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गहरे समुद्र में मछली पकड़ने में मछुआरों की मदद के लिए सरकार ला रही है नीति

केंद्र सरकार

नई दिल्ली (भाषा)। सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि देश में 2019-20 तक 150 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य है और वह देश में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने में मछुआरों की मदद के लिए एक नीति ला रही है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि देश में 2015-16 में 107 लाख टन मछली उत्पादन हुआ था वहीं 2016-17 के लिए 118 लाख टन का लक्ष्य निर्धारित है।

उन्होंने प्रश्नकाल में उत्तर देते हुए कहा, ‘‘2019-20 तक हम देश में 150 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रख रहे हैं।” मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘नीली क्रांति’ योजना के तहत विभिन्न राज्यों को उनके प्रस्तावों के अनुसार निधि जारी की है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में चल रहीं विभिन्न योजनाओं को एक ही छतरी के नीचे लाया गया है और नीली क्रांति के तहत वर्ष 2016-17 के लिए राज्यों के प्रस्तावों के अनुसार उन्हें 1483.15 लाख रुपए की राशि जारी की गई है।

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राधामोहन सिंह ने गजानन कीर्तिकर के एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि हमारे मछुआरों के पास गहरे सागर में मछली पकड़ने के लिए पोत नहीं हैं क्योंकि उसकी कीमत कम से कम 80 लाख रुपए है। इस दृष्टि से नीली क्रांति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर हमने डीप फिशिंग को बढ़ावा देने के बारे में तय किया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 18 से 24 मीटर या इससे अधिक लंबाई की गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौका में खरीदने में भारत सरकार 50 प्रतिशत सहायता देगी। तमिलनाडु सरकार से जानकारी आई है कि वह 10 प्रतिशत की मदद करेगी। हम बाकी राज्यों के भी संपर्क में हैं. मछली उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीप सी फिशिंग वेसल्स हैं जो बहुत महंगे हैं।

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राधामोहन सिंह ने गजानन कीर्तिकर के एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि हमारे मछुआरों के पास गहरे सागर में मछली पकड़ने के लिए पोत नहीं हैं क्योंकि उसकी कीमत कम से कम 80 लाख रुपए है। इस दृष्टि से नीली क्रांति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर हमने डीप फिशिंग को बढ़ावा देने के बारे में तय किया है।

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कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘ये हमारे मछुआरों को प्राप्त हो इसके लिए हमने डीप फिशिंग नीति की घोषणा कर दी है और इसे चालू करेंगे।” उन्होंने रामचरित्र निषाद के प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के हैदराबाद स्थित मुख्यालय को हैदराबाद से हटाने का या दिल्ली में लाने का कोई विचार नहीं है।

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