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यूपी और एमपी में सिंचाई व्यवस्था पटरी पर लाने में फेल हो रहे सरकारी ट्यूबवेल

uttarpradesh

लखनऊ। इस समय गेहूं बुवाई चल रही है और किसानों को खेत की सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता है। बुवाई के समय सिंचाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में किसान नलकूपों पर निर्भर हैं लेकिन नलकूप व्यवस्था लचर होने से किसानों को पर्याप्त सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।

लखनऊ जिले के चंदाकोडर गाँव के रहने वाले किसान लक्ष्मी सिंह चौहान ( 59 वर्ष) ने नलकूप खराब होने से पानी न मिल पाने के कारण इस वर्ष गेहूं की बुवाई न कर के चना बो दिया है। लक्ष्मी ने गाँव के नलकूप की तरफ इशारा करते हुए बताया ,” पिछले पांच महीने में सरकारी बोरिंग छह बार फुक चुकी है। गाँव में सिंचाई के लिए बहुत लोगों ने निजी पंपिंक सेट लगवा लिया है। हमने भी किराए पर पंप लेकर 12 घंटे तक 90 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से अपने खेत की सिंचाई करवाई है।”

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उत्तर प्रदेश के मुताबिक प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा समय में विभाग के 33,375 नलकूप  लगाए गए हैं। इन नलकूपों की मदद से प्रदेश भर में कुल 29 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। यह आंकड़ा भले ही विभाग की वेबसाइट पर देखने में अच्छा लगता हो, लेकिन इसकी ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।

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उत्तर प्रदेश में सरकारी नलकूपों की खस्ता हालत को सही मानते हुए प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उत्तर प्रदेश सुरेश चंद्र ने बताया,” प्रदेश में सरकारी नलकूपों की बुरी हालत की बड़ी वजह नलकूप की मरम्मत करने वाले ऑप्रेटरों की कमी है। हम जनपद वार नए सिरे से मकैनिकों की भर्ती करवा रहे हैं। इससे जल्द ही राजकीय नलकूपों की दशा सुधरेगी।”

नलकूपों की खराब दशा सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में भी 80 फीसदी सरकारी नलकूप भूजल में कमी होने के कारण खराब हालत में पड़े हैं।मध्य प्रदेश के सागर जिले के पंबौरी गाँव के किसान कल्लू पटेल ( 34 वर्ष) सब्जियों की खेती करते हैं। कल्लू बताते हैं,” गाँवों में सरकारी नलकूप लगे हैं, लेकिन सब बंद पड़े हैं। यहां पर भूजल इतना नीचे चला गया है कि नलकूप किसी काम के नहीं बचे हैं। यहां पर लोग बांध से मिल रहे पानी से सिंचाई कर लेते हैं,लेकिन दूसरे जिलों में हालत बहुत खराब है। ”

मध्य प्रदेश सिंचाई विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक एमपी में कुल 2,331 सरकारी ट्यूबवेल हैं, जिनकी मदद से    कुल 42 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है। वहीं उत्तर प्रदेश में कुल चलित राजकीय नलकूपों में से 25,205 राजकीय नलकूप 1.5 क्यूसेक क्षमता के और 8,170 राजकीय नलकूप 1.0 क्यूसेक क्षमता के हैं।

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ग्रामीण क्षेत्रों में खराब पड़े नलकूपों का मुख्य कारण बताते हुए वीके मिश्रा इंजीनियर-इन-चीफ (मैकेनिकल) सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उत्तर प्रदेश ने बताया,” नलकूपों अच्छे से काम करें इसके लिए गाँवों में 380 से 400 वोल्ट बिजली की ज़रूरत पड़ती है,लेकिन गाँवों में बिजली का कोई भी निर्धारित समय न होने के कारण वोल्टेज ऊपर-नीचे होने से नलकूपों के संचालन में काफी समस्याएं आ रही हैं।” उन्होंने आगे बताया कि नलकूपों में बहुत अधिक बालू आने से भी मोटर खराब हो जाने की दिक्कत बढ़ जाती है।

एक तरफ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में नलकूप व्यवस्था को अच्छा बनाए रखने के लिए सरकार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके विपरीत पंजाब सरकार ने किसानों के लिए पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है।

पंजाब के होशियारपुर जिले के कोटली गाँव के किसान राजेश सैनी (42 वर्ष) बताते हैं,” पंजाब में सरकारी नलकूप तो नहीं है, लेकिन सिंचाई के लिए सरकार किसानों की काफी मदद कर रही है। सरकार खेती के लिए लगाए गए निजी पंप सेट पर बिजली का मुफ्त कनेक्शन दे रही है, जिससे अब यहां के किसान बहुत खुश हैं। ”

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हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने कृषि व पेयजल व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जल निगम व जल संस्थान विभाग के सभी अधिशासी अभियन्ताओं को अपने कार्यक्षेत्र के अधीनस्थ खराब हैंडपंपों व सरकारी ट्यूबवेलों को चालू होने की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर लिखित रूप से उनका प्रमाण उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ साथ उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 जुलाई तक प्रदेश में पानी की समस्या किसी भी क्षेत्र में नहीं होनी चाहिए।

” उत्तर प्रदेश में विभाग में ‘ 6000 नलकूप आधुनिकीकरण परियोजना ‘ चला रही है। इस परियोजना में अभी तक हमने प्रदेश में कई जनपदों में हज़ार से अधिक नलकूपों की हालत सुधारी है। इस परियोजना में सरकारी नलकूप की टंकी की मरम्मत और नलकूप में लगे पीवीसी पाइप को ठीक किया जाता है।” वीके मिश्रा इंजीनियर-इन-चीफ (मैकेनिकल) सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उत्तर प्रदेश ने आगे बताया।

कैसे काम करते हैं सरकारी नलकूप –
गाँव में लगे सरकारी नलकूप की मदद से गाँव के सभी खेतों में सिंचाई की जाती है। इसके लिए नलकूप की टंकी से खेतों में पानी ले जाने के लिए पाइप लाइन बिछाई जाती है। यह पाइप लाइन हौदी ( पानी खेतों में भेजने का यंत्र) से जुड़ी रहती है। इस यंत्र की मदद से खेतों तक पानी भेजने में मदद मिलती है। हर नलकूप प्रतिदिन चलाया जाता है। इसके संचालन के लिए पंचायत स्तर पर ऑप्रेटर भी रखा जाता है, जो दिन के हिसाब से सिंचाई के लिए किसानों के खेत में पानी भेजता है।

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