अगले 15 दिन में नीचे आएंगे टमाटर के दाम : विशेषज्ञ

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नई दिल्ली (भाषा)। दक्षिणी और अन्य उत्पादक राज्यों से आपूर्ति बढ़ने से टमाटर के दाम अगले 15 दिन में नीचे आ जाएंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह राय व्यक्त की है।

इस समय टमाटर 100 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच चुका है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार देश के ज्यादातर हिस्सों में टमाटर एक माह से अधिक से आसमान पर पहुंच चुका है। कई स्थानों पर टमाटर का खुदरा भाव करीब 100 रुपये प्रति किलो की उंचाई पर चल रहा है।

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मंत्रालय के 29 जून तक आंकड़ों के अनुसार महानगरों की बात की जाए तो दिल्ली में यह 92 रुपये किलोग्राम पर है। कोलकाता में 95 रुपये, मुंबई में 80 रपये और चेन्नई में 55 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रहा है।

अन्य शहरों में लखनऊ में यह 95 रुपये, भोपाल में और तिरवनंतपुरम में 90 रुपये, अहमदाबाद में 65 रुपये, जयपुर में 60 रुपये, पटना में 60 रुपये और हैदराबाद में 55 रुपये प्रति किलोग्राम की उंचाई को छू चुका था। उत्पादक क्षेत्रों में भी टमाटर काफी महंगा बिक रहा है। शिमला में यह 83 रुपये और बेंगलुर में 75 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है। किस्म और गुणवत्ता के आधार पर इसकी कीमतों में अंतर हो सकता है।

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आईसीएआर के उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) एके सिंह ने कहा, ”मेरा व्यक्तिगत तौर पर आकलन है कि दक्षिणी राज्यों और अन्य उत्पादक क्षेत्रों से आपूर्ति बढ़ने से अगले 15 दिन में टमाटर के दाम नीचे आएंगे।” बारिश कम होने के बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और यहां तक कि महाराष्ट्र से आपूर्ति सुधरेगी और कीमतों पर दबाव कम होगा। सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान तथा अन्य उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से टमाटर की फसल को कुछ नुकसान पहुंचा है। साथ ही परिवहन संबंधी मुद्दों की वजह से काटी जा चुकी फसल को भी समय पर बाजार पहुंचाने में मुश्किलें आ रही हैं।

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उन्होंने कहा कि इसके अलावा मंडियों में उपज को पहुंचाने की लागत भी बढ रही है क्योंकि बारिश और बाढ की वजह से इसमें सामान्य से ज्यादा समय लग रहा है। दिल्ली के टमाटर मर्चेंट एसोसिएशन (आजादपुर मंडी) के अशोक कौशिक ने कहा कि अधिक समय लगने की वजह से परिवहन की लागत बढ़ चुकी है। आपूर्ति में अगले दो सप्ताह में सुधार की उम्मीद है।

सरकार ने फसल वर्ष 2016-17 (जुलाई से जून) में देश का कुल टमाटर उत्पादन 15 प्रतिशत अधिक यानी 187 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। लेकिन इस बात की संभावना है कि मौजूदा नुकसान के आकलन के बाद इन आंकड़ों में संशोधन किया जाएगा।

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