रिपोर्टर- संतोष मिश्रा
गोरखपुर। जनपद के कई गाँवों में रहने वाले वनटंगिया लोग आज भी अपना अस्तित्व साबित करने की जंग लड़ रहे हैं। पर जि़ला प्रशासन की अनदेखी से उनकी हालत खराब है।
आने वाले पंचायत चुनावों में उन्हें पहली बार भाग लेने का मौका मिलेगा ये आश्वासन उन्हें जिलाधिकारी की ओर से मिला था पर आज तक उनकी पंचायत का निर्धारण नहीं हो सका।
गोरखपुर जिला मुख्यालय से सटे कुसम्ही जंगल में बसे पांच गाँवों रजही नर्सरी, तुर्वा खाल, तिन्कोनिया रेंज, चिलबिलवा, आमबा$ग में करीब तीन हज़ार वनटंगिया लोग रहते हैं। इन वनटंगिया गाँवों में आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का अकाल है।
रजही नर्सरी टोला निवासी दुर्गेश (31 वर्ष) बताते हैं, ”हम तो थोड़ा बहुत पढ़ लिए लेकिन हमारे बच्चों को तो शिक्षा नहीं मिल पा रही है क्योंकि हमारे आस-पास कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है। तीन किलोमीटर पर है भी तो वह भी प्राइवेट स्कूल है” वेआगे कहते हैं, ”यहां कोई सरकारी अस्पताल भी नहीं है कुछ भी होने पर हमें या तो प्राइवेट में या फिर जिला अस्पताल में ही जाना पड़ता है”।
इन्हीं मुद्दों को लेकर गोरखपुर और महाराजगंज के 23 वनटंगिया गाँवों के लोग आंदोलनरत हैं। हाल ही में गोरखपुर मण्डल आयुक्त के कार्यालय पर इन सभी गाँवों के सैकड़ों लोगों ने धरना दिया। इसके बाद इन्हें जिलाधिकारी की ओर से आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही इन गाँवों को राजस्व गाँव घोषित कर दिया जाएगा एवं सभी लोगों का जाति, आय एवं आवास प्रमाण पत्र बनवा दिया जाएगा। कई दिन बीत गए पर आज तक इन वनटंगिया गाँवों में सिर्फ सर्वे ही हो पाया, आगे कोई भी प्रक्रिया नहीं हुई।
ग्राम विकास अधिकारी सुजीत कुमार सिंह बताते हैं, ”हमें सर्वे का कार्य सौंपा गया था। परिवार रजिस्टर बनवाने के लिए हमने सर्वे का कार्य पूरा करके प्रशासन को सौंप दिया है। लेकिन इसमें दिक्कत यह आ रही है कि ये गाँव राजस्व गाँव नहीं हैंं, न इन्हें पंचायत का ही अधिकार है” वे आगे कहते हैं, ”इससे राजस्व गाँव में क्या नाम रखा जाए और पंचायत ग्राम में क्या नाम रखा जाये, ये दिक्कत आ रही है।”
वनटंगिया विकास समिति के सदस्य राम गणेश बताते हैं, ”वनाधिकार कानून के तहत काफी धरना प्रदर्शन के बाद 25 जुुलाई 2011 को हमें जमीन का मालिकाना हख तो मिला लेकिन हमारे गाँवों को राजस्व गाँव का एवं पंचायत का दर्जा आज तक नहीं मिला, जिसके चलते केन्द्र और राज्य सरकार की कोई भी योजना हमारे गाँवों में लागू नहीं हो पाती”। रामगणेश आगे कहते हैं, ”हजारों एकड़ में बेशकीमती जंगल तैयार करने का हमें सम्मान तो नहीं मिला लेकिन इसकी देख-रेख करने की सजा ज़रूर मिली कि हमारे गाँव शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क व लघु वन उपज के अधिकारों से वंचित कर दिया गया है”।
मुख्य मांगे
- 2015 के पंचायत चुनाव में गाँवों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए
- परिवार रजिस्टर बनवाया जाए
- गाँव के परिवार के लोगों का जाति-आय एवं निवास प्रमाण पत्र इंटरनेट से जारी किया जाए
- गाँवों को लोहिया ग्राम घोषित करें
- सांसद, विधायक व डीएम वनटंगिया गाँव को गोद लें
- गाँव में सरकारी राशन की दुकान स्थापित की जाए
- लघु वन उपज पर टंगिया किसानों की हकदारी सुनिश्चित की जाए
- गर्भवती, बच्चों एवं किशोरियों के टीकाकरण के लिए केन्द्र की स्थापना की जाए
- विधवा, वृद्धा विकलांग व समाजवादी पेंशन का लाभ दिया जाए
- गाँवों में प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूल की स्थापना
- बगल के राजस्व गाँव में संयोजन न करके 23 वन टंगिया गाँव को स्वतंत्र रूप से राजस्व गाँव का दर्जा
- वन गाँव में बुनियादी सुविधाओं जैसे चिकित्सा, सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, मनरेगा के तहत काम आदि की सुविधाओं को अतिशीघ्र उपलब्ध कराया जाए