स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
गुगरापुर (कन्नौज)। इत्रनगरी के नाम से मशहूर कन्नौज के किसानों का रुझान अब जैविक खेती की तरफ बढ़ने लगा है। जिले के दो ब्लॉक के 100 किसानों का चयन जैविक खेती के लिए हुआ है। इन किसानों को कानपुर व कन्नौज के कृषि वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण देकर जैविक खेती के फायदे बताए।
कन्नौज जिले के जलालाबाद ब्लॉक क्षेत्र के पछपुखरा गाँव में किसानों को जैविक खेती के बारे में बताया गया। कन्नौज कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अमर सिंह ने बताया, ‘‘जैविक खेती के उत्पाद स्वास्थ्य के लिए सही होते हैं, इसमें फर्टिलाइजर का प्रयोग नहीं किया जाता। गोबर की खाद का प्रयोग होता है। इससे फसल की क्वालिटी अच्छी होती है।’’
डॉ. अमर सिंह आगे बताते हैं, ‘‘पछपुखरा गाँव में धनिया की जैविक खेती के लिए 20-20 किसानों के दो ग्रुप और भिंडी के 20 किसानों का एक ग्रुप बनाया गया है। तालग्राम ब्लॉक क्षेत्र के रौतामई और सरायदौलत गाँव में बैंगन के 40 किसानों का ग्रुप बनाया गया है।’’
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‘‘किसानों को बताया कि जैविक खेती से क्या-क्या फायदे हैं। इच्छुक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। कानपुर कृषि विश्वविद्यालय भी वैज्ञानिक आए थे। हमको लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था। कानपुर से आए डॉ. राजीव सिंह ने धनिया के बारे में बताया। साथ ही क्या-क्या तत्व प्रयोग होते हैं। जैविक खेती में नीम की फली, वर्मी कंपोस्ट आदि का प्रयोग और कैसे बनेगी के बारे में भी बताया।
डॉ. विजय बहादुर जायसवाल ने ‘उत्पादन और उसकी क्वालिटी कैसे बेहतर बना सकते हैं, इसके बारे में बताया। साथ ही लाभ-फायदे की जानकारी दी। डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह ने फसल में लगने वाले कीट, रोग के बारे में बताया। उनका उपचार करने की जानकारी किसानों को दी।
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