'उड़ता पंजाब' नहीं, अब 'उड़ता केरल' और 'उड़ता महाराष्ट्र' बोलिए

Kushal MishraKushal Mishra   4 July 2018 4:33 AM GMT

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उड़ता पंजाब नहीं, अब उड़ता केरल और उड़ता महाराष्ट्र बोलिएग्राफिक डिजाइनर: कार्तिकेय उपाध्याय।

युवाओं का देश कहे जाने वाले हिन्दुस्तान में अब नशा नासूर बन चुका है। अपने देश में पंजाब राज्य युवाओं में बढ़ रहे नशे की लत की वजह से हमेशा से चर्चा में रहा है, यही कारण रहा कि हाल में 'उड़ता पंजाब' फिल्म में इस राज्य में फैल रही नशे की लत को प्रमुखता से समाज के सामने पेश किया गया। मगर अब हालात और भी बदतर हो रहे हैं, नशे के कारोबार में भारत के दूसरे राज्यों ने पंजाब को काफी पीछे छोड़ दिया है, और अब केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्य काफी आगे बढ़ चुके हैं। आइए आपको बताते हैं, कैसे नशे की लत में जकड़ रहा अपना देश और पंजाब ही नहीं, कौन-कौन से राज्य हैं गिरफ्त में…

नशे की वजह से हर रोज हो रही हैं 10 आत्महत्या

पिछले बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (NCB) के आंकड़े राज्यसभा में पेश किए गए, जो आंकड़े सामने आए वे हैरान करने वाले हैं। भारत में हर दिन 10 लोग नशे की वजह से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं। इन आत्महत्याओं में 1 आत्महत्या हर दिन सिर्फ पंजाब राज्य में होती है। वहीं यह भी बताया गया कि ड्रग्स जैसे नशे के शिकार राज्यों में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में हो रही हैं। बड़ी बात यह है कि केरल जैसे राज्य में साल 2014 में किसी भी राज्य की अपेक्षा नशे की वजह से सबसे ज्यादा आत्महत्याएं हुईं।

हर साल नशे पर 20 खरब रुपए खर्च करते हैं लोग

एक अध्ययन में सामने आया है कि हर साल भारत में लोग नशे पर करीब 20 खरब रुपए खर्च करते हैं। वहीं, इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च की ओर से पीजीआई साइकेट्री विभाग ने पंजाब के मुख्य जिले अमृतसर, पटियाला और फरीदकोट में नशे की स्थितियों पर शोध किया गया है। इस शोध में सामने आया है कि नशे के लिए हर रोज लोग 300 से 400 रुपए तक खर्चा कर रहे हैं।

महाराष्ट्र: ड्रग्स में सबसे आगे

राज्यसभा में पेश किए आंकड़ों में बताया गया कि साल 2014 में ड्रग्स की वजह से पूरे देश में 3647 लोगों के आत्महत्या के मामले सामने आए। सभी राज्यों में सबसे आगे महाराष्ट्र रहा, जहां पर आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या 1372 रही। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु का नाम सामने आया, जहां 552 मामले सामने आए और तीसरे स्थान पर केरल रहा, जहां 475 लोगों ने आत्महत्या की। हालांकि एक राहत की खबर यह भी रही कि 2014 से पहले साल 2012 में ड्रग्स की वजह से आत्महत्या करने वालों की संख्या 4000 से ज्यादा थे, वहीं साल 2013 में यह संख्या बढ़कर 4500 पार पहुंच गई थी, मगर 2014 में यह आंकड़ा थोड़ा गिरा है।

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मध्य प्रदेश: दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों को होता है मुंह का कैंसर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के लोगों को पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मुंह और जीभ का कैंसर होता है। इस कैंसर के पीछे सबसे बड़ा कारण गुटखा और तंबाकू के लत है। साल 2017 में ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे में सामने आया कि मध्य प्रदेश में हर रोज औसतन 350 बच्चे तंबाकू और धूम्रपान जैसे उत्पादों से जुड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में जीएमसी स्थित कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, साल 2015 में राज्य में 348 लोग जीभ और मुंह के कैंसर का शिकार हुए। एक तरफ जहां पुरुषों में मुंह के कैंसर के 159 मामले सामने आए, तो जीभ के कैंसर के 90। दूसरी तरफ महिलाओं में जहां मुंह के कैंसर के 54 और जीभ के कैंसर के 45 मामले सामने आए। ऐसी स्थिति में भोपाल में मुंह के कैंसर का प्रतिशत 24 प्रतिशत है, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है।

पंजाब: ड्रग्स की गिरफ्त में पंजाब

हाल में फिल्म 'उड़ता पंजाब' में राज्य में ड्रग्स के शिकार लोगों और इसके बढ़ते कारोबार पर समाज को एक आइना दिखाया। पंजाब के सामाजिक सुरक्षा विभाग ने साल 2016 के अंत में अपने सर्वे में बताया कि पंजाब में ड्रग्स के मामले तेजी से बढ़े हैं और हर सात दिनों में एक व्यक्ति ड्रग की ओवरडोज के कारण मौत का शिकार होता है। इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में हैरान करने वाला यह भी आंकड़ा सामने आया कि बीते चार सालों में पंजाब में 39,064 टन नशीली दवाइयों को बरामद किया गया है। इतना ही नहीं, पंजाब में करीब 7,575 करोड़ की मोटी रकम हर साल लोग ड्रग्स पर लुटा रहे हैं।

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दिल्ली: नशाखोरी का बन चुकी अड्डा

राजधानी दिल्ली में भी नशाखोरी का बड़ा अड्डा है और बड़ी बात यह है कि ड्रग माफियाओं का मुख्य केंद्र दिल्ली ही कहा जाता है, क्योंकि इसी जगह से दूसरे राज्यों में नशे की सप्लाई की जाती है। ऐसी स्थिति में राजधानी में गांजा, चरस, कोकीन का धंधा तेजी से बढ़ा है। पिछले साल दिल्ली के समाज कल्याण विभाग के शोध में सामने आया है कि राजधानी में 70,000 से ज्यादा बच्चों को नशे का आदी पाया गया है और ये बच्चे हर तरह का नशा करते हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली में करीब 20,000 बच्चों को तंबाकू का आदी पाया गया, जबकि शराब के आदी 9450 बच्चे, भांग और गांजे का सेवन करने वाले 5600 बच्चे, हेरोइन का सेवन करने वाले 840 और अन्य तरह के नशों में 7,910 शामिल पाए गए।

बिहार: गांजे के कारोबार में गजब का उछाल

पहले बिहार में अक्सर शराब से मौतों की खबरें आती रही हैं, मगर बिहार की नीतीश सरकार ने पूरे राज्य में शराबबंदी करके नशे के कारोबार में लगाम लगाया। मगर राज्य में शराबबंदी के बाद बिहार में चरस, गांजे के कारोबार में गजब का उछाल देखा गया है और इससे जुड़े नशे के कारोबारी तेजी से राज्य में सक्रिय हुए हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अपने रिपोर्ट में बताया कि साल 2016 में पूरे राज्य में जहां 496 किलो गांजा जब्त किया गया, वहीं साल 2017 में मात्र फरवरी महीने तक ही 6884 किलो गांजा जब्त किया गया।

मणिपुर: फलफूल रहा ड्रग्स का कारोबार

अंतरराष्ट्रीय देश म्यांमार और थाईलैंड की सीमाएं मणिपुर राज्य से जुड़ी होने के कारण इन देशों से नशे का कारोबार बढ़ कर होता है। यही कारण है कि इस राज्य से ड्रग्स, कोकीन जैसे नशे की भारी मात्रा में पकड़े जाने की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 50 हजार लोग नशे की चपेट में हैं, और इनमें आधे से ज्यादा ड्रग्स, कोकीन के शिकार हैं।

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हरियाणा: हर दिन 20 लोग ड्रग्स की चपेट में

बाकी राज्यों की तरह हरियाणा के लोग भी नशाखोरी का शिकार है। पंजाब की तरह हरियाणा में भी युवा ड्रग्स का शिकार हो रहे हैं। बढ़ती नशाखोरी की वजह से ड्रग्स की लत छुड़ाने के लिए राज्य सरकार की आरे से आठ नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं। इन केंद्रों की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के इन केद्रों में 20 लोगों को ड्रग्स की लत छुड़ाने के लिए हर दिन भर्ती किया जाता है, बड़ी बात यह है कि इन नशे के आदी लोगों की आयु 35 वर्ष से भी कम है। वहीं, इसी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले छह सालों में हरियाणा में नशे का सेवन करने वाले में लोगों में 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है।

उत्तर प्रदेश: शराब का बड़ा कारोबार

बिहार की सीमाओं से जुड़े उत्तर प्रदेश में शराब का बड़ा कारोबार होता है और बड़ी संख्या में लोग शराब के नशे की लत के शिकार हैं। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने सिर्फ शराब से 19,000 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था। बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में राजस्व संग्रह का 19 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ शराब से प्राप्त होता है। आबकारी विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में अंग्रेजी शराब की 5,741 दुकानें हैं और देशी शराब की 14,021 दुकानें चल रही हैं। इसके अलावा 415 बियर मॉडल शॉप और 2440 भांग के ठेके चलते हैं। वहीं, सरकार ने 2017-2018 में शराब से राजस्व प्राप्ति में 20,593 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा है।

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