसानी

धान-गेहूं जैसी परंपरागत फसलों की खेती को छोड़ दूसरी नकदी फसलों की तरफ किसानों का ज्यादा रुझान बढ़ रहा है, एटा के खकरई गाँव में जहां पहले सिर्फ 12 बीघा में मिर्च की खेती होती थी, आज दो सौ बीघा से ज्यादा में मिर्च की खेती होने लगी है।

एटा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी. दूर मारहरा ब्लॉक के खकरई व आसपास के दर्जनों गाँव में इस समय मिर्च के हरे खेत ही दिखायी देते हैं। पंद्रह वर्ष पहले तक यहां के किसान मिर्च की खेती नहीं करते थे, लेकिन यहां के दो किसानों की मदद आज यहां पर दो सौ बीघे से भी ज्यादा क्षेत्रफल में मिर्च की खेती होती है।

खकरई गाँव के किसान रक्षपाल (55 वर्ष) व रामसिंह (54वर्ष) ने सबसे पहले यहां पर मिर्च की खेती शुरु की आज हरी मिर्च की खेती से हुए बेहतर मुनाफ़ा को देख आज क्षेत्र के तकरीबन 200 बीघा खेतों में किसान हरी मिर्च की खेती कर रहे हैं, जुलाई से शुरू होने वाली हरी मिर्च की फसल दिसम्बर मध्य तक चलती है, इसकी मुनाफ़ा भी बेहतर होती है, जबसे रक्षपाल व रामसिंह ने हरी मिर्च की खेती की तब से उनकी आर्थिक स्थिति भी में तेजी से सुधार आया है।

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बेटी की कर दी शादी, पांच बीघा खरीदी जमीन

मिर्च की फसल।

किसान रक्षपाल के दो बेटे व दो बेटियां हैं, 15 साल पहले उनकी माली हालात ठीक नहीं थी, लेकिन जब से उन्होंने मिर्च की खेती शुरू की तबसे उनके दिन सुधरने लगे, रक्षपाल ने मिर्च की खेती से हुए मुनाफे से अपनी एक बेटी की शादी कर ली साथ ही पांच बीघा खेती की जमीन भी खरीद ली। रक्षपाल बताते हैं, “मैंने और रामसिंह ने मिर्च की खेती की शुरूआत 15 साल पहले साथ-साथ की थी, इससे पहले हम अपने खेतों में मक्का, मटर की खेती किया करते थे, लेकिन इसमें कोई ख़ास आमदनी नहीं होती थी, हमारे घर के हालात भी ठीक नहीं थे, फिर हम दोनों ने मिर्च की खेती के बारे में सुना, हमने जब पहली बार इसकी खेती की तो हमें मुनाफ़ा मटर से अच्छा हुआ, फिर हमने धीरे-धीरे इस खेती को करना शुरू कर दिया, आज इसी खेती से मैंने अपनी एक बेटी की शादी कर दी, पांच बीघा जमीन भी खरीद ली, घर का खर्चा भी अच्छे से चलता है।” मिर्च की खेती से ही किसान रामसिंह के जीवन में भी बदलाव आया, रामसिंह ने बताया, “मैंने जब पहली बार मिर्च की खेती अपने छह बीघा खेत में की थी तब हमे उम्मीद नहीं थी कि इससे मुनाफ़ा मटर से अधिक होगा, आज मिर्च की फसल से हुयी पैदावारी से मैंने अपने एक बेटे की शादी कर ली, मकान भी अच्छा बनवा लिया है।”

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एक बीघा फसल से कमाते हैं 30 से 35 हजार रुपए

मिर्च की खेती में लागत कम होने के बाद इससे मुनाफ़ा बेहतर प्राप्त होती है, किसान रक्षपाल ने बताया, “मिर्च की खेती में एक बीघा में लागत पांच से छह हजार रुपए तक की आती है, अगर मौसम की वजह से फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ तो इससे प्रति बीघा आमदनी 30 से 35 हजार रुपए तक की हो जाती है।”

फिरोजाबाद के नारखी से लाते हैं बीज

हरी मिर्च की फसल के लिए किसान बीज फिरोजाबाद के नारखी गाँव से लाते हैं, रक्षपाल ने बताया, “पहली बार हमने देशी मिर्च की खेती की थी, उसके बाद धीरे-धीरे हमने एजेंटों के सम्पर्क में रहकर इसकी अन्य किस्मों के बारे में जानकारी ली, फिर हम हाइब्रिड मिर्च की खेती करने लगे जिससे हमारी फसल और अच्छी होने लगी और मुनाफा भी बढ़ने लगा, हम इसका बीज फिरोजाबाद के नारखी से लेकर आते हैं, क्षेत्र के सभी किसान वही से बीज लाते हैं।”

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जुलाई में लगती है पौध, दिसम्बर में होती है समाप्त

हरी मिर्च की फसल की पौध जुलाई माह में लगायी जाती है, इस पौध से तीन से चार बार मिर्च की फसल तोड़ी जाती है, रामसिंह ने बताया, “हरी मिर्च की पौध जुलाई माह में लगना शुरू होती है, उस समय बारिश से पौध अच्छी तरह से तैयार हो जाती है, 25 से 28 दिन के बीच इसकी रोपाई कर दी जाती है, फिर फसल के क्षेत्रफल के हिसाब से इसकी नराई कर दी जाती है। कीटों से बचाव के लिए दवा लगा दी जाती है, 55 से 60 दिन में इस पर मिर्च आना शुरू हो जाती है, फिर तकरीबन 75 दिन में मिर्च तोड़ ली जाती है, मौसम ठीक-ठाक रहता है तो हम दिसम्बर मध्य तक इस पौध से चार बार मिर्च तोड़ लेते हैं।”

आमदनी देख बढ़ गया मिर्च की खेती का रकबा

रक्षपाल और रामसिंह द्वारा मिर्च की फसल से होने वाली आमदनी को देख अब उनके क्षेत्र के किसानों ने भी मिर्च की खेती को अपना लिया, 15 वर्ष पूर्व क्षेत्र में रक्षपाल और रामपाल द्वारा केवल 12 बीघा खेत में मिर्च की खेती की शुरूआत की थी आज यह क्षेत्र में तकरीबन 200 बीघा खेतों में की जा रही है। रक्षपाल बताते हैं, “पहली बार जब हमने मिर्च की फसल की तब इसकी पैदावार बहुत अच्छी हुई, गाँव व आसपास के कई किसानों ने इस फसल के बारे में मुझसे पूछा था, मैंने उन्हें फसल की पूरी जानकारी दी थी, आज गाँव खकरई के अलावा क्षेत्र के गाँव अब्दुल्लापुर, जाहिदपुर, नगला बीच, खलीलगंज, लालपुर के लगभग 200 बीघा खेतों में मिर्च की फसल की जा रही है।”

बरेली, कानपुर व मेरठ जाती है मिर्च

क्षेत्र में होने वाली हरी मिर्च की फसल प्रदेश के बरेली, कानपुर व मेरठ में बेची जाती है, किसान रामसिंह ने बताया, “यह मिर्च अचार के काम आती है, यहां के किसान इस फसल को मेरठ, कानपुर व बरेली में बेचते हैं, कई व्यापारी तो गाँव से ही मिर्च खरीदकर ले जाते हैं, कई बार यह मिर्च लाल हो जाती हैं लेकिन व्यापारी इसे भी खरीदकर ले जाते हैं।”

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समय से बारिश न होने पर इस वर्ष हुआ नुकसान

खेती पर मौसम की मेहरबानी किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी करती है, मौसम खराब होने से खेती में नुकसान होता है, मिर्च की खेती में भी ऐसा ही हुआ, इस बार की बारिश समय से न होने के कारण मिर्च की खेती में किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था। किसान रामसिंह ने बताया, “इस बार समय से बारिश न होने के कारण प्रति बीघा 50 से लेकर 60 बोरी मिर्च की पैदावार कम हुई थी, जिससे पांच से छह हजार रुपए बीघा का नुकसान उठाना पड़ा है, समय से बारिश न होने के कारण मिर्च की पौध पर रोग लग गया जिससे पौध पर मिर्च की लोंग नही बनी, लोंग न बनने के कारण पौध पर मिर्च नहीं आयी, फिर हमने कृषि विशेषज्ञ से बात की, उनकी सलाह पर हमने पौध पर दवाएं लगायी, तब जाकर वह पौध सही हुयी और उस पर मिर्च आना शुरू हो गई, इस प्रक्रिया में 20-25 दिन लग गए जिससे एक पाल (तुड़ाई) का नुकसान हो गया।”

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