स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश के कई जिलों से आए हजारों किसानों को केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में आयोजित किसान मेला में औषधीय फसलों की खेती की जानकारी दी गयी।
केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) किसानों और उद्यमियों में नव विकसित प्रौद्योगिकियों, उन्नत प्रजातियों को पहुंचाने के लिए 13 वर्षों से लगातार किसान मेला का आयोजन किया जाता है।
समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. पंजाब सिंह, अध्यक्ष राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी व पर्व महानिदेषक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् थे। डॉ. पंजाब सिंह ने कहा, ‘किसान सीमैप द्वारा विकसित उन्नत तकनीकी और औषधीय एवं सगंध पौधों की किस्में उगाकर अधिक आमदनी अर्जित करने के साथ देश में रोजगार के अतिरिक्त साधन भी पैदाकर सकते हैं।’
इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखण्ड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश किसानों और उद्यमियों ने भाग लिया । इस अवसर पर सीएसआईआर की विभिन्न प्रयोगशालाओं ने अपने स्टॉल लगाकर उन्नत प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया।
सीएसआईआर द्वारा सीमैप को औषधीय एवं सगंध पौधों की नवीन प्रजातियों और खेती करने के उन्नत तरीकों की जानकारी के प्रसार के लिये देश में बड़े स्तर पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके लिए सीएसआईआर के ‘एरोमा मिशन’ में सीएसआईआर की कई संस्थायें मिलकर काम करेंगी करेगी।
प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी, निदेशक, सीमैप
सीमैप के निदेशक प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि सीमैप के वैज्ञानिकों ने ग्रामीण विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड के सूखाग्रस्त क्षेत्रों, कच्छ गुजरात के लवण प्रभावित क्षेत्र व तमिलनाडु के सुनामी प्रभावित क्षेत्र में वहां के लिये उपयुक्त संगधीय फसलों का प्रदर्शन किया है। जिसके बड़े ही उत्साह वर्धक परिणाम सामने आए हैं।
मेले में विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि जैसे इपका लैब, जिन्दल ड्रग्स एसेन्सियल ऑयल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एफएफडीसी, कन्नौज, बायोटेक पार्क, आर्शी इसेन्शियल ऑयल्स इत्यादि तथा विभिन्न औषधीय एवं सगंध फसलों के प्रमुख क्रेता व विक्रेता उपस्थित रहे और परिचर्चा में भाग लिया।
किसानों को दी गयी मृदा परीक्षण की जानकारी
कई बार किसान मिट्टी की जांच किए बगैर औषधीय फसलें लगा देते हैं, किसानों को मृदा परीक्षण की भी जानकारी दी गयी। इससे किसानों को औषधीय फसलें लगाते समय नुकसान नहीं उठाना पड़ता है।
महिलाओं ने सीखा कैसे बनाएं अगरबत्ती
बाराबंकी जिले के देवां ब्लॉक के पवइयाबाद गाँव से आयी महिलाओं ने अगरबत्ती बनाना सीखा। पवइयाबाद की की रहने वाली सीमा देवी (40 वर्ष) बताती हैं, ‘हमारे यहां की कई महिलाओं ने आज यहां पर अगरबत्ती बनाना सीखा। मैंने पिछले साल ही अगरबत्ती बनाना यहां पर सीखा था, हम लोग अब सूखे फूलों से अगरबत्ती बनाते हैं और देवां शरीफ और चन्द्रिका देवी मंदिर पर इसे बेंचते हैं।’
किसानों ने खरीदा मेंथा की उन्नत किस्म के बीज
प्रदेश और दूसरे प्रदेशों किसानों ने आए किसानों ने मेंथा की उन्नत किस्म सिम क्रांति की जड़ें भी खरीदी। ये किस्म दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा मेंथाल का उत्पादन करती हैं। मेला में किसानों ने मेंथा की नयी किस्म सिम क्रांति के जड़ें भी खरीदकर ले गए। फैजाबाद जिले के बेगमपुरा गाँव से आए किसान शिवमोहन पाण्डेय कहते हैं, ‘हम लोग सीमैप से ही मेंथ की नर्सरी ले जाते हैं, यहां अच्छी किस्म की नर्सरी मिल जाती है। हमारे यहां के ज्यादातर किसान यहीं से मेंथा ले जाते हैं।’