नई दिल्ली (भाषा)। दलहन की कीमत आज 200 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गयी। इसको देखते हुए सरकार ने दालों की खुदरा बिक्री 120 रुपए किलो पर करने के लिए इसके बफर स्टॉक की सीमा पांच गुना बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है।
यह देखा जाना अभी बाकी है कि बफर स्टॉक के लिए अधिक दलहन की खरीद करने से ऐसे समय में कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी या नहीं जब कई राज्यों ने सस्ते दर पर खुदरा वितरण करने के लिहाज से दलहन की उठान करने में कोई रुचि नहीं दिखायी है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे जाने वाले आंकड़ो के अनुसार उड़द दाल की अधिकतम खुदरा कीमत 196 रुपए किलो, अरहर दाल की अधिकतम खुदरा कीमत 166 रुपए किलो, मूंग दाल की अधिकतम खुदरा कीमत 120 रुपए किलो, मसूर दाल 105 रुपए किलो और चना दाल की खुदरा कीमत 93 रुपए किलो है।
खाद्य मंत्रालय ने बुद्धवार देर रात जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि एक महत्वपूर्ण फैसले में सरकार ने बफर स्टॉक की सीमा को 1.5 लाख टन से बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है।
वित्तमंत्री अरण जेटली की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में बुद्धवार को यह फैसला किया गया जो इस मंत्रालय द्वारा स्थापित किये गये अंतर मंत्रालयीय समिति की सिफारिशों के अनुरुप है। आरंभिक लक्ष्य इस वर्ष दलहन का 1.5 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने का था। अभी तक इस उद्देश्य के लिए 1.15 लाख टन दलहन की खरीद की गई है और इसे सस्ते दर पर खुदरा वितरण के लिए राज्यों को दिया जा रहा है।
इस बफर स्टॉक का निर्माण मूल्य स्थिरीकरण कोष का इस्तेमाल करते हुए बाजार दर पर किसानों से दलहनों की सीधी खरीद करने के जरिये किया जा रहा है। इस स्टॉक को राज्यों को 120 रुपए प्रति किलो की सस्ती दर पर खुदरा वितरण करने के लिए राज्यों को जारी किया जा रहा है।
हालांकि केंद्र सरकार राज्यों को बगैर दड़े दालों की बिक्री बफर स्टॉक से कर रही है और इनकी दरें 66 रुपए प्रति किलो ही हैं। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे इसका प्रसंस्करण कर खुदरा बाजार में बेचें जिसकी कीमत किसी हालत में 120 रुपए प्रति किलो से अधिक न हो। लेकिन कई राज्यों ने इस प्रयास के प्रति कोई रुचि नहीं जताई है। अभी तक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों को 10,000 टन दलहन को जारी किया गया है।
दलहन की मांग और आपूर्ति के बीच करीब 76 लाख टन के अंतर को पाटने के लिए बफर स्टॉक का निर्माण घरेलू खरीद करने के साथ साथ आयात के जरिये किया जा रहा है। फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन घटकर एक करोड़ 70.6 लाख टन रह जाने का अनुमान है जिसका कारण लगातार दो वर्ष सूखे का पड़ना है जबकि दलहन की मांग 2.35 लाख टन पर कायम है।