#ChocolateDay : एमएनसी की मदद से देश में कोको की खेती बढ़ाने की तैयारी

Arvind ShuklaArvind Shukla   7 July 2018 4:43 AM GMT

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#ChocolateDay : एमएनसी की मदद से देश में कोको की खेती बढ़ाने की तैयारीदक्षिण भारतीय राज्यों में कोको की खेती का बढ़ रहा रकबा


देश में एक नगदी फसल के रूप में कोको किसानों की पसंद बनती जा रही है। ऐसे में काजू और कोको विकास निदेशालय भारत सरकार एक योजना बनाकर देश में कोको की खेती बढ़ाने के लिए कर रहा है काम। कोको की खेती को देश में बढ़ाने को लेकर जानकारी देते हुए इसके निदेशक वेंकटेश एन हुब्बल्ली ने बताया '' कोको एक निर्याती फसल है। भारत में अभी कोको के क्षेत्र में 10 ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं जो बीन, चोकोलेट, कोको बट्टर, कोको पाउडर और अन्य कोको उत्पादो का निर्यात करती हैं। ''

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उन्होंने बताया कि कोको (थियोब्रोमा काकाओ एल) एमेजोन मूल की फसल है और बीसवीं सउी की शुरूआत में भारत लाई गई। कॉफी, चाय और रबड़ की तरह कोको को भी देश में बागवानी फसल का दर्जा प्राप्त है। मिठाइयों, पेय पदार्थों और चोकलेट में कच्च माल के रूप में कोको का इस्तेमाल होता है। भारत में इसकी खेती केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में की जाती है।

कोको विकास निदेशालय के अनुसार कोको दक्षिणी अमेरिका की मुख्य फसल है। बहुतायत में इसकी खेती अफ्रीका भूखंड के उष्णकटिबंधीय इलाके में की जाती है। इसके लगभग 20 से अधिक प्रजातियां हैं। कोको एक उष्णकटिबंधीय फसल होने के कारण भारत में इसके विकास की काफी संभावनाएं हैं। देश में कोको की व्यवसायिक खेती 1960 के दशक में शुरू की गई लेकिन अभी में देश में कोको के अलग से बागान नहीं है। ऐसे में कोको निदेशालय इसके बागान के लिए भी काम कर रहा है।

करोड़ों रुपए का है चॉकलेट कंपियों का सालाना टर्ऩओवर। फोटो- साभार गूगल

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केन्द्रीय बागवानी फसल अनुसंधान केन्द्र और केरल कृषि विश्वविद्यालय कोको की खेती के लिए किसानों को बीज ओर पौधे उपलब्ध करा रहे हैं। यह दोनों संस्थान मिलकर कोको की कई प्रजातियों पर शोध भी किया है जो भारत में खेती के लिए अच्छी हैं। केरल कृषि विश्वविद्यालय ने एम-16.9, एम-13.12, जीआई-5.9 और बागवानी विभाग ने आई-56, आई-14, आईआईआई-105 और एनसी-42 नामक प्रजाजियों को खेती के लिए संस्तुति किया है।

भारत में कोको की खेती नारयिल और सुपारी के बागानों में की जाती है। कोको की खेती के लिए ऐसी जगह उपयुक्त मानी जाती हैं जहां पर तापमान 18 से 32 डिग्री के बीच हो और वहां पर धूप की अच्छी व्यवस्था हो। कोको के रोपण का सही समय मानसून की शुरूआत होता है।

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पिछले साल 78000 हेक्टेयर से 16050 मीट्रिक टन का कोको का उत्पादन किया गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के अंतगर्त आने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार देश ने वर्ष 2015-16 के दौरान 1,266.99 करोड़ रूपए कीमत के 32,633.58 मीट्रिक टन कोको उत्पाद विश्व को निर्यात किए है। जिसमें संयुक्त राज्य अमरीका, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, कोरिया गणराज्य और चीन में कोको को निर्यात किया गया।

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