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औषधीय पौधों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बना भारत

भारत

भारत औषधीय पौधों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया है। इस सूची में भारत से आगे अब बस चीन है। ये घोषणा पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में हुई। पहली बार दुनिया भर के दिग्गजों ने दिल्ली में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को और मजबूत और उसकी वैज्ञानिक मान्यता पर चर्चा के लिए पिछले साल दिसंबर में मुलाकात की।

दिल्ली में आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय आरोग्य 2017 के तहत हुआ। जिसमें 60 देशों के 1,500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत चीन के बाद औषधीय पौधों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बना गया है। डीएनए की खबर के अनुसार दोनों देश हर्बल उत्पादों की कुल वैश्विक मांग का 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करते हैं।

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इसको लेकर कार्यक्रम में एक श्वेतपत्र पत्र भी जारी किया गया। कार्यक्रम में आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी (आयुष), नेचुरोपैथी, और प्राचीन तिब्बती चिकित्सा पद्धति- सोवा-रिग्पा पर चर्चा हुई। आयुष के लिए भारतीय घरेलू बाजार अनुमानित 500 करोड़ रुपए का है। जबकि निर्यात का अनुमान 200 करोड़ रुपए का है।

कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु भी शामिल हुए थे। इस मौके पर उन्होंने कहा “6,600 औषधीय पौधों के साथ, भारत दुनिया में आयुष और हर्बल उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। हमारे पास अब अच्छा मौका कि हम दवाओं की भारतीय प्रणाली को मुख्य धारा में लाया जाए। भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में आयुष बुनियादी ढांचा को मजबूत करता है। इस व्यवस्था में 53,296 बिस्तर, 22,635 डिस्पेंसरी, 450 स्नातक महाविद्यालय, 9,493 लाइसेंस प्राप्त निर्माता कंपनी और 7.18 लाख पंजीकृत चिकित्सकों के साथ 1,355 अस्पताल हैं।”

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इस मौके पर आयुष के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येस्सो नायक कहा “योग, आयुर्वेद, यूनानी और पंचकर्म के लिए मानक विकसित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इजरायल, तजाकिस्तान, पेरू, रूस और तंजानिया जैसे देशों से भी इसके लिए बात की जा रही है।”

इस कार्यक्रम में वैकल्पिक औषधि के 250 से अधिक कंपनियों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। एक श्वेतपत्र जारी करके बताया गया कि भारत दुनिया में आयुर्वेदिक और वैकल्पिक दवाइयों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है और इसमें तीस लाख नौकरियां पैदा करने की क्षमता है। भारतीय हर्बल बाजार का वर्तमान मूल्य 5000 करोड़ रुपए है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 14 फीसदी है। देश में 30,000 से अधिक ब्रांडेड और 1,500 पारंपरिक आयुष उत्पाद उपलब्ध हैं।

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